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बाइसिकल गर्ल ने ठुकराया सी.एफ.आई के ट्रायल का आफर, कहा पहले पढ़ाई पूरी करेंगी

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Swati Bundela
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बाइसिकल गर्ल ज्योति ने सी.एफ.आई (साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ) के ट्रायल का आफर ठुकरा कर अभी पढ़ाई पर ध्यान देने की बात की है।

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कौन है बाइसिकल गर्ल?

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बाइसिकल गर्ल उर्फ ज्योति कुमारी की कहानी तब शुरू हुई जब वो जनवरी में अपने पिता का इलाज कराने अपनी मां और जीजा के साथ दरभंगा से गुरुग्राम आयी थी। ज्योति के पिता मोहन पासवान का पैर एक्सीडेंट में टूट गया था। गुरुग्राम से सब लौट चुके थे पर ज्योति अपने पिता का ख्याल रखने के लिए वहीं रुकी।



पर जब लॉक डाउन बढ़ गया तो 15 साल की बाइसिकल गर्ल ने अपने पिता को साईकल से घर ले जाने का निश्चय किया क्योंकि बस से ट्रेवल करने के लिए उनके पास ₹6000 नही थे।
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पिता पासवान लॉक डाउन में अपनी जॉब खो चुके थे और इतने बड़े शहर दिल्ली में रहने के लिए उनके पास सिर्फ ₹600 थे।

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तो बाइसिकल गर्ल ने क्या किया?

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बाइसिकल गर्ल को मजबूरी में पिता को साईकल के पीछे बैठाकर ले जाना पड़ा क्योंकि उनके पिता लेफ्ट घुटने की सर्जरी की वजह से 1200 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करने में असक्षम थे.



"ज्योति ने फैसला लिया कि हमें भी सबकी तरह अपने गांव लौट जाना चाहिये पर हमारे पास पैसे नही थे इसलिए ज्योति ने पड़ोसी से एक सेकंड हैंड साईकल खरीदी और मुझे उसपे बैठने को कहा। हमने अपना सफर 10 मई को शुरू किया।"
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ज्योति घर कब पहुंची?
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ज्योति हर रोज़ 5 किलोमीटर दूर अपने स्कूल साईकल से जाती थीं शायद ही कभी उन्होंने सोचा होगा कि ऐसा भी होसकता है कि 1200 किलोमीटर का सफर उन्हें साईकल पर तय करना होगा। उन्होंने 7 दिन तक लगातार साईकल पर सफर किया और अपने गांव 16 मई को पहुँची।



बाप बेटी की जोड़ी के पहुचने पर उनको गवर्नमेंट मिडिल स्कूल, सिरहुल्ली में क्वारंटाइन में रखा गया है। गांव वालों के द्वारा उनके खाने की व्यवस्था भी की गई है।



" ज्योति ने रात को भी घण्टों साइकिलिंग करी और हमने उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में ट्रक्स और ट्रैक्टर्स से भी मदद ली।" पिता पासवान बताते हैं।

" मैं पहले अपना स्कूल जारी नहीं रख पायी क्योंकि मेरे घर मे दिक्कतें थी और मैं घरेलू काम मे व्यस्त रहती थी पर अब मैं पहले पढ़ना चहती हूँ" कहती हैं भारत की बाइसिकल गर्ल।



ज्योति को बहादुरी का क्या रिवॉर्ड मिला?



इस बहादुरी के लिए, दरभंगा के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने उसको पिंदरुच हाई स्कूल में कक्षा 9 में दाखिला दिलाया है।



इस साइकिलिंग के हुनर के लिए बाइसिकल गर्ल को साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के ट्रायल्स के लिए भी बुलाया गया था।



ज्योति को नई दिल्ली के नेशनल साइकिलिंग अकादमी में ट्रेनी बनने का मौका मिला था पर क्योंकि उनका दाखिला एल स्कूल में हो चुका है तो वो सबसे पहले अपना मैट्रिकुलेशन पूरा करना चाहती हैं और उन्हें अभी साइकिलिंग ट्रायल में जाने का कोई शौक नही है।
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