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भारत में महिलाओं का फाइनैंशियली इंडिपेंडेंट होना कितना ज़रूरी है ?
सान्या का मानना है की भारत में महिलाओं का फाइनैंशियली इंडिपेंडेंट होना बहुत ज़रूरी है। वह उन्हें एक आज़ादी देता है। और उन्हें जीवन में सुरक्षा और कॉन्फिडेंस भी देता है। उन्होंने आगे अपने पगलैट फिल्म के किरदार 'संध्या' की स्टोरी से जोड़ते हुए कहा की, कैसे महिलाओं के फैसले कोई और लेता है। छोटे में माँ बाप लेते हैं और शादी के बाद पति या ससुराल वाले। संध्या MA ग्रेजुएट रहती हैं लेकिन फिर भी उन्हें नौकरी करने की आज़ादी नहीं दी जाती। जो बिलकुल गलत है। क्यूंकि अगर आपने पढ़ाई करी है तो आपको जॉब भी ज़रूर करना चाहिए।
उन महिलओं को कैसे जागरूक करें जो बिना प्यार और सेक्सलेस मैरिज में फसी हैं ?
सान्या कहती हैं की यह काफी मुश्किल है। हम केवल उन्हें बता सकते हैं , उन्हें प्रेरित कर सकते हैं। लेकिन हम उन पर हक़ नहीं जमा सकते। काफी महिलाओं को पता भी नहीं होता उनके हक़ के बारे में। जैसे फिल्म में संध्या को नहीं पता था। अपने पति की मृत्यु के बाद ही संध्या को कई चीज़ें समझ आती हैं। क्यूंकि लड़कियों को बचपन से ही बोला जाता है की उन्हें एडजस्ट करना होगा और वहीं से इस सब की शुरुवात होती है।
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तीन चीज़ें जिनसे लोगों की सोच में बदलाव आये ?
- लोगों को सही इनफार्मेशन मिले क्यूंकि हमारी सोसाइटी में लोगों को फेमिनिज्म के बारे में सही तरह से पता नहीं है। न औरतों को और न पुरुषों को , हम अभी थोड़े पीछे हैं इस टॉपिक से।
- एक्टर होने के मुताबिक यह उनकी रेस्पॉन्सिबिलिटी है वह कैसे रोल चुनती हैं अपने लिए। जिससे महिलाओं
को प्रेरणा मिले और वह अपने हक़ की तरफ और जागरूक हों। - और ऐसे इंटरव्यूज करें और उन पर बात करें की फेमिनिस्ट होना कितना ज़रूरी है।