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हमेशा कहा जाता है कि क्लॉथ बसेड सैनिटरी नैपकिंस अनहाइजीनिक होते हैं। हमे हमेशा से टैम्पोन या तो नॉर्मल पैड्स रिकमेंड किया जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है यह नॉर्मल पैड के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित होते है। कपड़े वाले पैड सॉफ्ट होते है और स्किन इन्फेक्न भी नहीं होती है।
क्लॉथ पैड को अगर सही से सनिटाइज और सही मटेरियल से बनाया जाए तो सबसे सुरक्षित हैं। स्टडी के अनुसार केमिकल वाले सैनिटरी नैपकिंस इस्तेमाल करने से यीस्ट इनफेक्ट या कई तरह की बीमारी का भी खतरा रहता है।
डिस्पोजल पैड नान बायोडिग्रेडेबल मटेरियल से बने होते है। एक रिपोर्ट के अनुसार महिला औसतन 15000 मेंस्ट्रूअल प्रोडक्ट्स डिस्पोज करती है। जिन्हें डी कंपोजर होने में 500 साल से भी ज्यादा लगता है। इसलिए क्लॉथ बसेड नैपकिंस हमारे पर्यावरण और स्कीन दोनों के लिए बेहतर प्रोडक्ट है। यह आसानी से डिकंपोज हो जाते हैं।
कपड़े से बने पैड्स वजाइनल डिस्चार्ज को अबोसोरब करने में सक्षम होते हैं। इसके अलावा हर महीने पैड खरीदने की चिंता नहीं रहती है। इसे बार-बार आराम से इस्तेमाल किया जा सकता है।
गांव में रहने वाली महिलाओं के लिए हर महीने ₹30 सैनिटरी नैपकिंस में खर्च नहीं कर पाती हैं। लेकिन कपड़े वाले पैड्स सस्ते होते हैं और इन्हें हर महीने खरीदना नहीं होता है।
नॉर्मल पैड या टैम्पोन के इस्तेमाल से कई तरह की समस्या झेलनी पड़ती है। स्किन, रैशेज और टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम लेकिन इसके इस्तेमाल से स्कीन इंफेक्शन या रैशेज नहीं होता है। यह पहनने में भी बहुत नरम होता है। ऐसे पैड्स को यूज करने के बाद धो कर फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है।
रिपोर्ट बताती है कि केवल 18% महिलाओं के पास सैनिटरी नैपकिन तक आसान पहुंच है। ऐसे मामलों में, कपड़ा आधारित पैड एक स्वस्थ और अधिक स्वच्छ विकल्प हो सकते हैं क्योंकि वे आसानी से उपलब्ध होते हैं।
क्लॉथ पैड को अगर सही से सनिटाइज और सही मटेरियल से बनाया जाए तो सबसे सुरक्षित हैं। स्टडी के अनुसार केमिकल वाले सैनिटरी नैपकिंस इस्तेमाल करने से यीस्ट इनफेक्ट या कई तरह की बीमारी का भी खतरा रहता है।
कपड़े वाले सैनिटरी नैपकिंस इस्तेमाल करने के फायदे
1. आसानी से डिकंपोज हो जाता है
डिस्पोजल पैड नान बायोडिग्रेडेबल मटेरियल से बने होते है। एक रिपोर्ट के अनुसार महिला औसतन 15000 मेंस्ट्रूअल प्रोडक्ट्स डिस्पोज करती है। जिन्हें डी कंपोजर होने में 500 साल से भी ज्यादा लगता है। इसलिए क्लॉथ बसेड नैपकिंस हमारे पर्यावरण और स्कीन दोनों के लिए बेहतर प्रोडक्ट है। यह आसानी से डिकंपोज हो जाते हैं।
2. कपड़े वाले पैड्स रियसेबल होते हैं
कपड़े से बने पैड्स वजाइनल डिस्चार्ज को अबोसोरब करने में सक्षम होते हैं। इसके अलावा हर महीने पैड खरीदने की चिंता नहीं रहती है। इसे बार-बार आराम से इस्तेमाल किया जा सकता है।
3. सस्ता होता है
गांव में रहने वाली महिलाओं के लिए हर महीने ₹30 सैनिटरी नैपकिंस में खर्च नहीं कर पाती हैं। लेकिन कपड़े वाले पैड्स सस्ते होते हैं और इन्हें हर महीने खरीदना नहीं होता है।
4. इससे कोई खतरा नहीं होता है
नॉर्मल पैड या टैम्पोन के इस्तेमाल से कई तरह की समस्या झेलनी पड़ती है। स्किन, रैशेज और टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम लेकिन इसके इस्तेमाल से स्कीन इंफेक्शन या रैशेज नहीं होता है। यह पहनने में भी बहुत नरम होता है। ऐसे पैड्स को यूज करने के बाद धो कर फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है।
5. यही इसली एक्सेसिबल है
रिपोर्ट बताती है कि केवल 18% महिलाओं के पास सैनिटरी नैपकिन तक आसान पहुंच है। ऐसे मामलों में, कपड़ा आधारित पैड एक स्वस्थ और अधिक स्वच्छ विकल्प हो सकते हैं क्योंकि वे आसानी से उपलब्ध होते हैं।