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क्यों रखता है हमारी त्वचा का रंग हमारे जीवन में इतनी एहमियत?

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Swati Bundela
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भारत में शरीर के रंग को लेकर भेद भाव हमेशा से रहा है। लोगों ने शुरुआत से ही गहरे रंग को मन से नही स्वीकारा। भारत मे बहुत ऐसे लोग है जिन्हें गोरे रंग के अलावा कुछ नही भाता।

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शादियों का समय



ये देखा जाता है कि विवाह में आज भी लड़कियों का गोरा होना बहुत ही आवश्यक है। गोरे रंग को एक उच्च स्तर के लोगो से जोड़ा गया। ये भेद भाव भारत में अंग्रेज़ो के आने से ज्यादा बढ़ा। आज भी विवाह विज्ञापन में ये देखा जाता है कि लड़की की पढ़ाई और खूबियों से ज्यादा उसके रंग और आकार पे ध्यान दिया जाता है ।

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इतिहास क्या कहता है?



इतिहास में उत्तर भारत में एक समय में आर्यन रहते है, उन्हें एक आदर्श कबीले के रूप में देखा जाता था। वो लंबे, गोरे एवं दिखने में काफी मनोवांछित होते है। लोगों का रंग को लेके आकर्षण इस वजह से भी बढ़ता है।

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गोरे रंग को एक उच्च स्तर के लोगो से जोड़ा जाता है । ये भेद भाव भारत में अंग्रेज़ो के आने से ज्यादा बढ़ा। आज भी विवाह विज्ञापन में ये देखा जाता है कि लड़की की पढ़ाई और खूबियों से ज्यादा उसके रंग और आकार पे ध्यान दिया जाता है ।



कॉस्मेटिक इंडस्ट्री

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भारत में कॉस्मेटिक एवं स्किन ब्लीचिंग के सामान सॉफ्ट ड्रिंक्स से भी ज्यादा बिकते है बीबीसी के रिपोर्ट के अनुसार। आजकल का नौजवान अपने रंग को लेकर इतना सावधान है कि अगर उसका रंग भूरा है, तो लोग उसे पसंद नही करेंगे। रवांडा में अभी कॉस्मेक्टिक क्रीम एवं स्किन ब्लीचिंग के सामान बिकने बंद होगया। इनपे प्रतिबंध लगा दिया गया है।



रवांडा ने अपने देश से कुछ ऐसे लोगो को अलग अलग देशो में भेजा ताकि वो इस समाचार को फैला सके। अक्सर इन कॉस्मेक्टिक सामान से हमारे चमड़े को फायदा पहुँचने से ज़्यादा नुकसान पहुँचता है।
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 रहना सीखे अपने रंग से खुश



अंत में यही कहा जा सकता है कि सबको अपने रंग से खुश रहना चाहिए, और अपने ऊपर भरोसा कर अपने आप को अच्छे से सवारना ही एक आदर्श कदम है। किम करदाशियां जैसे जाने माने सेलेब्रिटीज़ जब सर्जरी करवाते है, तो वो साथ साथ कई लोगो की उम्मीद को ऊचां करदेते है, जोकी गलत है। कई कई बार लोग डिप्रेशन का शिकार इसके कारण ही होते है। इस से हमें जल्द ही मुक्ति पाने की आवश्यकता है, ताकी हम रंग से आगे बढ़ प्रगति के बारे में सोचे।
#फेमिनिज्म
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