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5 कानून जिनका हर शादीशुदा महिला को पता होना चाहिए।
1. राइट टू मेंटेनेंस बाइ हसबैंड (Right To Maintenance By Husband)
1973 के क्रिमिनल प्रोसिजर कोड (Criminal Procedure Code) की धारा-125 के मुताबिक एक शादीशुदा महिला को यह हक दिया जाता है कि वह अपने पति से सुख-सुविधा की मांग कर सकती है। इसी के साथ, धारा-125 के अनुसार तलाक के बाद भी पत्नी को पति से बुनियादी सुख-सुविधाएँ मिलती रहेंगी, जबतक की पत्नी की दूसरी शादी नहीं हो जाती।
2. राइट टू रेज़िडेन्स (Right To Residence)
2005 के घरेलू हिंसा अधिनियम (Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005) की धारा-17 महिलाओं को यह हक देती है कि वो तलाक के बाद भी अपने पति के घर में रह सकती हैं। महिला को उसके पति के घर से नहीं निकाला जा सकता है, जबतक की वह खुद वहाँ से न जाना चाहे।
3. मैरिटल रेप कानून (Marital Rape Laws)
बिना पत्नी की मर्ज़ी के उसके साथ पति द्वारा जबरन सेक्स करना, मैरिटल रेप कहलाता है। और आजतक यह भारत में एकदम वैध (legal) है। भारतीय दंड संहिता की धारा-365 के तहत भी मैरिटल रेप को कोई खास जगह नहीं मिल पाई है। इस धारा के तहत मैरिटल रेप केवल तब माना जाएगा जब पत्नी की उम्र 15 साल या उससे कम की होगी।
4. तलाक का आधार (Grounds For Divorce)
विवाह-विच्छेद अधिनियम, 1869 (Indian Divorce Act, 1869) के तहत पति और पत्नी एक-दूसरे के खिलाफ तलाक की याचिका दायर कर सकते हैं। याचिका तब लगाई जा सकती है जब -
- रिश्ते में व्यभिचार किया गया हो
- रिश्ते को आगे चलाने से मना कर दिया हो
- रिश्ते में क्रूरता का व्यवहार किया गया हो
- पति या पत्नी में से किसी ने धर्म परिवर्तन कर लिया हो
- पति या पत्नी में से कोई भी यदि विवाह के बाद 7 वर्ष तक गायब हो जाता है तथा उसके संदर्भ में किसी को कोई जानकारी नहीं रहती है , आदि ।
5. तलाक से संबंधित
हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13-बी में प्रावधान किया गया है कि यदि पति-पत्नी एक वर्ष या उस से अधिक समय से अलग रह रहे हैं तो वे यह कहते हुए जिला न्यायालय अथवा परिवार न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं कि वे एक वर्ष या उस से अधिक समय से अलग रह रहे हैं। और उनका एक साथ निवास करना असंभव है व उन में आपस में यह सहमति हो गई है कि विवाह को समाप्त कर दिया जाए।