Why are women lagging behind in jobs? एक महिला किसी की बेटी, किसी की मां, किसी की पत्नी और न जाने कितने रिश्तों से बंधी हुई रहती है। जब से वह होश संभालती हैं, तमाम बंदिशों के बावजूद भी खुले आसमान में उड़ने का ख्वाब रखती हैं। वह भी अपना करियर बनाना चाहती हैं, खुद के बल पर खड़ा होना चाहती हैं लेकिन क्या वास्तव में ऐसा होता है? क्या सच में वह अपना कैरियर बना पाती हैं? बात करें महिलाओं के एजुकेशन की तो आज के समय में महिलाएं पुरुषों से एकेडमिक लेवल में आगे हैं। रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में लोअर सेकेंडरी एजुकेशन पूरी करने की दर ज़्यादा है। आज के समय में महिलाएं पहले से ज़्यादा शिक्षित हैं। आज की लड़कियां क्या नहीं कर रहीं, आसमान छू रही हैं। इसके बावजूद भी महिलाओं की बड़ी आबादी आज नौकरी से वंचित है।
क्या बताते हैं आकड़े?
2022 के आकडें के मुताबिक, लोअर सेकेंडरी एजुकेशन पूरी करने की दर महिलाओं में 88.8% तो वहीं, पुरुषों में 85.8% थी। इसके बावजूद लेबर फोर्स में 32.8% महिलाएं हीं सिर्फ शामिल हैं। महिलाओं में नौकरी के प्रति कम योगदान के पीछे का कारण बताते हैं कि 73 फीसदी भारतीय महिलाएं मां बनने के बाद नौकरी छोड़ देती हैं, जबकि 50 फीसदी महिलाएं अपने बच्चों के देखभाल के लिए 30 के उम्र में ही नौकरी छोड़ देती हैं।
नौकरी न करने के पीछे कारण
महिलाओं के करियर ग्राफ के गिरने के पीछे एक नहीं कई कारण हैं। घर, परिवार, बच्चे, ऑफिस की जिम्मेदारियों के चक्रव्यूह के बीच फंसने के बाद वो थक-हार के ऐसा निर्णय लेने पर मजबूर हो जाती हैं।
1. जिम्मेदारियों का बोझ
घर की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर पुरुषों की तुलना में ज़्यादा होता है। काम और पारिवारिक माहौल के बीच संतुलन बनाए रखने को लेकर महिलाएं हमेशा थका हुआ महसूस करती हैं। जिसका नतीजा यह होता कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज़्यादा तनाव में रहती हैं और आखिरकार न चाहते हुए भी महिलाओं को अपनी जिम्मेदारी के कारण अपने करियर को अलविदा कहना पड़ता है।
2. सुरक्षा की कमी
कई बार देखा जाता कि महिलाओं के करियर में उनके प्रति हो रहे अपराध अपनी कुदृष्टि डाल देता है। जिससे कामगार महिलाओं की भागीदारी कम हो जाती।
3. सही नौकरी का अभाव
महिलाओं को सिर्फ घर पर ही नहीं बल्कि कार्यक्षेत्र में भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है। उन्हें पुरुषों के समक्ष कम वेतन दिया जाता। आज भी करियर ग्रोथ, बराबरी के मौके के लिए महिलाएं संघर्ष करते हुए दिखती हैं।
4. आर्थिक समृद्धि बन रही रोड़ा
महिलाएं जब भी नौकरी करने का सोचती हैं तब उन्हें परिवार से बोल दिया जाता कि ‘हमारे पास तो सबकुछ है, तुम्हें नौकरी करने की क्या ज़रुरत?’ पारिवारिक आय में इजाफा भी महिलाओं को कई बार ऊंचे स्तर तक पढ़ने के बावजूद नौकरी न करने पर मजबूर करती है।