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कैसे करेगा ऑटोमेशन महिलाओं के जॉब मार्किट को प्रभावित?

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Swati Bundela
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लिंग असमानता कॉर्पोरेट जगत की एक कड़वी सच्चाई है। पर टेक्नोलॉजी और ऑटोमेशन इस आंकड़े पर कितना फर्क डालती है? क्या पुरुषो और महिलाओं पे इसका अलग प्रभाव पड़ता है? वीमेन, ऑटोमेशन एंड फ्यूचर ऑफ वर्क नामक रिसर्च जो कि इंस्टिट्यूट फ़ॉर वोमेन्स पालिसी रिसर्च नामक संस्था ने करवाई, उसके अनुसार परंपरागत महिला कार्य को इस ऑटोमेशन से ख़तरा है।

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कुछ ज़रूरी बातें

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1. रिसर्च के अनुसार, ऑटोमेशन पुरुषों और महिलाओं को अलग अलग तरीको से प्रभावित करती है।



2. इस स्टडी के अनुसार, ऑटोमेशन और उसके प्रभाव को लेकर किये जाने वाले वार्तालाप में लिंग को भी लाना चाहिए। वीमेन ओरिएंटेड नौकरियां जैसे केशियर, सेक्रेटरी और बूककीपिंग क्लेर्क्स जैसी नौकरियां को इस ऑटोमेशन से खतरा हो सकता है।
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3. ड्राइविंग जैसी नौकरी जहाँ ऑटोमेशन का काम नहीं है, वहाँ महिलाएं, सामाजिक बंधनो के कारण नौकरी नहीं कर सकती। इसी कारण उनकी नौकरियाँ ऑटोमेशन वाली है। दूसरी तरफ़ पुरुष अक्सर एक जगह से दूसरी जगह जा सकते हैं और ऑटोमेशन उन्हें प्रभावित नहीं करता।

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4. हर 7 पुरषों के लिए जो कि टेक्निकल जगह पे काम करते हैं, उनके लिए ऑटोमेशन खतरा है, लेकिन उसी जगह 10 महिलाएं भी उसी जगह काम करती हैं और उन्हें भी उतना ही खतरा है।

क्या ऑटोमेशन जॉब मार्किट को सही में प्रभावित करेगा?

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हम ने अलग अलग वर्किंग महिलाओं से जाके पूछा की आखिर वो ऑटोमेशन और जॉब मार्किट के बारे में क्या सोचती हैं। अनामिका भट्टाचार्य जोकि एस.बी.आई में काम करती है, उनका कहना है कि “आर्थिकता और जॉब मार्किट की आश्रय ऑटोमेशन और टेक्नोलॉजी पर दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि हमारे सारे जूनियर्स महिलाएं है, और इन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बहुत आसानी से रिप्लेस किया जा सकता है। इसका मतलब ये है कि महिलाओं का पुरुषों के समान नौकरी खोने के ज्यादा चान्सेस हैं। हम सब इस बात से अवगत हैं कि ऊँचे मकाम पे इस लिंग समानता में काफ़ी फर्क हैं, और ये खुद में ही वलीडटेड हैं”।



वैष्णवी तिवारी जोकि इडफसी बैंक में काम करती हैं, उनके अनुसार, “ हाँ ऐ आई मेरी नौकरी पर प्रभाव डालेगा। मेरे अनुसार महिलाओं और पुरुषों को इस से सामान प्रभाव पड़ेगा क्योंकि जॉब रोल्स और ज़िम्मेदारी दोनो महिलाओं और पुरषों के हैं आज के समय में। कोई भी प्रोफेशनल किसी भी सेक्टरमें इस चीज़ से प्रभावित होगा। फिजिकल लेबर का काम घटेगा”।
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इस बात को कैसे संभाले?



स्टेम में लिंग असमानता एक सच्चाई है। हर जगह महिलाये इन स्टेम के अलग अलग फ़ील्ड्स में नहीं दिखती। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस सिर्फ जॉब मार्किट को ही नहीं बल्कि लिंग असमानता पे भी प्रभाव डालता है। सिर्फ 22 प्रतिशत महिलाये इन ए.आई प्रॉफेशनल में आती हैं, पुरुष 78 प्रतिशत ए.आई क्राउड बनाते हैं।
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तिवारी ने आगे कहा “इस जॉब क्राइसिस को खत्म करने के लिए ऐसे नौकरियों को लाना पड़ेगा जिसमें की ह्यूमन इंटरेक्शन हो। मशीन्स डॉक्यूमेंटिंग का काम कर सकती हैं जबकि इंसान आइडेंटिटी चेक कर सकते है। जब बात आती है लोगों को नौकरी पे लगाने या निकलने की तो मनुष्यों का होना ज़रूरी है। तो इसका मतलब की ह्यूमन रिसोर्स जैसे नौकरी होना आवश्यक है”



शीतिका टंडन जो कि एक्सान मोबाइल के साथ काम करती है, उनका कहना है कि “सबसे सही तरीका मशीनों को और जागरूक करना रहेगा। कुछ भी काम एक एक्सपेरेंसड और साउंड इंसान द्वारा किया जायेगा तो अच्छे नतीज़े देगा। जितना ज्यादा वो खुद को बढ़ावा देगी और जितना ज्यादा वो अपने आप को आगे बढ़ाएगी उतना ही सही होगा। आखिर कर एक शशक्त औरत अपना रास्ता खुद ढूंढ लेगी।
#फेमिनिज्म
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