बच्चे का स्कूल बैग हो, लंच बॉक्स हो, कपड़े हों या जूते, आप अपने बच्चे के सारे सामान का सही तरीके से ध्यान रखती होंगी, लेकिन क्या आपने कभी अपने बच्चे की कॉपी के आखिरी पन्ने पर गौर किया है। अब आप सोच रही होंगी की बच्चे के नोटबुक के आखिरी पन्ने को क्यों चेक करना चाहिए।
दरअसल अगर किसी बच्चे के मन की भावनाओं को जानना है तो उसकी कॉपी के आखिरी पन्ने को चेक कर लें। मैं आपको थोड़ा फ्लैशबैक में ले जाना चाहूंगा। मुझे याद है स्कूल के वो दिन जब हम अपने कॉपी के लास्ट पेज पर अपने नाम के हस्ताक्षर करते थे और ढेर सारे चित्र भी बनाया करते थे। उम्मीद है कि आपने भी जरूर कुछ ऐसा किया होगा |
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक(Psychiatrist)
छोटी उम्र के बच्चे अपनी कॉपी के आखिरी पन्ने पर अपने मन की भावनाओं को व्यक्त करने के लिए कुछ-कुछ लिखते हैं। फिल्म 'तारें जमीं पर' में दिखाया गया कि आमिर खान ने एक बच्चे की कॉपी में कुछ तस्वीरों को देखा और इन तस्वीरों से ये जाहिर हो रहा था कि वो बच्चा अपनी मां से दूर होता जा रहा है।
बच्चों में डिप्रेशन की स्थिति की कैसे करें पहचान
- कोई बच्चा अचानक डिप्रेशन में नहीं आता है कहीं ना कहीं इसके पीछे लगातार हो रही कुछ ऐसी घटनाएं हो सकती हैं जिनसे उसके अंदर हीन भावना पैदा होने लगती है। ऐसे में आप अपने बच्चे के स्वभाव में हुए बदलाव पर नजर बना कर रखें।
- उदाहरण के तौर पर कुछ बच्चे इस कदर जिद पर अड़ जाते हैं कि वो धमकी देते हुए ये कह देते हैं कि अगर मेरी मांग पूरी नहीं हुई तो मैं खुदकुशी कर लूंगा। अगर इस तरह की परिस्थिति का सामना करना पड़ जाए तो इसको गंभीरता से लें ना कि इसको सामान्य बात मान कर इग्नोर कर दें क्योंकि देखा गया है कि ऐसी बातें बच्चे को अंदर तक प्रभावित कर देती है और यही बच्चे डिप्रेशन में चला जाता है।
- आप इस बात को नोटिस जरूर करें कि आपके बच्चे के व्यवहार में बीते कुछ दिनों में कोई बदलाव तो नहीं आया है जैसे कि अगर पहले के मुकाबले कम बातचीत करने लगा हो, ज्यादा समय घर से बाहर बिताने लगा हो या फिर अचानक से डायरी लिखने लगा हो। कहने का तात्पर्य ये है कि आप अगर अपने बच्चे में कुछ भी परिवर्तन महसूस कर रहे हैं तो फिर बच्चे के समय गुजारिए और उससे बातचीत करिए।