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जानिए क्यों लेखन महिलाओं को सशक्त करता है

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Swati Bundela
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जब जब कुछ लिखने लगती हूँ, तो महसूस होता है की कितनी शक्ति है मेरे पास. लिख पाना और लिख कर अपनी बात को दुनिया तक पहुँचाना एक सुपरपावर ही है.

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जानिए कैसे लेखन महिलाओं को सशक्त करता है.

१. खुद की आवाज़ 

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शब्द चाहे बोले जाए या लिखें, होते तो वो आपकी आपबीती ही है. अपनी कहानी लिख पाने का हुनर हर किसी के पास नहीं होता. अगर आप लिखती है. यह ही नहीं, नियमित रूप से अपनी कलम चला पाना, अपनी आवाज़ को दुनिया के सामने लाना हिम्मत वाला काम है.

२. लिखना एक थैरेपी है

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कभी-कभी मन में उमड़ते तूफानों को लिख कर, व्यक्त कर के ही सुकून मिलता है. कितनी बार, महिलाओं को अपनी उलझनों या समस्याओं को अंदर ही अंदर सहने के लिए कहा दिया जाता है. कितनी बार महिलाएं चुप्पी का सहारा ले जीती रहती है, संघर्ष करती रहती है. मगर लिख लेने से उनके मन के बोझ काम और मन शांत हो जाता है. लिखना चिकित्सीय है, मन और आत्मा दोनों के लिए.

३. ज्ञान ही सशक्तिकरण है

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लिखना बस टाइमपास या बेकार की हॉबी नहीं है. बल्कि लिखने से एप्टीटुड और वोकैबुलरी अच्छी होती है. लिखने से ज्ञान में विस्तार होता है और भाषा पर पकड़ मज़बूत. और रोज़ प्रैक्टिस कर,हम खुद की पुस्तक भी प्रकाशित कर सकते है. एक आदत, कितने लाभ, तो कैसे नहीं होगी हर नारी सशक्त?

४. लेख शेयर करना, न करना आपका निर्णय है

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निर्णय ले पाने का अधिकार और स्वतंत्रता सशक्त महिला होने का प्रथम संकेत है. लिखिय, व्यक्त कीजिये, शब्दों से एक संसार बनिये, मगर उसे सबसे बाँटना न बाँटना, आप पर निर्भर करता है.

५. समाज की महिलाओं की प्रेरणा बनिए

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उस महिला से ज़्यादा खुश और सशक्त कौन महसूस कर सकता है जिसके शब्द और आवाज़ समाज में कई लोगों को प्रेरित करते है. आपका लिखना सिर्फ आपके लिए ही नहीं, बल्कि आपके जैसी अन्य महिलाओं के लिए भी एक प्रेरणा का स्तोत्र है.



सोचन छोड़िए. कलम उठाइये, लिखिए. अपना ब्लॉग शुरू कीजिए. आज ही!
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