Advertisment

कब कम होगी भारतीय शादियों में शोशेबाज़ी ?

author-image
Swati Bundela
New Update
हाल ही में, देश में शादियाँ खबरों में रही, कुछ टिप्पणियां भी हुई. क्या यह शानदार उत्सव फ़िज़ूल खर्ची और रेसोर्सेज़ की बर्बादी है? क्या हमें अपने तरीकों पर विचार करने की ज़रूरत है?

Advertisment


हम भारतीय शादियों में प्रथा और शोशेबाज़ी के नाम पर कुछ खतरनाक तरीकों को अपनाते है, जो गलत है. सुप्रीम कोर्ट का मानना है की शादियों में खाने की बर्बादी व पानी का दुरोप्योग होता है. इस सन्दर्भ में, दिल्ली सरकार ने सिमित संख्या में अतिथि व संस्थागत कैटरिंग वाली पॉलिसी का सुझाव दिया.

शादियों की आड़ में प्रकृति और रिसोर्सेज का बेलग़ाम इस्तेमाल पर नियंत्रण ज़रूरी

Advertisment


भोजन, पानी और बिजली - भारतीय शादियों में इन संसाधनों की बर्बादी होती है जो चिंता का विषय है. क्या हमारे दिमाग मै इस बारें में कोई प्रश्न नहीं आता? क्या भोजन की बर्बादी पर किसी को बुरा नहीं लगता? और नहीं लगता तप क्यों? जो खाना किसी की पेट भर सकता है, वो कचरे में पड़ा सड़ता है.

शादी में वेस्ट मैनेजमेंट एक अलग ही समस्या है जिसका समाधान ढूँढना ज़रूरी.

Advertisment


शादी जैसे निजी मामले में, कोर्ट का मजबुरन दखल देने की स्तिथि आना, एक सदेश है की हम लोग कुछ गलत कर रहे है. उत्साह और खुशियों के नाम पर, हम प्रकृति और इंसानियत को शर्मिंदा कर रहे है. पढ़े लिखें शहरी लोगों भी जागरूक नहीं, इसलिए उन्हें बर्बादी से फर्क नहीं पड़ता. समाधान सिर्फ जागरूकता है.

खर्च और बर्बादी एक बात नहीं है. चीज़ों की बर्बादी का हक़ किसी को नहीं है.

Advertisment


चीज़ों पर बैन समस्या का हल नहीं.



बिना जागरूकता के बस, चीज़ों पर बैन लगा देने से कुछ हल नहीं निकलेगा. ग्लैमर या प्रतिष्ठा के लिए की जाने वाली शोशेबाज़ी रोकने के लिए सोच में बदलाव अनिवार्य है.
Advertisment




अगर आप पटाखों या बिजली के ज़्यादा इस्तेमाल का तिरस्कार करेंगे, तो लोग भी देखा-देखी में बदलेंगे. और रही बात खाने की तो कई ऐसी संस्थाएं है जिनकी मदद से खाना सही लोगों तक पहुँच सकता है, जिन्हे भूँक पता है. इन लोगो के आशीर्वाद और सच्ची दुआ से, दम्पति का जीवन खुशहाल होगा.



Pic by MyAdvo.in
#फेमिनिज्म शादी सुप्रीम कोर्ट
Advertisment