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1. एक्सेप्ट करने की कोशिश करें
आप भले ही अपने बच्चे को कितने ही बंदिशों में क्यों ना रख दें, उसकी डेटिंग लाइफ कभी न कभी तो शुरू ज़रूर ही होगी। इसलिए इस बात पर परेशान होने के बजाये अपने बच्चे की डेटिंग लाइफ को एक्सेप्ट करना सीखें। इस बात को धीरे-धीरे समझने की कोशिश करें की टीनएज रोमांस सच में होता है। ऐसा करने से आपके बच्चे आपसे हर तरह की बात शेयर करने में ज़्यादा सहज महसूस करेगा।
2. डेटिंग रूल्स बनाएं
ये भी बहुत ज़रूरी है की आप ज़्यादा स्ट्रिक्ट और डोमिनेटिंग हुए बिना अपने बच्चे के रिलेशनशिप में कुछ डेटिंग रूल्स को इंट्रोड्यूस करें। इस बात का भी ख्याल रखें की आपके बाचे रिलेशनशिप के कारण अपने एकेडेमिक्स और हॉबीज़ के में पीछे ना रह जाएं। अपने बच्चों को ये भी समझाएं की रिलेशनशिप के साथ-साथ फैमिली को भी इक्वल टाइम देना ज़रूरी है।
3. अपने बच्चे के प्रति जागरूक रहें
अपने बच्चों के प्रति जागरूक रहने का ये मतलब बिलकुल भी नहीं है की आप ओवरप्रोटेक्टिव या ज़रूरत से ज़्यादा शक्की हो जाएं। लेकिन इस बात का ध्यान ज़रूर रखें की आपके बच्चे का बेहेवियर कैसा है और उसमे कोई बदलाव तो नहीं आया है। अगर आपका बच्चा ज़रूरत ऐसे ज़्यादा इमोशनल होने लगे तो तुरंत समझ जाए की कुछ गड़बड़ है। ऐसे केसेस में आपके बच्चे को कई बार काउंसलिंग की भी ज़रूरत पड़ सकती है।
4. कम्युनिकेशन है ज़रूरी
अपने बच्चों से कम्युनिकेशन बनाए रखना बहुत ज़रूरी है। कभी-कभी उनके साथ वक़्त निकाल कर उन्हें प्यार और रिलेशनशिप्स के ऊपर अपने नज़रिये के बारे में भी बताएं। उन्हें रिलेशनशिप्स के "रेड-फ्लैग्स" के बारे में भी बताएं और ये समझाएं की किन बातों को लेकर िग्नोरैंट होना सही नहीं है। अपने बच्चों को प्रक्टिकैलिटी ज़रूर सिखाएं।
5. सेक्स एजुकेशन
हमारे देश में टीनएज रिलेशनशिप्स को लेकर लोगों का नज़रिए इसलिए भी नहीं बदल रहा है क्योंकि यहां सेक्स एजुकेशन व्यापक नहीं है। इसलिए एक पैरेंट के नाते ये भी आपकी रिस्पांसिबिलिटी बन जाती है की आप अपने बच्चों को सेक्स एजुकेशन के बारे में समझाएं ताकि आगे उन्हें किसी तरह की प्रॉब्लम ना हो। अपने बच्चों को सेक्स, कंट्रासेप्शन, कंसेंट और सेक्सुअल प्लेशर के बारे में ज़रूर बताएं।