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पंकज त्रिपाठी का।
पंकज त्रिपाठी भारतीय फिल्म अभिनेता हैं, जो मुख्य रूप से बॉलीवुड फिल्मों में अपनी कमाल की अदाकारी के लिए जाने जाते हैं। पंकज अपनी बेहद प्रभावी फिल्मों के ज़रिए, समाज को नया नज़रिया देने की हर संभव कोशिश करते रहते हैं। आज भले ही पंकज का नाम चमकता नज़र आता हो, मगर इस दौर तक पहुँचने का सफर पंकज के लिए बेहद कठिन था। इंडस्ट्री में अपना पाँव जमाने के लिए पंकज को बहुत मेहनत करनी पड़ी और इसके पीछे उनका हमेशा साथ दिया, उनकी धर्मपत्नी मृदुला त्रिपाठी ने।
पंकज के संघर्ष के दिनों में मृदुला ही घर का खर्च उठाती थी, और पंकज इस बात को किसी भी मंच में कहने से नहीं शरमाते। समाज के हिसाब से घर-खर्च की जिम्मेदारी केवल पुरुष की होती है, और अगर यह काम महिला करे तो बदले में पुरुष को ताने सुनने को मिलते है। इस बारे में SheThePeople से बात करते वक्त पंकज ने कहा - ''मुझे समझ नहीं आता कि अगर बीवी घर का खर्च उठाने में मदद करे, तो इसको इतनी बड़ी बात क्यो बना दी जाती है।'' पंकज हमेशा ही रिश्तों से जुड़े तरह-तरह के स्टीरियोटाइप को तोड़ने पर जोर देते हैं।
पंकज आगे कहते हैं - ''मेरे संघर्ष के दिनों में मेरी पत्नी ने घर का सारा खर्च खुद उठाया है, यह सच बात है। और सच बोलने में झिझक कैसी। नैशनल टीवी हो या कोई और पब्लिक फोरम, सच बोलने से मैं नहीं कतराता।''
पंकज त्रिपाठी भारतीय फिल्म अभिनेता हैं, जो मुख्य रूप से बॉलीवुड फिल्मों में अपनी कमाल की अदाकारी के लिए जाने जाते हैं। पंकज अपनी बेहद प्रभावी फिल्मों के ज़रिए, समाज को नया नज़रिया देने की हर संभव कोशिश करते रहते हैं। आज भले ही पंकज का नाम चमकता नज़र आता हो, मगर इस दौर तक पहुँचने का सफर पंकज के लिए बेहद कठिन था। इंडस्ट्री में अपना पाँव जमाने के लिए पंकज को बहुत मेहनत करनी पड़ी और इसके पीछे उनका हमेशा साथ दिया, उनकी धर्मपत्नी मृदुला त्रिपाठी ने।
पंकज के संघर्ष के दिनों में मृदुला ही घर का खर्च उठाती थी, और पंकज इस बात को किसी भी मंच में कहने से नहीं शरमाते। समाज के हिसाब से घर-खर्च की जिम्मेदारी केवल पुरुष की होती है, और अगर यह काम महिला करे तो बदले में पुरुष को ताने सुनने को मिलते है। इस बारे में SheThePeople से बात करते वक्त पंकज ने कहा - ''मुझे समझ नहीं आता कि अगर बीवी घर का खर्च उठाने में मदद करे, तो इसको इतनी बड़ी बात क्यो बना दी जाती है।'' पंकज हमेशा ही रिश्तों से जुड़े तरह-तरह के स्टीरियोटाइप को तोड़ने पर जोर देते हैं।
पंकज आगे कहते हैं - ''मेरे संघर्ष के दिनों में मेरी पत्नी ने घर का सारा खर्च खुद उठाया है, यह सच बात है। और सच बोलने में झिझक कैसी। नैशनल टीवी हो या कोई और पब्लिक फोरम, सच बोलने से मैं नहीं कतराता।''