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दिल्ली हाई कोर्ट ने कुछ दिशा-निर्देशों को निर्धारित किया, जो इंटरनेट से भड़काऊ या आपत्तिजनक चीज़ों को हटाने के इरादे वाले मामलों से निपटने के लिए अन्य अदालतों में भी इसका पालन किया जायेगा । इन परिवर्तनों को यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है की उन चीज़ों को जल्द से जल्द इंटरनेट से हटाया जाये और किसी और के द्वारा दुबारा पोस्ट नहीं किया जाये।
दिल्ली HC के दिशा-निर्देश
न्यायमूर्ति ए.जे. भामभनी की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिशानिर्देशों का नया सेट दिया। अदालत ने अपने बयान में कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या वेबसाइट पर एक निर्देश जारी किया जाना चाहिए, जिस पर कानून का उल्लंघन करने वाली सामग्री प्रकाशित हो। हालाँकि इस सामग्री को वेबसाइट से हटा लिया जाना चाहिए, लेकिन अधिकारियों द्वारा आगे की जांच के लिए इसे कम से कम 180 दिनों की अवधि के लिए इसे रखा जाना चाहिए। इस अवधि को केस के हिसाब से बढ़ाया भी जा सकता है।
तब न्यायाधीश ने पुलिस को निर्देश दिया कि ऐसे चीज़ों को Google, याहू, बिंग आदि जैसे सभी खोज इंजनों द्वारा सीमांकित और निष्क्रिय किया जाना चाहिए, अदालत ने कहा कि पुलिस को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जिन साइटों ने इसे प्रकाशित किया है वह इसे हटाएं। दिल्ली पुलिस को वेब URL और फोटो URL को हटाने के लिए भी कहा गया था।
भारत में साइबर अपराध
इंटरनेट आबादी के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है। वर्तमान में, कर्नाटक साइबर अपराध मामलों की अधिकतम संख्या वाला राज्य है। धन्या मेनन पहली महिला साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेटर हैं। SheThePeopleTV के साथ अपने इंटरव्यू में, मेनन ने कहा, “किसी भी उपयोगकर्ता के लिए इंटरनेट सुरक्षित नहीं है। साइबर क्राइम किसी एक लिंग के साथ नहीं होता यहाँ किसी के भी साथ हो सकता है। इससे बचने का केवल एक ही उपाय है और वह की हमें जानना होगा की इसका सही से उपयोग कैसे किया जाता है। जागरूकता ही एकमात्र उपाय है। ”
featured Picture Credits : NDTV