Advertisment

भारत की इन महिला एथलीट्स ने स्पोर्ट्स जगत में धूम मचा दी है

author-image
Swati Bundela
New Update

भारत की कुछ एथलीट्स ऐसी हैं जिन्होंने अपने जीवन में अनेक बाधाओं का सामना किया है। लेकिन फिर भी आज वे जिस ऊंचाई पर पहुंच गयी हैं, यह सराहनीय है। उनकी कहानी और जज़्बा आज के युवाओं को काफी प्रेरित करता है। आईये उनमे से कुछ के बारे में जानते हैं।

Advertisment




मिथाली राज - क्रिकेटर

Advertisment


मिथाली दक्षिण भारत से आती हैं और उनके दादा-दादी उनके क्रिकेट खेलने से सहमत नहीं थे। वह हैदराबाद से दिल्ली आ गयीं और उन्हें उपयुक्त सुविधाएं भी नहीं मिलीं। लेकिन उनके पास उनके माता-पिता का समर्थन था जो उन्हें सारी नकारात्मक चीज़ों से दूर रखता था। मिथाली अपने ओडीआई डेब्यू में शतक लगाने वाली सबसे युवा महिला खिलाडी हैं। वे अर्जुन अवार्ड और पद्मा श्री से भी सम्मानित हैं।

विनेश फोगाट - रेसलर

Advertisment


विनेश फोगाट जब काफी कम आयु की थीं, तब ही उनके पिता का निधन हो गया था। वे अपने अंकल महावीर सिंह फोगाट की कड़ी निगरानी में थीं। वे भी रेसलिंग करते-करते ही अपनी बाकी बहनों ने साथ बड़ी हुईं। वर्ष 2014 में उन्होंने एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता और अगले ही वर्ष 2015 में उन्ही खेलों में एक रजत पदक जीता। उन्होंने 2018 के कामनवेल्थ खेलों में 50 किलो फ्री स्टाइल रेसलिंग में स्वर्ण पदक जीता है।

साइखोम मीराबाई चानू - वेटलिफ्टर

Advertisment


साइखोम का जन्म एक गरीब घर में हुआ था और वे अपनी डाइट के लिए भी पैसे नहीं जुटा सकती थीं। उन्होंने अपने माता-पिता के साथ यह समझौता किया की अगर वे ओलंपिक्स के लिए क्वालीफाई नहीं कर पायीं तो वह यह स्पोर्ट छोड़ देंगी। वे रोज अपने घर से ट्रेनिंग सेंटर तक करीब 60 किलोमीटर साइकिल चला कर जाती थीं। उनकी कड़ी मेहनत रंग लायी और उन्होंने 2017 में विश्व वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत कर विश्व इतिहास बना दिया।

साइना नेहवाल - बैडमिंटन खिलाडी

Advertisment


नेहवाल ने बहुत भेदभावों का सामना किया है। वे हरयाणा की रहने वाली हैं जहां छोटे बच्चों के लिए कोई भी कोचिंग सुविधा नहीं थी। उनके पिता को दोस्तों, परिजनों, आदि से उनके लिए उधार लेना पड़ता था। लेकिन अब नेहवाल ने धूम मचा दी है। वे पद्मा श्री, पद्मा भूषण, अर्जुन अवार्ड, और राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित हैं।

हीना सिंधु - स्पोर्ट शूटर

Advertisment


हीना किसी नस की समस्या के चलते अपनी ट्रिगर फिंगर से जूझ रही थीं। उन्हें इसकी वजह से काफी चोटों से लड़ना पड़ा। अपने ट्रिगर को सुधारने के लिए उन्होंने ग्यारह मिनटों में दस शॉट सीरीज लगाने का टारगेट बनाया। लेकिन इन समस्याओं के बाद भी उन्होंने कई पदक जीते और वर्ष 2014 में उन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया।

रानी रामपाल - हॉकी खिलाडी

Advertisment


रानी के घर की वित्तीय स्तिथि ठीक नहीं थी क्यूंकि वे एक हॉकी स्टिक भी नहीं खरीद सकती थीं। चौदह वर्ष की उम्र में वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू करने वाली सबसे युवा खिलाडी हैं। साथ ही, वे 2010 में हुए विश्व महिला कप के लिए खेलने वाली सबसे युवा खिलाडी थी और उस समय वे सिर्फ 15 वर्ष की थीं। रानी के इंग्लैंड के खिलाफ किये गए एक गोल से भारत हॉकी जूनियर विश्व कप में कांस्य पदक भी जीता था।

सान्या मिर्ज़ा - लॉन टेनिस प्लेयर



सान्या एक मुस्लिम हैं और उन्हें बताया गया था की उन्हें छोटी स्कर्ट्स नहीं पहननी चाहिए क्यूंकि वह उनके लिए शर्मनाक होगा। जब उन्होंने पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मालिक से विवाह किया तब उनकी बहुत आलोचना हुई थी। उनपर देश के झंडे की इज़्जत न करने का भी आरोप लगा था। लेकिन इन सब आलोचनाओं के बाद भी सान्या ने भारत की विश्व भर में शान बढ़ा दी। वह दक्षिण एशिया की पहली महिला हैं जो यूएन वीमेन गुडविल एम्बेसडर की तरह नियुक्त हुई हैं।

पीवी सिंधु - बैडमिंटन खिलाडी



सिंधु ने आठ वर्ष की आयु में खेलना शुरू किया था और वे करीब 47 किलोमीटर तक ट्रेवल करती थीं। उनके कोच उनकी ज़िंदगी का रोल मॉडल रहे हैं। उन्हें उनके फ़ोन और उनकी पसंदीदा मिठाई से जबरजस्ती दूर रखा जाता था ताकि वे सिर्फ एक चीज़ पर ही अपना ध्यान केंद्रित कर सकें। वे अपने खेल के लिए इतनी गंभीर हैं कि उन्होंने अपनी बहन के विवाह को भी छोड़ दिया था। वे ओलंपिक्स में सिल्वर मैडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं।

मैरी कॉम - बॉक्सर



मैरी अपनी हाई स्कूल की पढाई को पूरा नहीं कर पायीं क्यूंकि वे बॉक्सिंग के लिए और भी ज्यादा भावुक होती जा रही थीं। उनके परिवार ने उनका समर्थन नहीं किया क्यूंकि उनके हिसाब से बॉक्सिंग एक महिला का खेल नहीं था। जब उनकी जीत की खबर पहली बार अखबार में छपी तब उनके पिता ने उन्हें काफी डाटा था। लेकिन फिर मैरी ने एक बार फॉर्म में आकर बॉक्सिंग को कभी खुद से अलग नहीं किया। उन्होंने अर्जुन अवार्ड, पद्मा श्री, राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड, आदि जीते हैं।

मनिका बत्रा - टेबल टेनिस खिलाडी



मनिका ने टेबल टेनिस चार साल की उम्र में खेलना शुरू किया था। उनकी ख़ूबसूरती की वजह से उनके पास कई मॉडलिंग प्रस्ताव आये, लेकिन उन्होंने उन प्रस्तावों को ढुकरा दिया। मनिका ने 2016 के दक्षिण एशियाई खेलों में तीन स्वर्ण पदक जीते। वर्ष 2018 के कामनवेल्थ खेलों में टेबल टेनिस सिंगल्स जीतने वाली वे पहली भारतीय महिला बनीं।
इंस्पिरेशन मिथाली राज रानी रामपाल #पीवी सिंधु #सान्या मिर्ज़ा
Advertisment