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अर्चना शर्मा
अर्चना शर्मा जिनेवा, स्विट्जरलैंड में सर्न प्रयोगशाला में एक वरिष्ठ स्टाफ वैज्ञानिक हैं। वह मुख्य रूप से इंस्ट्रूमेंटेशन खासकर गैसीय डिटेक्टर पर काम करने के बाद 1989 से क्षेत्र इस में सक्रिय है। वह पिछले तीन दशकों में तार कक्षों, प्रतिरोधक प्लेट कक्षों और सूक्ष्म पैटर्न गैसीय डिटेक्टरों पर सिमुलेशन और प्रयोग की अग्रणी हैं।
भारत के बनारस हिन्दू विश्विदयालय, वाराणसी से न्यूक्लियर भौतिकी में स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद, अर्चना ने अपनी पार्टिकल फ़िज़िक्स में पीएचडी की। 1989 में दिल्ली विश्वविद्यालय से यह मान्यता प्राप्त की। इसके बाद “इंस्ट्रूमेंटेशन फॉर हाई एनर्जी फिजिक्स” पर भी इन्होने काम किया। 1996 में जिनेवा विश्वविद्यालय से शर्मा ने 2001 में जिनेवा में अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय से एक कार्यकारी एमबीए की डिग्री भी हासिल की। वह उच्च ऊर्जा भौतिकी में अनुसंधान के लिए गैसीय डिटेक्टरों पर अपने प्रयोगात्मक कार्य के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विशेषज्ञ हैं।
टेसी थॉमस
टेसी थॉमस का जन्म वर्ष 1963 में हुआ था। वे एक भारतीय वैज्ञानिक और वैमानिकी प्रणालियों की महानिदेशक के साथ-साथ रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन में अग्नि- IV मिसाइल के पूर्व परियोजना निदेशक भी हैं। वह भारत में एक मिसाइल परियोजना का नेतृत्व करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक हैं। उन्हें भारत की 'मिसाइल वुमन' के रूप में जाना जाता है।
नागराजन पद्मावती
नागराजन पद्मावती ने एक बेहतर और पानी शुद्ध करने की प्रणाली की परियोजना पर काम किया है। वे इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस, बेंगलुरु के मटेरियल इंजीनियरिंग विभाग से सम्बन्ध रखती हैं। वर्ष 2015 में उन्होंने अपने बाकी वैज्ञानिकों के समूह के साथ एक पानी शुद्ध करने वाली प्रणाली का निर्माण किया जो छोटे से छोटे जीवाणु को निकाल सकती थी। पानी से जुडी बीमारिया लोगों को भरी मात्रा में परेशां करती हैं।
रितु करिदल
रितु करिदल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ काम करने वाली एक भारतीय वैज्ञानिक हैं। वह भारत के मंगल कक्षीय मिशन, मंगलयान के उप-संचालन निदेशक थीं। उन्हें भारत की "रॉकेट वुमन" के रूप में जाना जाता है। वह लखनऊ में पैदा हुई थी और एक एयरोस्पेस इंजीनियर थी। उन्होंने पहले भी कई अन्य भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन परियोजनाओं के लिए काम किया है और इनमें से कुछ के लिए संचालन निदेशक के रूप में काम किया है।
सुप्रिया वी वर्तक
सुप्रिया वी वर्तक ने एक ऐसे अणु की खोज में अपना योगदान दिया है जिसे जरिया हम कैंसर की बीमारी को जड़ से खत्म कर सकते हैं। इस ड्रग का नाम "डिसारीब" है जो प्रोटीन को ज्यादा मात्रा में पैदा कर कैंसर के कडों को खत्म कर सकता है। हालांकि यह ड्रग अभी ट्रायल के लिए इस्तमाल किया जा रहा है।