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1. पा
इस फिल्म में जहाँ जेनेटिक डिसऑर्डर "प्रोजेरिया" के बारे में बात किया गया है वहीं दूसरी तरफ इसमें पेरेंटिंग को भी काफी इम्पोर्टेंस दी गई है। अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन और विद्या बालन अभिनीत इस फिल्म में एक 12 साल के बच्चे की कहानी बताई गई है जो अपनी सिंगल मदर के साथ रहता है और प्रोजेरिया नामक बीमारी से गुज़र रहा है। इस बीमारी से लड़ते हुए उसे अपने पिता के बारे में पता चलता है और जिसके बाद वो उनके प्रजेंस को एक्सेप्ट करने की कोशिश करता है।
2. तारे ज़मीन पर
आमिर खान और दर्शील सफारी अभिनीत इस फिल्म में "डिस्लेक्सिया" नामक बीमारी से लड़ रहे बच्चे की कहानी है। इस फिल्म में एक पैरेंट की अपने बच्चे को समझ पाने की असमर्थता को दर्शाया गया है। इस फिल्म के ज़रिये इस बात को भी प्रमोट किया गया है कि हर बच्चे का ग्रोथ रेट अलग होता है और इसलिए अगर हम उनको प्यार से हैंडल करें तो हर बच्चा अपनी पूरी पोटेंशियल को अनकवर कर सकता है।
3. पीकू
अमिताभ बच्चन, इरफ़ान खान और दीपिका पादुकोण अभिनीत इस फिल्म का मेन फोकस रहा है फादर और दोघ्तीर का रिलेशनशिप। इस फिल्म के ज़रिये जो सबसे इम्पोर्टेन्ट बात दर्शकों तक पहुंचाने की कोशिश की गई है वो ये कि पेरेंट्स एक उम्र के बाद आप पर डिपेंडेबल हो सकते हैं और ऐसे में आपको उनका सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम बनना चाहिए। पेरेंट्स के ओल्ड एज में वो कैसे अपने बच्चों के साथ ताल-मेल बैठाते हैं ये इस फिल्म में बड़े अच्छे से दिखाया गया है।
4. छिछोरे
सुशांत सिंह राजपूत और श्रद्धा कपूर अभिनीत इस फिल्म में आज के कॉम्पिटिटिव वर्ल्ड के बारे में बताया गया है। पेरेंट्स के कॉलेज गोइंग डेज के साथ कंट्रास्ट करती हुई बच्चों के कॉलेज एडमिशंस को लेकर चल रही परेशानियों को दर्शाते हुए इस फिल्म के थ्रू दर्शकों तक कई पेरेंटिंग लेसंस पहुंचाने की भी कोशिश की गई है। पेरेंट्स के बच्चों को लेकर ज़रूरत से ज़्यादा एक्सपेक्टेशंस को कैसे डील किया जाए ये भी फिल्म में बखूभी दिखाया गया है।
5. राज़ी
आलिया भट्ट अभिनीत इस फिल्म का मेन हाईलाइट है 1971 का भारत-पाक युद्ध। लेकिन इन सबके बीच जो सबसे बड़ा प्लाट है वो एक मामूली लड़की की ज़िन्दगी का है जो अपने पिता के अधूरे काम को पूरा करने में लगी हुई है। इस फिल्म में पेरेंट्स और बच्चों एक बीच की अंडरस्टैंडिंग को दिखाया गया है और साथ ही साथ ये भी बताया गया कि कैसे पेरेंट्स की रिस्पांसिबिलिटी बच्चों को शेयर करनी पड़ती है। इस फिल्म के ज़रिये ये भी दिखाया गया है कि बच्चों के इनर-स्ट्रेंथ को डेवेलोप करना क्यों ज़रूरी है।