Advertisment

हम बलात्कार के बारे में क्या बात करते हैं और क्या नहीं करते: सौहाला अब्दुलली

author-image
Swati Bundela
New Update

Advertisment

#MeToo के चलते, अब्दुलली, सबके बारे में उचित प्रश्न पूछती है जिसके मारें में बात करते है या नहीं.
मुंबई में जन्मी, अब्दुलली ने ब्रांडिस यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र व सोशियोलॉजी में बी.ए. और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एम. ए. इन कम्युनिकेशन्स की है. फ़िलहाल व नई यॉर्क में सपरिवार रहती है.
Advertisment

हमने अब्दुलली से उनकी पुस्तक- 'व्हाट वी टॉक अबाउट जब वी टॉक अबाउट रेप', और उन सब विषयों पर बात की जो अक्सर हम नहीं करते.

'व्हाट वी टॉक अबाउट व्हेन वी टॉक अबाउट रेप'

Advertisment

अपनी पुस्तक के माध्यम से, अब्दुलली ने काफी ज़रूरी प्रश्न पर बात की है. उन्होंने पुस्तक क बारें में बताया कि किताब पिछले कुछ सालों के विचारों का नतीज़ा है. "मुझे मालूम है, कुछ किस्सों के बारें में लिखना असंभव लगता है, क्यूंकि मेरा बलात्कार मेरे जीवन में सबसे बड़ी घटना नहीं है. मैंने इस मुद्दे विचार किया और काम किया. दुनिया में कई कहानियाँ है." अब्दुलली

बलात्कार पर पर्याप्त बात नहीं होती

Advertisment

अब्दुलली का मानना ​​है कि हमारे समाज में बलात्कार के बारे में ही बात करना गलत मन जाता हैं. 1983 में, महिला पत्रिका मनुशी में अब्दुलली ने अपना किस्सा प्रकाशित किया जिससे काफी हलचल हुई थी.
भारत के बारे में, अब्दुलली का कहना है कि भारत में महिलाएं, शिक्षित मध्यम वर्ग में भी शर्म के चलते सार्वजनिक रूप से बलात्कार रिपोर्ट नहीं करती है.
Advertisment

"समाज की सोच अलग अलग है. कुछ का मानना ​​है कि विवाह में कन्सेंट कोई मुद्दा नहीं. कुछ सोचते हैं कि सेक्स वर्कर्स के साथ बलात्कार नहीं हो सकता. यदि आप कुंवारी हैं तो बलात्कार बुरा है, वही कुछ सोचते हैं कि यह बुरा नहीं है" - अब्दुलली


हम अभी तक कन्सेंट का अर्थ नहीं समझ पाए, और वही अब्दुलली का कहना है कि वह इस धारणा से असहमत हैं कि सभी समाज एक जैसे हैं। विभ्भिन समाजों में कन्सेंट के लिए अलग-अलग भावना है.
Advertisment

"हम ज़िन्दगी में आगे बढ़ने वाली महिलाओं को भी जज करते है, और न बढ़ पाने वाली को भी"


ट्रामा पर भी कई गलत धारणाएं हैं. अब्दुलली का मानना ​​है कि सर्वाइवर के सर पर तलवार रख दी जाती है."हम उन लोगो को बांध कर रखना चाहते है"
Advertisment

दुनिया भर में, चाहे वह आयरलैंड में महिलाएं हैं, जो हैशटैग #ThisIsNotConsent के साथ फोटो पोस्ट कर आयरलैंड के सिस्टम पर गुस्सा हो या राष्ट्रपति ट्रम्प की फोर्ड पर टिप्पणी हो, अब्दुलली का मन है की "सर्वाइवर पूरा बोझ डाल देना बकवास है!"

publive-image

बलात्कार जेंडर स्पेसिफ़िक नहीं


उनका कहना है कि बलात्कार जेंडर स्पेसिफ़िक नहीं है. उन्होंने अपनी पुस्तक में एक पुरुष की आपबीती का उल्लेख भी किया है. "पुरुषों के के साथ बलात्कार पर भी बातचीत नहीं होती. यह, कई अन्य चीजों में से एक है जिसके बारे में हम बात नहीं करते"

बलात्कार और शक्ति


पुस्तक में अब्दुलली ने बलात्कार और शक्ति के बीच संबंधों पर भी चर्चा की. "यह हमेशा शक्ति के बारे में है. पर हमेशा सिर्फ और सिर्फ शक्ति के बारें में नहीं"

पुरुषों के लिए यह पुस्तक और भी महत्वपूर्ण है, वह कहती है, "हर किसी के लिए किताब महत्वपूर्ण है", यह समाज के हर वर्ग के लिए है. पुस्तक के पहले ड्राफ्ट पर अब्दुलली ने लगभग छह महीने का समय लिया, जो तीन दशक का परिणाम है. "6 महीने पहले ड्राफ्ट पर, फिर कुछ महीने संपादन पर, अलग-अलग देशों के संपादक द्वारा" अब्दुलली

लेखन प्रक्रिया


"लोगों की कहानियों ने पुस्तक की सरंचना में काफी योगदान दिया, जो सब बातचीत का परिणाम है"


पुस्तक अब्दुलली की दुनिया भर के सर्वाइवर से बातचीत का समूह है. व्यक्तिगत कहानियां ज़्यादा बेहतर उल्लेख करता है. तो, इस लेखन प्रक्रिया को कैसे किया गया है? "यह शानदार था!" वह याद करती है कि हर व्यक्ति से की हुई बातचीत मददगार थी"

"यदि अधिकार कागज पर मौजूद नहीं, तो बदलाव के लिए क्या उम्मीद?" - अब्दुलली


आखिरकार, हमने उनसे पूछा कि 2012 निर्भया बलात्कार ने देश की चुप्पी तोड़ी थी, पर इस साल कथुआ बलात्कार के मामले में मानवता के अस्तित्व पर सवाल आ गया था. तीस साल पहले और आज भी कुछ नहीं बदला. तो, सबसे तात्कालिक परिवर्तन क्या है कि हमारे देश में आना ज़रूरी है? जिससे पुरुष की मानसिकता बदल जाए?

उनका जवाब, "मैं किसी एक बदलाव के बारे में नहीं सोच रही जो सब बदल देगा. मुझे लगता है कि लॉ द्वारा समानता सुनिश्चित करने के साथ है ही बदलाव आएगा."

#फेमिनिज्म सशक्त महिलाएं पुस्तकालय लेखिका पुस्तक सर्वाइवर
Advertisment