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मिलिए एआईबीए मेडलिस्ट मंजू रानी से

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Swati Bundela
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"बॉक्सिंग ने मुझे मेरे गुस्से पर काबू पाने में मदद की" - यही कहना है एआईबीए मेडलिस्ट मंजू रानी का। वह रिठल, हरयाणा की रहने वाली हैं। मंजू ने २०१९ में रूस में विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप में सिल्वर मैडल जीता। मैरी कॉम उनकी प्रेरणा है.

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आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ बातें:

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1. उनके पिता की पेट के कैंसर के चलते 2010 में मौत हो गई थी। 2010 में ही, 12 साल की उम्र में उन्होंने बॉक्सिंग की दुनिया में कदम रखा।



2. उनका कहना पिता की मृत्यु के बाद उनके परिवार को पैसों के मामले में काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, जिसकी वजह से उन्हें जल्दी गुस्सा आ जाता था। तब, उनके परिवार ने उन्हें बॉक्सिंग करने को कहा ताकि वह अपने गुस्से पर काबू पा लें। धीरे-धीरे, जो तकनीक उनके गुस्से को मैनेज करने के लिए अपने गई, वह उनका पैशन बनती गयी, और फिर उनका मिशन बन गई।
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3. उनका कहना है की क्योंकि वह शाकाहारी हैं, इंटरनेशनल कम्पीटीशन्स में अच्छी शाकाहारी डाइट पाना थोड़ा मुश्किल है। उसके अलावा, उन्हें डोमेस्टिक व इंटरनेशनल बॉक्सरों में कोई ज़्यादा फ़र्क महसूस नहीं होता।

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4. उन्हें आशा है कि जिस तरह से इटली में बॉक्सरों की ट्रेनिंग चल रही है, भारत आने वाले ओलिंपिक गेम्स में काफ़ी मेडल्स जीतने वाला है।



5. मैरी कॉम उनकी प्रेरणा है। वह उन्हें ट्रेनिंग करते हुए देखती हैं और उयंकी ट्रैनिंनग एन्जॉय करतीं हैं। उनका मानना है कि मैरी कॉम की तकनीकें काफ़ी यूनिक हैं और हमें उन जैसे लेजेंड्स से सीखना चाहिए।
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6. उनका मानना है कि पहले भारत में बॉक्सिंग को ज़्यादा मान्यता नहीं दी जाती थी। लेकिन पिछले कुछ सालों में भारत के नाम बॉक्सिंग में काफ़ी मेडल्स दर्ज हुए हैं, जिसकी वजह से इसे ज़्यादा पहचान मिलने लगी है। इसके अलावा, उन्हें लगता है कि बॉक्सिंग में महिलाओं के लिए काफी अच्छे करियर ऑप्शंस हैं और यह सेल्फ डिफेन्स के काम भी आ सकती है।

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7. ट्रेनिंग टूर्स व इंटरनेशनल प्लेयर्स के साथ ट्रेनिंग करने से वह अपने गेम को बेहतरी के लिए मॉडिफाई कर पाती हैं।



8. अभी वह अगले साल होने वाले कामनवेल्थ गेम्स व 2024 में होने वाले ओलंपिक्स के लिए तैयारी कर रही हैं।
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9. जब उन्होंने बॉक्सिंग शुरू की, तो उनके अंकल, साहब सिंह नरवाल ने उन्हें ट्रेनिंग दी। वह नेशनल लेवल कबड्डी चैंपियन हैं। लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में उनके कोच, लीलाधर ने भी काफ़ी मदद की। उन्होंने 2018 में नेशनल लेवल बॉक्सिंग में गोल्ड मैडल जीता व इंडिया कैंप ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग ली। अभी वह अली कुमार से ट्रेनिंग ले रही हैं, जो कामनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडलिस्ट हैं।



10. उनके घर वाले उन्हें सहयोग देते हैं। उनकी यूनिवर्सिटी से भी उन्हें 100% स्कॉलरशिप मिली है।
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