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जंग होने से किसी को क्या मिलेगा ? पूछती है यह फौजी की पत्नी

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Swati Bundela
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१४ फरवरी को हुए पुलवामा अटैक ने पूरे भारत को हिला कर रख दिया है। भारत ने इन हमलों में अपने जवान तो खोये ही हैं साथ साथ अनेक माता-पिता ने अपने बेटे, बच्चों ने अपने पिता और पत्नियों ने अपने पति भी खोये हैं। उन जवानों के शहीद होने का अफ़सोस पूरे भारत को है । देश की एक बहुत बड़ी जनसंख्या तो यह भी चाहती है कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ जल्द से जल्द जंग छेड़ दे परन्तु सवाल यह है कि क्या जंग छेड़ने से शहीदों के परिवारों का दुःख कम हो जायेगा? हम सब जानते हैं कि ऐसा नहीं होगा। तो फिर हमें क्या करना चाहिए?

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साराह रावत, जो फौजी की एक पत्नी हैं, ने इस वीडियो में भारत के लोगों से आग्रह किया है कि पाकिस्तान के खिलाफ जंग छेड़ने ने नारे लगाने से बेहतर है कि हम उनके परिवारों की दुःख भारी घडी में सहायता करें। उनके अनुसार लोगों को समझना चाहिए की इस जंग में भाग लेने के लिए फिर एक फौजी अपनी जान को जोखिम में डालेगा। फिर से एक फौजी की पत्नी ही विधवा होगी और उसके माता पिता अपने बेटे को खो देंगे। उनके अनुसार जंग किसी भी प्रकार का हल नहीं है।



https://www.facebook.com/shethepeoplehindi/videos/292261231447590/
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वह कहती हैं कि यदि लोग वास्तव में शहीदों की मदद करना चाहते हैं तो उन्हें उनके परिवार वालों की सहायता करनी चाहिए। केवल सोशल मीडिया पर अपना समर्थन दिखने से कुछ हासिल नहीं होता। इन जवानों के शहीद होने के पश्चात् इनके परिवारों को अनेक आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जरूरी है कि लोग उनकी मदद करने के लिए आगे आएं। उनकी पत्नियों और बेटियों को नौकरियों का प्रबंध होना चाहिए।

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"यदि आप चाहते हैं आपका फौजी आपके लिए लड़े तो आपको भी अपने फौजी के लिए लड़ना पड़ेगा।"



उन्होंने इस बात पर भी गौर करने को कहा कि एक फौजी की पत्नी जब अपने पति को यूनिफार्म पहनकर विदा करती है तो उसे पता नहीं होता की वह वापस लौटकर आएगा या नहीं। वह हमेशा एक डर में जीते हैं।



उन्होंने देश के युवाओं को आगे आकर फ़ौज में भर्ती होने के लिए और देश के लिए कुछ करने के लिए कहा। उनके अनुसार युवा पीड़ी को एक अच्छे नागरिक बनकर अपने देश के विकास में योगदान देना चाहिए।
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