Human Computer: कैसे शकुंतला देवी ने गणित को एक खेल बना दिया?

शकुंतला देवी, जिन्हें 'ह्यूमन कंप्यूटर' कहा जाता है, ने गणित को जटिल विषय से एक दिलचस्प खेल में कैसे बदल दिया? जानिए उनकी अनोखी गणितीय करिअर-कौशल की कहानी।

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Sakshi Rai
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Human Computer

Photograph: (indiatoday/hindustantimes)

How Did Shakuntala Devi Turn Mathematics into a Game: गणित को अक्सर जटिल और उबाऊ विषय माना जाता है, जिससे कई छात्र डरते हैं। बड़ी संख्याओं की गणना, जटिल समीकरण और सूत्रों को याद रखना कई लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। लेकिन जब गणित को खेल की तरह सिखाया जाए, तो यह आसान और रोचक बन जाता है। शकुंतला देवी, जिन्हें "ह्यूमन कंप्यूटर" के नाम से जाना जाता है, ने गणित को सरल और मजेदार बनाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने यह साबित किया कि अगर सही नजरिए से देखा जाए, तो गणित केवल एक विषय नहीं, बल्कि एक रोमांचक खेल भी हो सकता है। उनकी अनोखी गणना क्षमता और गणित को सहज रूप से समझाने की शैली ने दुनिया भर में लोगों को प्रेरित किया।

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कैसे शकुंतला देवी ने गणित को एक खेल बना दिया?

गणित एक ऐसा विषय है जिससे अक्सर बच्चे डरते हैं। जोड़-घटाव, गुणा-भाग और बड़े-बड़े सवाल हल करना कई लोगों को मुश्किल लगता है। लेकिन जब यही गणित खेल की तरह समझाया जाए, तो इसे सीखना आसान और मजेदार हो सकता है। शकुंतला देवी, जिन्हें "ह्यूमन कंप्यूटर" कहा जाता है, ने इसी सोच के साथ गणित को आसान और रोचक बना दिया।

बचपन से ही था अनोखा गणितीय दिमाग

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शकुंतला देवी का जन्म 4 नवंबर 1929 को हुआ था। उन्होंने कभी औपचारिक शिक्षा नहीं ली, लेकिन उनके अंदर बचपन से ही गणित की अद्भुत प्रतिभा थी। जब उनके पिता ने उनकी इस क्षमता को पहचाना, तो उन्होंने शकुंतला को अलग-अलग जगहों पर गणितीय प्रदर्शनों में शामिल करना शुरू कर दिया। वहां वह तेजी से बड़े-बड़े गणितीय सवाल हल कर लेती थीं, जिसे देखकर लोग हैरान रह जाते थे।

संख्याओं से दोस्ती और गणना की अनोखी गति

शकुंतला देवी ने कभी गणित को रटने या कठिन तरीके से सीखने की कोशिश नहीं की। उनके लिए गणित एक खेल था, जहां संख्याओं से खेला जा सकता था। उन्होंने अपने दिमाग को इस तरह से प्रशिक्षित किया कि वह किसी भी बड़ी से बड़ी संख्या की जटिल गणना चंद सेकंड में कर सकती थीं। उनकी इस प्रतिभा ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई और वह दुनिया भर में अपनी गणितीय क्षमताओं का प्रदर्शन करने लगीं।

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गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज

18 जून 1980 को, इंपीरियल कॉलेज, लंदन में, उन्होंने 13 अंकों की दो संख्याओं का गुणा केवल 28 सेकंड में हल कर दिया। उनकी यह उपलब्धि इतनी अविश्वसनीय थी कि उन्हें गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह मिली।

गणित को सरल बनाने की कोशिश

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शकुंतला देवी ने न केवल गणितीय प्रदर्शन किए, बल्कि इस विषय को सरल बनाने के लिए कई किताबें भी लिखीं। उन्होंने अपने अनुभवों और अनोखी विधियों को किताबों के माध्यम से साझा किया ताकि गणित को बच्चे और युवा आसानी से समझ सकें। उनका मानना था कि अगर गणित को समझने का सही तरीका मिल जाए, तो यह किसी खेल से कम नहीं लगता।

शकुंतला देवी की कहानी इस बात का प्रमाण है कि किसी भी विषय को रुचिकर बनाया जा सकता है, बस उसे सिखाने का तरीका सही होना चाहिए।

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