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डे-केयर सेंटर में आप अपने जिगर के टुकड़े को भेज रहे है तो इसके नुकसान की जानकारी भी आपको होनी चाहिए। आखिर सवाल आपके बच्चों का है। तो आइये जानें डे-केयर सेंटर के फायदे व नुकसान के बारे में।
छोटे बच्चों की इम्युनिटी बहुत ही कमजोर होती है |और उनके जल्दी बीमार होने की संभावना बहुत अधिक होती है। डे-केयर में बच्चे अन्य बच्चों के साथ खाते-पीते, खेलते है | ऐसे में अगर दूसरे किसी बच्चे को सर्दी-जुकाम या अन्य इन्फेक्शन हो तो आपके बच्चे को भी यह इन्फेक्शन होने की संभावना अधिक रहती है। अगर आपका बच्चा बीमार है | ऐसे में भी डे-केयर में उसे भेजना उसके हेल्थ के लिए हानिकारक हो सकता है।
ऐसा देखा गया है कि जो बच्चे डे-केयर जाते हैं | वो अपने माता-पिता से दूर हो जाते हैं। डे-केयर में बच्चों को भेजने से माता-पिता अपने बच्चे के साथ समय नहीं बिता पाते | जिसके कारण बच्चे उनसे दूर होने लगते हैं। ऐसे में माता-पिता और अन्य रिश्तों में उनकी इंट्रेस्ट कम होती जाती है | और अपने डे-केयर के परिवार से उनका लगाव बढ़ जाता है। भविष्य में यह चीज़ उनके लिए और माता-पिता के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।
डे-केयर पर बच्चे अगर कुछ अच्छा सीखते हैं |तो बुरी आदते भी सीख सकते हैं | जो खाने से लेकर अन्य चीज़ों से जुड़ी हुई हो सकती है। जैसे अगर कोई बच्चा डे-केयर में जंक फूड लेकर आता है | तो आपके बच्चे भी जंक फूड की जिद्द कर सकते हैं। ऐसे ही गलत बोलना, उन्हे हैल्दी टायलेट आदते जैसी चीज़ें भी वो वहां सीख सकता हैं।
डे-केयर जाने वाले बच्चों की डेली रूटीन दिनचर्या माता-पिता के अनुसार नहीं बल्कि डे-केयर के अनुसार हो जाती है |हालाँकि यह बात सबको अफेक्टेड नहीं करती लेकिन कुछ माता-पिता को यह अफेक्टे कर सकती है।
बच्चों को डे-केयर सेंटर में भेजने के नुकसान
1. बीमार होने का खतरा
छोटे बच्चों की इम्युनिटी बहुत ही कमजोर होती है |और उनके जल्दी बीमार होने की संभावना बहुत अधिक होती है। डे-केयर में बच्चे अन्य बच्चों के साथ खाते-पीते, खेलते है | ऐसे में अगर दूसरे किसी बच्चे को सर्दी-जुकाम या अन्य इन्फेक्शन हो तो आपके बच्चे को भी यह इन्फेक्शन होने की संभावना अधिक रहती है। अगर आपका बच्चा बीमार है | ऐसे में भी डे-केयर में उसे भेजना उसके हेल्थ के लिए हानिकारक हो सकता है।
2. माता-पिता से दूरी
ऐसा देखा गया है कि जो बच्चे डे-केयर जाते हैं | वो अपने माता-पिता से दूर हो जाते हैं। डे-केयर में बच्चों को भेजने से माता-पिता अपने बच्चे के साथ समय नहीं बिता पाते | जिसके कारण बच्चे उनसे दूर होने लगते हैं। ऐसे में माता-पिता और अन्य रिश्तों में उनकी इंट्रेस्ट कम होती जाती है | और अपने डे-केयर के परिवार से उनका लगाव बढ़ जाता है। भविष्य में यह चीज़ उनके लिए और माता-पिता के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।
3. बुरी आदतें
डे-केयर पर बच्चे अगर कुछ अच्छा सीखते हैं |तो बुरी आदते भी सीख सकते हैं | जो खाने से लेकर अन्य चीज़ों से जुड़ी हुई हो सकती है। जैसे अगर कोई बच्चा डे-केयर में जंक फूड लेकर आता है | तो आपके बच्चे भी जंक फूड की जिद्द कर सकते हैं। ऐसे ही गलत बोलना, उन्हे हैल्दी टायलेट आदते जैसी चीज़ें भी वो वहां सीख सकता हैं।
4. डेली रूटीन
डे-केयर जाने वाले बच्चों की डेली रूटीन दिनचर्या माता-पिता के अनुसार नहीं बल्कि डे-केयर के अनुसार हो जाती है |हालाँकि यह बात सबको अफेक्टेड नहीं करती लेकिन कुछ माता-पिता को यह अफेक्टे कर सकती है।
डे केयर सेंटर चुनने से पहले इन बातों का रखें ध्यानः
- डे केयर में मौजूद टीचर्स की सारी बैकग्राउंड चैक करें।
- अन्य पैरेंट्स से जानकारी ले|
- डे केयर से मोबाइल पर लाइव सीसीटीवी फूटेज की मांग करें।
- अगर डे केयर में सीसीटीवी नहीं हैं | तो वहां बच्चों को भेजने से पहले अच्छी तरह से विचार करें।
- कोशिश करें कि डे केयर घर या ऑफिस के आसपास ही हो| ताकि जरूरत के समय आप जल्द से जल्द पहुंच सके।
- डे केयर सेंटर में हमेशा दो से तीन इमरजेंसी नंबर लिखवा कर ही रखें | ताकि अगर एक नंबर ना लगे तो वह दूसरे नंबर पर फोन कर सके।