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क्या हम आज भी सही मायनो में आज़ाद है ?

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Swati Bundela
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क्या हम आज भी सही मायनो में आज़ाद है ? ये वो प्रश्न है जो अक्सर मै अपने आप से पूछती हूँ । आज़ादी के 73 सालों बाद भी हम अपने जीवन में आज़ादी पाने के लिए संघर्ष करते है । खासतौर पर महिलायें चाहे वो किसी भी उम्र में अपने किसी भी प्रोफेशन को फॉलो करने की आज़ादी हो या समाज की रूढ़ियों को तोड़कर आगे बढ़ने की आज़ादी हो, चाहे रात को घर देर से आने की आज़ादी हो या अपनी पसंद के कपडे पहनने की । महिलाओं और लड़कियों को हर बार अपनी आज़ादी के लिया समाज की रूढ़ियों को तोड़ने की ज़रूरत पड़ी है । हर बार अपने हक़ हासिल करने के लिए आगे बढ़ना पड़ा है ।

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आइये जानते है आज महिलाओं को किस तरह से आज़ादी हासिल करने की ज़रूरत है ।

1. रूढ़िवादी सोच से आज़ादी

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महिलाओं को समाज की रूढ़िवादी सोच से आज़ादी चाहिए । लोगो ने महिलाओं के लिए सख्त नियम और कायदे बना रखे हैं जो सिर्फ और सिर्फ महिलाओं पर लागू होते है । नियम और कानून किसी भी मनुष्य में अनुशासन लाते है पर वही कानून सिर्फ महिलाओं के लिए ही नहीं बल्कि सभी के लिए होने चाहिए । लड़कियों की पढ़ाई करियर या शादी की कोई निर्धारित उम्र नहीं होनी चाहिए । उन्हें उनके हिस्से का खुला आसमान मिलना चाहिए ।

2. सुरक्षित रहने की आज़ादी

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इस बात से तो हम सब वाकिफ है की महिलाओं की सुरक्षा हमारे देश में एक एहम मुद्दा है । इसी वजह से हमारा देश प्रगति नहीं कर प् रहा है । चाहे वो छोटी बच्चियां हो या किसी भी उम्र वर्ग की महिलाये हो कोई भी महिला कभी भी इस तरह के शोषण से नहीं बच पाई है । हमे अपने देश को सुरक्षित बनाकर महिलाओं को आज़ादी से कभी आने -जाने का हक़ देना होगा ।

3 . अपनी मर्ज़ी से जीवन में आगे बढ़ने की आज़ादी ।

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चाहे वो करियर बनाना हो या पढ़ाई करना हो या शादी करना ये एक लड़की की खुद की मर्ज़ी होनी चाहिए कोई भी निर्धारित उम्र या किसी तरह का दबाव नहीं ।एक लड़की के पास इतनी आज़ादी होनी चाहिए की वो अपने सपनो को अपने दम पर पूरा कर सके ।

4. हर लड़की के पास अपने माता -पिता का ध्यान रखने की आज़ादी होनी चाहिए



हर लड़की अपने माता -पिता से बहुत प्यार करती है पर भारत जैसे देश में न जाने उस बेटी को पराया क्यों कर दिया जाता है । हर लड़की के पास आज़ादी होनी चाहिए की वो शादी के बाद भी अपने माता पिता का ध्यान रखे । हर लड़की से उम्मीद रखी जाती है की वो शादी के बाद अपने ससुराल का  ध्यान रखे पर अगर ये न्य घर उसकी ज़िम्मेदारी है तो उसका अपना घर और माता -पिता भी तो उसकी ज़िम्मेदारी है । अगर वो उन माता- पिता की न हो सकी जिन्होंने उसे जन्म दिया ,इतना बड़ा किया तो वो किसी और की कैसे होगी ।
#फेमिनिज्म
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