माता-पिता बनने की खुशी किसी भी अन्य खुशी से अधिक कीमती और महत्वपूर्ण होती हैं। पहले के समय में परिवार जॉइंट होते थे. तब घर के बड़ों और बुजुर्गों के साथ बच्चों की परवरिश आसानी से हो जाती थी |लेकिन अब समय बदल चुका हैं। अब जॉइंट परिवार की जगह सिंगल फैमिलीज़ ने ले ली हैं। जिसमें केवल माँ, पिता और बच्चे ही शामिल हैं। ऐसे परिवारों में जो सबसे बड़ी समस्या माता और पिता के सामने आती हैं। दोनों का नौकरी करना। दोनों के कामकाजी होने की वजह से माता-पिता के पास बच्चों को डे-केयर में भेजने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं बचता।
चलिए जानते हैं कि डे केयर सेंटर के फायदे क्या हैं?
1. रूल्स और डिसिप्लिन – डे-केयर के सभी रूल्स हर माता-पिता के लिए बिल्कुल एक जैसे होते हैं| जैसा की स्कूलों में सभी के लिए एक रूल्स होता हैं| बच्चे को डे-केयर में लाने ले जानें जैसे रूल्स इसमें कोई लापरवाही नहीं चलती।
ऐसे ही कई रूल्स जिसका पालन सभी को करना पड़ता हैं| इसके अलावा दूसरे पेरेंट्स से मेलजोल बढ़ता है जिससे समय आने पर एक दूसरे की मदद ले सकते हैं|
2. बच्चों की सेफ्टी – डे-केयर की शुरुआत बिना लाइसेंस के नहीं की जा सकती। यहाँ काम करने वाले सभी ट्रेनर अनुभवी और trained होते हैं| इस टर्म्स से आपके बच्चे पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं|
आपके बच्चों की सुविधा को देखते हुए यहाँ सभी तरह की आवश्यक चीज़े मौजूद होती हैं| जिससे बच्चों का मन बहल सके और फिजिकल और मेन्टल डेवलपमेंट भी पूर्ण रूप से हो।
3. सिंपल और इनएक्सपेंसिव रिसोर्सेज –सिंगल परिवारों में बच्चों को संभालने के लिए काफी हेल्प की आवश्यकता तो पड़ती हैं| घर पर आया की अरेंजमेंट डे-केयर से ज्यादा महँगी पड़ती हैं|
आया को अपने रिस्क पर घर पर रखना पड़ता हैं। जो थोड़ा मुश्किल फैसला होता हैं। इसी कारण अधिकांश लोग डे-केयर के ऑप्शन को बेस्ट समझते हैं।
4.एफ्फिसिएंट बिहेवियर – आजकल कामकाजी पेरेंट्स के एक या दो बच्चे होते हैं। जिस कारण उनकी जिद्ध भी पूरी होती हैं। लेकिन डे-केयर में ऐसा नहीं होता। बच्चे मिलजुल कर रहना सीखते हैं। एक दूसरे के साथ अपने खिलौने शेयर करते हैं।
थोड़े बड़े बच्चों की तो एक दूसरे से बहुत अच्छी बॉनडिंग हो जाती हैं। धीरे-धीरे बच्चे एक दूसरे को अपना दोस्त समझने लग जाते हैं। इस तरह से आपके बच्चे एफ्फिसिएंट बिहेवियर के गुण सीख जाते हैं।
5. वेरियस टैलेंट– डे-केयर में बच्चों को बहुत नॉलेज दिया जाता हैं। जैसे पेंटिंग, डांस, गाने, कहानी, ड्रामा आदि। इससे माता-पिता भी खुश रहते हैं। की उनके बच्चों को तरह-तरह टैलेंट सिखाई जा रही हैं। इतना कुछ माता-पिता एक साथ अपने बच्चों के लिए नहीं कर पाते।
बच्चों को इस तरह की एक्टिविटीज को सिखाने के लिए वहाँ trained लोगों को रखा जाता हैं। बच्चे बिजी रहते है तो उनका दिमाग भी अधिक चलने लगता है।