क्यों है भारत की अनेक महिलाएं मानसिक रोगों का शिकार ?

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Swati Bundela
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क्या समाज है इसका कारण?
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भारत में जहां औरतों और पुरुषों के लिए अलग अलग उनलिखत नियम है बर्ताव के, वहां पुरुषों से अपने भावों को छिपाने की उम्मीद होती है तो एक औरत को भावुक और कमज़ोर समझा जाता है। विश्व स्वाथ संघठन के अनुसार हर दिन 706 लोग डिप्रेशन के कारण आत्महत्या कर लेते है। लेकिन समाज ने डिप्रेशन को लेकर अपने मन में ये बेतर्क सोच अपना रखी है कि महिलाओं को इस बिमारी से ज्यादा गुजरना पड़ता है। असलियत में पुरुष, महिलाओं से ज्यादा इस मानसिक तनाव का शिकार होते है।

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क्यों होता औरतो के साथ ऐसा?

विवाहित ज़िन्दगी में खुश न रहना इस मानसिक बीमारी का एक बहुत बड़ा कारण है। कार्य की जगह पे दिक्कत या आर्थिक तंगी से पीड़ित एक पति अपनी पत्नी को मारता है तो एक पत्नी भावनात्मक रूप से कमज़ोर पड़ जाती है। कई जगह पे औरतें डिप्रेशन का शिकार घरेलू हिंसा या घर में परिवार वालो के दिये गए मानसिक तनाव की वजह से है। अक्सर देखा जाता है कि कई बार एक पत्नी या औरत आत्महत्या इस कारण करती है। जिया आत्महत्या के समय एवं प्रत्युषा बनर्जी की आत्महत्या के पीछे भी यही कारण था, मानसिक तनाव एवं हिंसा।
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सुंदरता और कॉस्मेटिक उद्योग एक कारण?
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कई लड़कियां जोकि अपने शरीर या रूप और रंग को लेकर अवर जटिल यानी कि इन्फीरियर महसूस करती है, कॉस्मेटिक एवं विज्ञापन में सुंदर लड़कियां देख उन्हें और निचला महसूस होता है। सुंदरता एवं कॉस्मेटिक के विज्ञापन पतली आकर की लड़कियों के साथ एक ऐसा संदेश देते है जिससे पता लगता है कि समाज में रह रहे लोगो को पतली एवं गोरी लड़कियां पसंद है। जब ऐसी लड़कियां इन कॉस्मेटिक को अपने ऊपर इस्तेमाल करती है और कुछ फर्क नही दिखता तो ये लड़कियां डिप्रेशन का शिकार होती है।
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क्या शादी के विज्ञापन एक एहम किरदार अदा करते है?
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जी हां। जब ये देखा और पढ़ा जाता है कि समाज में केवल सुंदर, टिकाऊ और कार्य करने वाली लड़कियों की आवश्यकता होती है, तो जिन लड़कियों के पास ये खूबियाँ नही होती वो इस मानिसक बीमारी की शिकार बनजाती है।

क्या ये सुलझ सकता है कभी?

इस मानिसक स्थिति का इलाज सिर्फ और सिर्फ सोच परिवर्तन से हो सकता है। हर 6 लोगो में एक इन्सान डिप्रेशन का शिकार होता है। सबसे बड़ी बात ये है कि समाज इसे एक मजाक के रूप में लेता है और मानसिक तकलीफे आज भी एक हराम बन रखा है। अगर महिलाओं के साथ ये रोका न गया तो इसका प्रभाव बच्चो पे एवं औरत पे खुद भारी पड़ सकता है।
सेहत