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ममता बनर्जी की जीवनी लिखने में चुनौतियों पर बोली शुतापा पॉल

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Swati Bundela
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राजनीतिक जीवनी लिखना आसान नहीं, खासकर जब ममता बनर्जी जैसी प्रभावशाली व्यक्ति की जीवनी लिखे. विमेन राइटर्स फेस्ट, कोलकाता के पैनल में विषय-राजनीतिक जीवनी की चुनौतियां - पर चर्चा में, लेखिका स्वाती सेनगुप्ता के साथ, दीदी: द अनकॉल्ड ममता बनर्जी की लेखिका शुतापा पॉल थी. पॉल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के जीवन और चुनौतियों के बारें में लिखा.

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दीदी एक महिला की ज़िन्दगी के बारें में है



पॉल ने बताया कि वह ममता बनर्जी की यात्रा से काफी प्रेरित है. "मेरे लिए, वह एक दिलचस्प किरदार है, लिखने के लिए. एक उपन्यास की तरह, वह कहानी की नायिका है. मैंने उनके साहस, कौशल, कमजोरियों और गलतियों के बारें में लिखा है."

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भारत में, इतनी प्रतिष्ठित महिला राजनेता बहुत कम है



पॉल का मानना ​​है कि, एक महिला के रूप में, उन्होंने बनर्जी के बारे में लिखने में गर्व महसूस हो रहा है. "मैं चाहती हूं, सब इस पुस्तक को पढ़े, चाहे वो उन्हें पसंद करे या नहीं. उनकी खामियां और सहस, उनकी चरित्र की ख़ूबसूरती है."

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चुनौतियां के बारें में



पॉल ने फरवरी की बात को याद किया, जब वह बनर्जी से मिली, आशीर्वाद लिया, मगर इंटरव्यू नहीं ले पाई. "चुनौती तो बहुत है. खासकर जब आप एक सक्रिय राजनेता के बारें मै लिखना चाहते है. व्यक्तिगत रूप से व्यक्ति को जानना बेहतर विकल्प है. आप आंतरिक रूप से उस जीवन को देखते हैं. हालांकि, मैं इस पुस्तक में अपना खुद का दृष्टिकोण पेश कर पाई."

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प्रभावशाली व्यक्ति पर लिखने में दबाव हर समय, चाहे लेखन के दौरान या बाद में, रहता ही है. "मुझे ममता के बारे में लिखने के लिए तीन गुना अधिक काम करना पड़ा, लेकिन यह मेरे लिए भी एक अनुभव भरी प्रक्रिया थी."

"आलोचना महत्वपूर्ण है, वास्तविक प्रगति के लिए."

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पॉल ने कहा कि जीवनी लिखने से बनर्जी ने राज्य के साथ क्या किया है, इस बारे में वह अपनी राय लोगो के समक्ष रख पाई है. "राष्ट्रीय मीडिया बंगाल में प्रगति के बारे में बात नहीं करते हैं या कवर नहीं करते हैं. गर्व करने के लिए बहुत सी चीजें हैं और साथ ही, मुद्दे भी."



पुस्तक बंगाल के नेतृत्व में बनने वाली सामाजिक प्रगति के बारे में बात करती है. साथ ही, यह उन क्षेत्रों की भी बात करती है जहाँ अभी कार्य की आवश्यकता है. "हम जो महसूस करते हैं उसके बारे में बात करना महत्वपूर्ण है." अगर हम इसके बारे में बात नहीं करते हैं तो कुछ भी नहीं बदलेगा. बनर्जी के बचपन का वर्णन पॉल के लिए एक बड़ी चुनौती थी.
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बनर्जी के राजनीतिक यात्रा के सबसे कठिन चरण पर लिखना एक चुनौती थी.



पॉल ने 2006 में बनर्जी के जीवन के चरण को याद किया, जिसे उन्होंने 'संसद में उनकी जंग' बताया. "एनडीए के साथ गठबंधन सबसे कठिन समय था. लोगों ने बनर्जी को नोटिस किया, इसलिए वह आत्मविश्वास और उत्साह के साथ वापस आई. उन्होंने हार नहीं मानी इसलिए आगे बाद पाई."
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आप जीवनी एक चरित्र की योग्यता के लिए लिखते हैं



पॉल बताती है, "लोग अक्सर मुझसे पूछते हैं कि क्या मैं अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस पार्टी की प्रशंसक हूं. मेरा जवाब यह है कि मैंने ममता बनर्जी के व्यक्तित्व केंद्रित पुस्तक लिखी है. आपको किसी व्यक्ति की क्षमता में विश्वास होना चाहिए और यही मायने रखता है."



उन्होंने 2014 के चुनावों में एक प्रमुख भूमिका निभाई. 2019 के चुनावों में, उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए, पुस्तक लिखी गई है.

"उनकी यात्रा, एक आम महिला से एक राजेनता तक की, प्रशंसनीय है"



पॉल ने कहा कि एक प्रभावशाली व्यक्ति की यात्रा में संघर्ष भरे प्रारंभिक वर्ष सबसे महत्वपूर्ण है. "प्रारंभिक वर्ष एक व्यक्ति के बारें में बताते है, जिन्हे ध्यान से लिखना और पढ़ना चाहिए"
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