एक सशक्त महिला अपने अधिकार और अपने सम्मान के साथ जीना कहती है। आज की महिला पुरुषो के कंधे से कन्धा मिलकर आगे बढ़ना चाहती है। अब महिलाएं सिर्फ घर के दायरे में ही नही बल्कि घर के बाहर निकल कर अपनी पहचान बनाना चाहती है। महिला सशक्तिकरण बोहोत जरूरी है क्योंकि इस से महिलाएं शक्तिशाली और स्वतंत्र मेहसूस करती है। वे चाहती है की घर से संबंधी फैसलों में वो भी योगदान दे।
अगर एक महिला को सशक्त बनना है तो जरूरी है की वो अपने हक समझे।
अगर हर महिला आत्मनिर्भर बन जाए तो उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वो कमजोर महसूस नहीं करेगी। आइए जानते है सशक्त महिला बनने के लिए कुछ बातें।
सशक्त महिला होने के लिए 5 जरूरी बातें (Tips to become a strong woman)
•साक्षरता
दुनिया में इतनी आधुनिकता के बावजूद अभी भी ऐसी महिलाएं है जो पढ़ने लिखने से अधीन है। हर माता पिता ने अपने बेटियो को पढ़ने लिखने देना चाहिए। जब एक महिला साक्षर बनती है तो वो खुद के साथ अपने घर परिवार और बच्चो को भी अच्छी सिख दे पाती है।
अगर आप को पढ़ने लिखने में रुचि है तो रुकिए नही ग्रेजुएशन पूरा करे। याद रखे की आपके निर्णय आपकी जिंदगी बदलते है। लड़कियों की
शादी कम उमर में करना भी गलत है।शादी का तब सोचे जब आपको लगें की आप मानसिक रूप से शादी के लिए तयार है। ज्ञान सबसे बड़ी संपत्ति है। अगर महिलाएं अपने पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दे तो ये उनको आत्मविश्वास बढ़ने में मदद करता है। आज एक महिला इंजीनियर, डॉक्टर, वकील, पुलिस और राजनीति सभी क्षेत्र में दिखाई देती है। उनके आत्मविश्वास का सबसे बड़ा कारण है उनका करियर पर फोकस करना।
•फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस
हम देखते है कि महिलाएं पैसो के लिए घर के पुरुष पर निर्भर रहती है। चाहे वो मां हो, पत्नी हो, बेटी हो वो पैसो के लिए ज्यादातर मर्दों पर निर्भर होती है। अगर महिलाएं पढ़ लिख कर काम करना शुरू करे। चाहे वो बिजनेस हो या जॉब,इससे उन्हें कमजोर महसूस नहीं होगा। खुद पैसे कमाने से आत्मविश्वास बढ़ता है। महिलाओं को किसी के ऊपर निर्भर नहीं रहना पड़ता। चाहे वो घर खर्च हो या कुछ बाहरी काम हो। एक महिला जो कमाती है उन्हें अपने हक की जानकारी ज्यादा होती है। इससे वे घर में अपना योगदान दे सकती है और कमजोर महसूस नहीं करती।
•आत्मविश्वास
महिलाओं ने याद रखना चाहिए की एक महिला होना कोई अपराध नहीं है। वे ज्यादा से ज्यादा काम करने में सक्षम है। उन्हें किसी पर निर्भर रहने की ज़रूरत नही। देखा जाता है महिलाएं कुछ जरूरी फैसले खुद लेने से डरती है, या तो वो किसी की सलाह लेना चाहती है या खुद फैसला लेना नही चाहती। अगर महिलाएं अपने फैसले खुद लेना सिख जाए तो धीरे धीरे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा। किसी से बात करने समय कतराए नही पूरे आत्मविश्वास से बात करे।
•सकारात्मकता
कभी महिला होने के लिए खुद को कोसे नही। अपने हक जाने और उनके लिए लड़ना सीखे। सरकार ने ऐसी कई सुविधाएं तयार की है जिससे महिलाओं को बहुत फायदा हो रहा है। जैसे कन्या भ्रूण हत्या के लिए सजा, कार्य क्षेत्र में महिला और पुरुष का सामान वेतन, संपत्ति का अधिकार ऐसे कई महिलाओं की रक्षा करते है।
•खुद के हक की पहचान
महिलाओं ने खुद को कम समझना बंद करना चाहिए। हमें अपने हर हक की जानकारी होनी चाहिए जैसे पढ़ाई में पैसों में और अपने हर निर्णय में। देखा जाता है कि महिलाओं से संबंधित सारे निर्णय पुरुष लेते हैं। कितना पढ़ेगी, कब शादी करेगी, किस से शादी करेगी, ऐसे निर्णय महिलाएं खुद नहीं ले पाती और अपनी जिंदगी दूसरों ने बताए हुए कदमों पर चलती है। इसलिए यह जरूरी है कि हर महिला खुद का हक समझें, खुद के निर्णय खुद ले और जरूरत पड़े तो अपने हक के लिए लढ़े।
स्त्री सशक्तिकरण के लिए महिलाओं ने खुद आगे बढ़ना चाहिए और खुद की जिम्मेदारी खुद लेनी चाहिए। अगर ऐसा लग रहा कि उनकी आवाज को दबाया जा रहा है तो उसके खिलाफ भी आवाज उठाना यह सबसे बड़ा कर्तव्य है। एक सशक्त महिला देश का भविष्य है और ऐसी महिलाएं एक घर को ही नहीं बल्कि देश को भी आगे बढ़ाने में मदद करती है।