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जानिए क्यों है किताबों को अपनाना ज़रूरी

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Swati Bundela
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मुझे उसकी बात सही लगी और उसी साल से मैंने किताबें पढ़ना शुरू किया, कुछ गूगल रिवियु पढ़ के और कुछ अपने ही मैं से मैंने किताबें ऑनलाइन मंगवाना शुरू किया. आज मुझे यही यही सिलसिला शुरू किये हुए पूरे दो साल हो गए ।

मैंने हर प्रकार की किताबें पढ़ना शुरू किया, कुछ फनी, कुछ रोमांटिक कुछ सस्पेंस से भरपूर। जब से यह सिलसिला शुरू किया मुझे खुद में भी कई परिवर्तन आये । आईये मैं आपके साथ अपने कुछ अनुभव और पॉजिटिव परिवर्तन आपके साथ भी शेयर करूं।
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१. मैंने कभी किताब का कवर देखकर यह निश्चित नहीं किया की यह मुझे पढ़नी चाहिए की नहीं।
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२. दोस्तों की राय ज़रूर ली लेकिन वही किताब पहले पढ़ी जो मुझे लगा की शायद मुझे पसंद आएगी।

३. पढ़ते वक़्त काफी अच्छेऔर नए शब्द सीखने को मिले, उनका अर्थ समझ न आने पर गूगल किया जिसकी वजह से मेरी अपनी नॉलेज भी काफी बढ़ी।
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४. जितनी ज़्यादा किताबें मैंने पढ़ी मुझे यह भी पता चला की किस प्रकार की किताबें मुझे पसंद हैं ।
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५. मेरा फ्री टाइम का सही उपयोग मैंने किया, एक किताब आपका समय अच्छा व्यतीत करवाता है।

६ . आज किंडल रीडिंग के ज़माने में ने जाने क्यों मुझे पेपर बैक की ज़्यादा पसंद हैं, इसका अलग ही मज़ा है ।
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७ . मैंने अपने टेबल में एक छोटी सी लिब्ररेरी बनायीं है जहाँ मेरी साड़ी किताबें हैं, जब मैं करे मैं आसानी से कोई भी किताब पढ़ना शुरू कर देती हूँ ।
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८. पढ़ते वक़्त मैं अपना मोबाइल नहीं देखती, सोशल मीडिया से दूर रहती हूँ ।

९. जब आपका दिमाग किताब में मग्न रहता है तो बेफिज़ूल की बातों में ध्यान महीन जाता, आप अंदर से ही खुश रहतें हैं।

१०. अपने आपको एक ही किताब के स्टाइल में सीमित न करें, अलग आग प्रकार की किताब पढ़ना बहुत ही आवश्यक है ।

किताबें पढ़ना आपके मानसिक स्वास्थय के लिए ज़रूरी है। किताबों की दुनिया बहुत ही काल्पनिक, रोचक और थोड़ी सच्चाई से परिपूर्ण है, इसीलिए उम्र के पहले ही पड़ाव से किताबें पढ़ें। बड़ों को पढ़ता देखकर बच्चे भी यह एक अच्छी आदत सीखेंगे।

आज मुझे ख़ुशी होती है की मेरे बेटे को भी यह पता चला है की किताबें हमेशा आपके साथ रहेंगी। मैं अपनी दोस्त रिचा को धन्यवाद देना चाहूंगी जिसने मुझे किताबों को अपनाने के लिए प्रेरित किया।

कावेरी पुरन्धर शीदीपीपल.टीवी ली आउटरीच सम्पादक हैं।
पेरेंटिंग
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