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कोरोना पॉजिटिव प्रेग्नेंट महिलाएं रखें इन 5 बातों का विशेष ध्यान

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Swati Bundela
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प्रेग्नेंट महिलाओं में क्यों हो रहा है ज़्यादा असर ?


प्रेगनेंसी के दौरान हमारे शरीर में बहुत से बदलाव आते है। इन बदलावों के बीच में हमारी इम्युनिटी सिस्टम में दिक्कतें आ सकती है। कई बार प्रेगनेंसी में सांस फूलना, चक्कर आना जैसे लक्षणों की वजह कोरोना भी हो सकता है। ऐसी परिस्थिति में बेहतर यहीं है की हम अपने डॉक्टर के संपर्क में ज़्यादा से ज़्यादा रहे और अपनी देखभाल को लेकर ज़्यादा सजग रहे।
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क्या कहते हैं शोध ?


ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के सौजन्य से कोविद -19 के एक शोध में ये पाया गया की कोरोना पॉजिटिव
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प्रेग्नेंट महिलाओं में 12 प्रतिशत के नवजात बच्चों में भी कोरोना के संक्रमण दिखें। जिन बच्चों में कोरोना के लक्षण देखें गए वो ज़्यादा गंभीर नहीं थे पर फिर भी चिंताजनक थे। सीज़ेरियन सेक्शन से जन्में बच्चों में कोरोना के संक्रमण का खतरा ज़्यादा देखा गया है।

किन चीज़ों से है खतरा

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कोरोना पॉजिटिव प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए सबसे बड़ा खतरा है प्रीमेच्योर डिलीवरी। इसके अलावा रेस्पिरेटरी इश्यूज, ऊँची रक्तचाप और किडनी में भी तकलीफें आ सकती है। बच्चों के जन्म के पश्चात उनकी मृत्यु या इंटेंसिव केयर यूनिट में उनकों लम्बे समय तक रखने का भी खतरा बढ़ चुका है। जिन प्रेगनेंट महिलाओं को कोरोना के साथ साथ मधुमेह, हाइपरटेंशन और ओबेसिटी की भी तकलीफ है उनमें इन बिमारियों का खतरा ज़्यादा है।

किन चीज़ों में राहत

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विशेषज्ञों का ये भी मानना है की माँ के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी बच्चे को स्तनपान करने में कोई दिक्कत नहीं है। नवजात बच्चों में कोरोना की ज़्यादा गंभीर लक्षण नहीं देखे गए है इसलिए उनको जन्म के बाद अगर सही से देखभाल किया जाये तो कोरोना का ज़्यादा खतरा नहीं है।

प्रेग्नेंट महिलाएं कैसे बचे कोरोना से ?

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कोरोना संक्रमण से प्रेग्नेंट महिलाओं को बचने के लिए ये सबसे ज़्यादा ज़रूरी है की वो जब भी संभव हो अपनी वैक्सीन की डोज़ ले ले। इसके साथ साथ इस बात का भी ध्यान रखें की आप सरकार द्वारा जारी सभी प्रोटोकॉल्स का पालन करे। एक बार आपने अपने बच्चे को जन्म दे दिया तो उसके बाद उसकी भी सही से देखभाल करने की ज़रूरत है।
सेहत
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