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बचपन से आप और हम अपने बड़ों से यह कहावत सुनकर बड़े हुए हैं ,कि भगवान हर जगह मौजूद नहीं हो सकते इसलिए उन्होंने अपना प्यार सब तक पहुंचाने के लिए मां को बनाया। भारत में मां को भगवान का दर्जा दिया जाता हैं। मां सिर्फ एक बच्चे को जन्म ही नहीं देती बल्कि एक टीचर की तरह उसे जीवन से जुड़ी हर वो चीज सिखाती हैं जिसकी मदद से उसके बच्चे के भविष्य की नींव मजबूत बन सके। आइये जानते हैं कैसे बच्चे कि पहली टीचर मां होती है ।
प्यार और दुलार के साथ अपने बच्चे को व्यवहारिक ज्ञान देने वाली मां ही होती हैं। हर मां चाहती हैं। कि उसका बच्चा सदैव सही राह पर चलकर भविष्य में एक अच्छा मुकाम हासिल करें। मां बच्चे के जन्म से लेकर उसके समझदार होने तक चलने-फिरने, खाने-पीने से लेकर बड़ों से व्यवहार करने के सही तरीके सबका उसे पूरा ज्ञान देती है। स्कूलों में बच्चे किताबी ज्ञान हासिल करते हैं जबकि हर मां अपने बच्चे को जीवन का व्यवहारिक ज्ञान देती है।
जन्म से ही हर बच्चे का लगाव अपनी मां से सबसे ज्यादा होता हैं। बच्चा शुरूआत में पैदा होते ही अपनी हर जरूरत के लिए सिर्फ अपनी मां पर ही निर्भर रहता हैं। उस समय बच्चे की तकलीफ और उसकी जरूरत एक मां से बेहतर कोई नहीं समझ सकता हैं। मां, बच्चे को जो भी सिखाती हैं। उसका उसके दिल और दिमाग पर बेहद गहरा असर पड़ता हैं।
सुबह की आरती से लेकर, रसोई में आपका फेवरेट खाना पकाने तक, कढ़ाई-बुनाई से लेकर बालों में तेल लगाने और रात को लोरी सुनाते हुए दिनभर की अपनी तमाम जिम्मेदारियों को निभाते हुए बातों-बातों में जीवन से जुड़ी कई गूढ़ बातें सिखाने का हुनर सिर्फ मां के पास होता हैं। बिना किसी क्लासरूम, न हाथों में कोई किताब लिए सिर्फ अपने हाव-भाव से ही वो अपने बच्चों को इतना कुछ सिखा जाती हैं। कि वो बिना किसी प्रयास किए ही बहुत कुछ अपने आप ही सीख जाते हैं। यही वजह है कि मां को पहली टीचर कहा जाता हैं।
आपका बच्चा वही करता हैं, जो अपने आसपास होता देखता है। अगर आप अपने बच्चे को अच्छे संस्कार देना चाहती हैं, तो कभी भी उसके सामने लड़ाई-झगड़ा या नकारात्मक बातें न करें। आप अपने बच्चे में जैसे गुण देखना चाहते हैं वो सभी गुण पहले खुद में विकसित करें।
अक्सर देखा जाता है कि बच्चे के किसी चीज को लेकर जिद्द करने पर माता-पिता उसे जोर-जोर से डांटने-फटकारने लगते हैं, ऐसा करने से बच्चे पर उल्टा असर होता है और वो स्वभाव से चिड़चिड़ा हो सकता है। ऐसे में शांत दिमाग से बच्चे को समझाते हुए उसे सही और गलत बताएं।
बच्चे से प्यार करने का ये मतलब कतई नहीं हैं कि आप उसकी हर जरूरी-गैरजरूरी जिद्द पूरी करें। यदि आप चाहती हैं कि आगे चलकर आपका बच्चा अनुशासित (Disciplined )बने, तो बचपन से ही उसकी गलत मांगों को पूरा करना छोड़ दें। बच्चे की हर जिद्द पूरी करके आप उसकी भविष्य बिगाड़ सकते हैं।
हर बच्चा अपने आप में यूनीक होता हैं | ऐसे में सबसे पहला कतर्व्य माता-पिता का होता हैं , कि वो अपने बच्चे के गुणों को पहचानकर उसे सही दिशा दें। हो सकता हैं , आपके पड़ोसी का बच्चा पढ़ाई में अव्वल हो लेकिन आपका बच्चा स्पोर्ट्स में ,ऐसे में कम मार्क्स लाने पर उसकी तुलना दूसरे बच्चों से करके उसका आत्मविश्वास कमजोर करने की जगह उसे स्पोर्ट्स में मेडल जीतकर लाने पर उसकी प्रशंसा करें।
इन सभी बातों से बच्चे की पहली टीचर मां बनती है।
इन कारणों से बच्चे की पहली टीचर मां होती है -
1.धूप में छांव जैसी मां-
प्यार और दुलार के साथ अपने बच्चे को व्यवहारिक ज्ञान देने वाली मां ही होती हैं। हर मां चाहती हैं। कि उसका बच्चा सदैव सही राह पर चलकर भविष्य में एक अच्छा मुकाम हासिल करें। मां बच्चे के जन्म से लेकर उसके समझदार होने तक चलने-फिरने, खाने-पीने से लेकर बड़ों से व्यवहार करने के सही तरीके सबका उसे पूरा ज्ञान देती है। स्कूलों में बच्चे किताबी ज्ञान हासिल करते हैं जबकि हर मां अपने बच्चे को जीवन का व्यवहारिक ज्ञान देती है।
2.बिना कहे बच्चे का मन पढ़ लेती है मां-
जन्म से ही हर बच्चे का लगाव अपनी मां से सबसे ज्यादा होता हैं। बच्चा शुरूआत में पैदा होते ही अपनी हर जरूरत के लिए सिर्फ अपनी मां पर ही निर्भर रहता हैं। उस समय बच्चे की तकलीफ और उसकी जरूरत एक मां से बेहतर कोई नहीं समझ सकता हैं। मां, बच्चे को जो भी सिखाती हैं। उसका उसके दिल और दिमाग पर बेहद गहरा असर पड़ता हैं।
3.बच्चे को व्यवहारिक ज्ञान देती है मां-
सुबह की आरती से लेकर, रसोई में आपका फेवरेट खाना पकाने तक, कढ़ाई-बुनाई से लेकर बालों में तेल लगाने और रात को लोरी सुनाते हुए दिनभर की अपनी तमाम जिम्मेदारियों को निभाते हुए बातों-बातों में जीवन से जुड़ी कई गूढ़ बातें सिखाने का हुनर सिर्फ मां के पास होता हैं। बिना किसी क्लासरूम, न हाथों में कोई किताब लिए सिर्फ अपने हाव-भाव से ही वो अपने बच्चों को इतना कुछ सिखा जाती हैं। कि वो बिना किसी प्रयास किए ही बहुत कुछ अपने आप ही सीख जाते हैं। यही वजह है कि मां को पहली टीचर कहा जाता हैं।
एक अच्छी मां में होते हैं ये सभी गुण-
1. खुद में करें बदलाव-
आपका बच्चा वही करता हैं, जो अपने आसपास होता देखता है। अगर आप अपने बच्चे को अच्छे संस्कार देना चाहती हैं, तो कभी भी उसके सामने लड़ाई-झगड़ा या नकारात्मक बातें न करें। आप अपने बच्चे में जैसे गुण देखना चाहते हैं वो सभी गुण पहले खुद में विकसित करें।
2. प्यार जरूरी हैं-
अक्सर देखा जाता है कि बच्चे के किसी चीज को लेकर जिद्द करने पर माता-पिता उसे जोर-जोर से डांटने-फटकारने लगते हैं, ऐसा करने से बच्चे पर उल्टा असर होता है और वो स्वभाव से चिड़चिड़ा हो सकता है। ऐसे में शांत दिमाग से बच्चे को समझाते हुए उसे सही और गलत बताएं।
3. ना कहना भी जरूरी हैं -
बच्चे से प्यार करने का ये मतलब कतई नहीं हैं कि आप उसकी हर जरूरी-गैरजरूरी जिद्द पूरी करें। यदि आप चाहती हैं कि आगे चलकर आपका बच्चा अनुशासित (Disciplined )बने, तो बचपन से ही उसकी गलत मांगों को पूरा करना छोड़ दें। बच्चे की हर जिद्द पूरी करके आप उसकी भविष्य बिगाड़ सकते हैं।
4. बच्चे के गुणों को पहचानें-
हर बच्चा अपने आप में यूनीक होता हैं | ऐसे में सबसे पहला कतर्व्य माता-पिता का होता हैं , कि वो अपने बच्चे के गुणों को पहचानकर उसे सही दिशा दें। हो सकता हैं , आपके पड़ोसी का बच्चा पढ़ाई में अव्वल हो लेकिन आपका बच्चा स्पोर्ट्स में ,ऐसे में कम मार्क्स लाने पर उसकी तुलना दूसरे बच्चों से करके उसका आत्मविश्वास कमजोर करने की जगह उसे स्पोर्ट्स में मेडल जीतकर लाने पर उसकी प्रशंसा करें।
इन सभी बातों से बच्चे की पहली टीचर मां बनती है।