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पेहले समय में
पेहेले समय में तो विवाह करने का अलग ही ढंग था जहां लड़की 13 या 14 की हुई नही और उसका विवाह या तो उसके उम्र के लड़के या आधी उम्र के व्यक्ति से करवा दी जाती। इसमें लड़की की खुशी नही होती थी पर ज़बरदस्ती उसका विवाह करवा दिया जाता था। सिर्फ और सिर्फ ऊँचे खानदान की लड़कियों को आगे तक पढ़ने का मौका मिला ओर अपने पसंद की उम्र में विवाह करने को मिला जब वो स्याम तैयार थी।
आजकल की महिलाएं
ये समझना जरूरी है कि आजकल की महिलाओं के लिए विवाह अब एक मात्र उदेश्य नही रहा। आजकल लड़कियाँ अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद ही विवाह करने का निश्चित करती है। उन्हें ये पता है कि उनके पढ़ाई के बल बूते पर उन्हें एक नौकरी मिल सकती है जिस से वो आर्थिक रूप से किसी के दबाव में नही आएंगी।
नौकरी करने से एक औरत के अंदर का आत्म विश्वास जाग उठाता है और वो दृढ़ निश्चय बढ़ता है एक औरत अपने सोच को आगे बढ़ा सकती है और चूंकि वो आर्थिक रूप से किसी पे निर्भर नही हैं, वो परिवार के दबाव में न आकर किसी भी उम्र में विवाह करने की आज़ादी प्राप्त करती है।
एक मॉडर्न औरत सबसे पहले नौकरी कर तुरंत शादी नही करना चाहती बल्कि अपनी जगह बना कर और मेहनत करके खूब कामना चाहती है ताकि वो अपने परिवार की मदद कर सके। ये सबको पता है कि भारत जैसे देश में जहाँ लड़कियों पे इतनी पाबंधी है , विवाह इस पाबंधी को और कठोर बना देता है और हर कोई उस से बचना ही चाहता है।
सिर्फ आर्थिक रूप से ही नही बल्कि मानसिक रूप से भी तैयार होना
एक लड़की को विवाह से पहले सिर्फ आर्थिक ही नही बालाजी मानसिक रूप से भी तैयार होना पड़ता है। कुछ औरतों के लिए इस मानसिक स्तर से तैयार होना बोहोत आवश्यक है चाहे इसके लिए वो जितना समय ले।
अंत में यही कहा जा सकता है कि शिक्षा ही एक लड़की को अपने तौर से अपनी ज़िन्दगी जीने देता है और ये की सिर्फ विवाह ही एक औरत की ज़िन्दगी का मात्र लक्ष नही होता।