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तो ये टाइम है अपने पैसो को अपने हाथ मे लेके सही जगह इन्वेस्ट करने का। उस मानसिकता को बदलना जहां पुरूष ही सारे पैसों की भागदौड़ सम्भालते हैं। हमें बेटियो को फाइनेंस रिलेटेड फैसले लेने के लिए एनकरेज करना होगा। हमें बचपन से पिग्गी बैंक्स दिए जाते हैं तो क्यों ना उन पिग्गी बैंक्स को एफ।डी और सेविंग्स एकाउंट में बदल दिया जाए। छोड़ दिया जाए उनको घरेलू काम सिखाना और शुरू किया जाए वो जो ज़रूरी है- फाइनांशियल मैनेजमेंट।
आज़ादी की भावना
किसी भी महिला के लिए अपनी चेक बुक पकड़ना एक एम्पोवेरिंग मोमेंट होता है और एक लिबरेटिंग भावना मन में उठती है। महिलाएं हमेशा कुछ पैसे इमरजेंसी के लिए बचा कर रखती हैं तो क्यों न उन्हें इन्वेस्टमेंट के बारे में बताया जाए। सिस्टेमटिक इन्वेस्टमेंट प्लान जैसे प्लान्स में वो इन्वेस्ट कर सकती हैं।
फाइनैन्शियल सिक्योरिटी
अपना भविष्य सिक्योर करने का ज़िम्मा हमने पुरुषों के कंधों पर डाला है। क्यो? महिलाओ को क्यों नही सिखाया जाता कि कहां इन्वेस्ट करना चाहिए? एक छोटी सेविंग भी हमें एक मजबूत बुनियाद दे सकती है। अगर कुछ गलती हो भी जाती है तो ये हमें आगे ही बढ़ाएगी। पहला कदम है अपने फाइनांस को प्लान करना। अलग अलग जगह पर इन्वेस्ट कर के ये भी पता लगता है कि महीने में कितनी सेविंग्स हो सकती है जो की आगे जाके फाइनैन्शियल सिक्योरिटी दे सकती है।
स्टीरियोटाइप को तोड़ना
महिलाएं पैसों के मामले में कच्ची हैं ये कहा जाता है और यही वजह है कि महिलाएं फाइनांस में जल्दी हाथ नही लगाती। हम अपनी बेटियों को उनके अपने पैसों की ज़िम्मेदारी देने में भी डरते हैं और उनके पिता, भाई और पतियों की राह ताकते हैं जो कि गलत है। महिलाये उतनी ही काबिल फाइनांस मैनेज करने में हैं जैसे कि कमाने में।
भविष्य में सही फैसले लेना
अगर आप अपनी बेटी को ये सिखाएंगे तो आप नींव रख रहे हैं एक मज़बूत और फाइनैन्शियली इंडिपेंडेंट व्यक्ति की जो कि अपने आने वाले भविष्य को भी सिक्योर कर पायेगी। वो महिला अपने माँ बाप का ध्यान भी अच्छे से रखेगी उनके लिए हेल्थ इन्श्योरंस और मेडिकल इन्श्योरंस के फैसले लेके, बच्चों के एजुकेशन के लिए योगदान देगी, हॉउस लोन्स में भागीदारी रखेगी और सेविंग्स भी एफएक्टिवेली कर पायेगी। फाइनैन्शियली फिट बेटियां जो कि अपने फाइनेंस खुद संभालती हैं वो साबित करती हैं कि वो भविष्य में सही फैसले ले सकती हैं।
इसलिए सब डर छोड़िये और छोटे कदम बढ़ाइए। कदम बढ़ा के शुरुआत करना ज़रूरी है।