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महिलाओं का अपने घर पर एक्टिव फेमिनिस्ट होना इन बड़े बदलावों की गारंटी देता है

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Swati Bundela
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क्या तुम फेमिनिस्ट हो? इसका ज्यादातर जवाब आपको "हां " मिलेगा लेकिन कुछ लोग आपको ये  भी कहते मिलेंगें कि " मैं फेमिनिस्ट हूं लेकिन ब्रा-बर्निंग (Bra-burning) और मर्दों से नफरत करने वाली फेमिनिस्ट नही हूं।" (फेमिनिज्म का असर)

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लेकिन फेमिनिज्म के लिए इतने अलग-अलग तरह के ज्ञान और ऑपिनियन कैसे बन गए? इस तरह के नेगेटिव विचार के लिए मीडिया का और परिवार का सबसे अहम रोल है। अगर बचपन से ही बच्चों को फेमिनिज्म का सही पाठ पढ़ाया जाए तो शायद हमारें समाज की शक्ल और सूरत काफी हद तक बदल जाएगी। लेकिन अपने घरों में. अपने बच्चों को, अपने भाई को, अपने पापा को फेमिनिस्ट बनाने से पहले उन्हें फेमिनिज्म का कॉंसेप्ट समझाएं।

फेमिनिज्म आखिर कौन-सी बला का नाम है?

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फेमिनिज्म का नाम सुनते ही सबके मन में अपने हक़ के लिए बोलने वाली फेमिनिस्ट महिलाओं का चित्र उभरता है लेकिन फेमिनिस्ट कोई औरत हो ही नहीं सकती, ये तो सिर्फ और सिर्फ पुरुष हो सकता है, कोई स्त्री कभी नहीं।



हालाँकि, फेमिनिज्म एक विचारधारा है जिसकी शुरुआत एक बड़े तबके को जागरुक करने के लिये उनके अधिकार को पाने के लिये आंदोलन की शुरुआत की गई थी, लेकिन दूसरों के अधिकारों के लिये शुरू की गई ये लड़ाई ख़ुद पर आकर ठहर गई है। सबका अपना सुर अपना संगीत हो गया। एम्पावरमेंट के नाम पर पुरुषों को टार्गेट करना, हर छोटी-छोटी बात का मुद्दा बनाना. व्यक्तिगत बातों का पब्लिक इशू बनाना, घर की लड़ाई बाहरी पुरुषों से लड़ना। लेकिन मुझे लगता है जिस दिन ये महिलाएं घर के पुरूषों से जीत जायेंगी बाहरी पुरुष इनका कुछ नहीं बिगाड़ पायेंगे।
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आपका अपने घर पर फेमिनिस्ट होना कई तरह के बदलाव ला सकता है, जैसे (feminism ka asar)–



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  1. आपके घरवालें पितृसत्ता के गलत प्रभावों को समझ पाएंगें


  2. उन्हें ना शब्द सुनना एक अपमान की तरह नही लगेगा। क्योंकि अक्सर महिलाओं पर पितृसत्ता की पकड़ को मज़बूत बनाएं रखने के लिए उनके पहनावें, रहन-सहन औऱ उनके फैसलों पर सवाल खड़े किए जाते हैं। और उन सवालों पर अपने सवाल खड़े किए बिना महिलाएं चुपचाप उनकी हां में हां मिलाना सीख जाती हैं औऱ ना बोलना मानो जैसे भूल ही जाती हैं।


  3. आपके घर के पुरूषों को घर के काम केवल महिलाओं के काम नही लगेंगें और वो भी साथ में हाथ बटाएंगें, आपकी परेशानियां शेयर करेंगे और अगर आप उन्हें फेमिनिज्म अच्छे से समझा पाई तो आपके साथ प्रॉपर्टी का बराबर हिस्सा भी शेयर करेंगे।


  4. पीरियड्स, सेक्स और सेक्शुएलिटी उनके लिए कोई बड़ी शर्म की बात नही होगी। वो इन सब चीज़ो को एक नेचुरल प्रोसेस की तरह समझेंगें। इन बातों से समाज़ में कितना बड़ा बदलाव आ सकता है शायद ही आप समझ पाएं। (फेमिनिज्म का असर)


  5. आपकी फेमिली उस ट्रडिशन को भी अवॉइड करेंगी जो महिला विरोधी या किसी को लिए भी गलत है।




आपका अपने घर से फेमिनिज्म की शुरूआत करना ये सब बदलाव ला सकता है और अच्छे ढंग से प्रभावित भी कर सकता है।



ऐसा नही है कि सभी मर्द महिला-विरोधी है। ऐसे लाखों उदाहरण है जिसमें एम्पावर्ड औरतों के साथ मर्द ना सिर्फ़ खड़े होते हैं बल्कि उनका जीवन भर साथ भी निभाते हैं। आख़िर एम्पावरमेंट की शुरुआत अपने घर से ही तो होगी। (फेमिनिज्म का असर)
#फेमिनिज्म सोसाइटी फेमिनिज्म का असर
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