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लड़कियों के लिए करियर के रूप में खेल को चुनना स्वाभाविक होना चाहिए - सानिया मिर्ज़ा

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Swati Bundela
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विश्व रैंक 16 के साथ वो आज भी दृढ़ निश्चय से भरी हैं और ऐसे रूढ़िवादी सोचो को खत्म करने में सफल हुई हैं। फिकी के साथ हुई वार्तालाप में सानिया ने उन बंधनो के बारे में बात की जो उन्हें आगे बढ़ने के लिए तोड़ने पड़े , इसपे की खेल को भी लड़कियों के लिए एक करियर के रूप में देखा जाना चाहिए.

समाज की सोच को बदलना

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“लोग मुझसे पूछते थे कि क्या मैं मार्टिना हिंगिस की तरह बन पाऊंगी, या धूप में खेलने से मेरी त्वचा काली तो नहीं हो जाएगी, क्या मैं कभी विंबलडन खेल पाऊंगी या नहीं, क्या हुआ अगर ये टॉम बॉय बन गयी तो। इन सब बातों पे मेरे माता पिता को मेरे साथ खड़े रहना पड़ा। "

नौजवान लड़कियों के लिए प्रेरणा

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“आज भी क्रिकेट जैसा खेल सबको पसंद है पर लड़कियों के लिए खेल सम्बंधित सपने आज भी अनसुने हैं। आज हैदराबाद एक बड़ा शहर है पर पेहले नहीं था। हम ऐसे कोर्ट में खेलते थे जो गाय के गोबर से बना होता था। मेरे माता पिता को समाज से लड़ना पड़ा ताकि मैं खेल पाऊं। आज मुझे ये सोच के बहुत अच्छा लगता है कि मैं नौजवान लड़कियों को और उनके माता पिता को प्रेरित कर सकती हूँ”।

खेल में बराबर रोज़गार 

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“हम बराबरी और नारी सशक्तिकरण के बारे में बात करते है पर आज भी एक पुरुष प्रधान समाज में रहते हैं। टेनिस में भी हमें के समझना पड़ता है कि आखिर क्यों हमें भी वही रोज़गार मिलना चाहिए और ये रोज़गार असंतुलन पूरी दुनिया में हो रहा है।"

आज भी उनका खेल के प्रीति प्रेम और समर्पण कोर्ट में दिखता है और हर हैदराबाद के खेल में आप उन्हें देख सकते हैं। ऐसी नारियों पे पूरी दुनिया को गर्व होना चाहिए।
इंस्पिरेशन
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