कक्षा समाज की एक प्रस्तुति है। जिस तरह समाज में लड़का और लड़की एक साथ हैं उसी प्रकार कक्षा और संस्थानों में भी अलग नहीं करना चाहिए। हमने अक्सर नोटिस किया होगा कि किस जिस तरह से शिक्षक / शिक्षिका छात्रों के साथ बातचीत करते हैं और जेंडर सेग्रीगेशन होता है। शिक्षक / शिक्षिका अक्सर लड़का और लड़की को अलग अलग सीट् पर बिठाते हैं और ग्राउंड में लाइन भी अलग अलग बनती हैं एक लड़को की एक लड़कियों कि। अगर छात्रों को लिंग के आधार पर अलग नहीं किया जाए तो ये उनके भविष्य के लिए बेहतर होगा। कक्षा में होने वाली इस सेग्रीगेशन के कई सारे प्रभाव हो सकते है जानिए यहां।
स्कूल की सेग्रीगेशन के प्रभाव: Gender Segregation In School
1. कम्युनिकेशन स्किल बढ़ाने के अवसर को कम कर देता है
कक्षा के वातावरण में डिस्ट्रैक्शन हो सकती है लेकिन उस वातावरण में आपको अनेक चीज़े सीखने को मिलेंगी। जब एक छात्र अपने से अलग संस्कृति, पहचान और लिंग के छात्रों से मिलता है तो एक छात्र को अपने पर्सनल स्पेस के बाहर सोचने और तलाशने की अनुमति देता है जिसके कारण उनकी कम्युनिकेशन स्किल और आत्मविश्वास भी बढ़ जाता है।
2. दूसरे लिंग की सोच से अवेयर नहीं होते
जब एक छात्र विपरीत लिंग के अन्य बच्चों का सामना करता हैं, तो वे नहीं जानते कि कैसे रिएक्ट करें, क्योंकि वे पर्यावरण से अपरिचित हैं। कोएड स्कूल लड़कियों और लड़कों को एक-दूसरे के सच्चे दोस्त बनने का अवसर देते हैं और विपरीत लिंग के साथ अच्छी रिलेशनशिप की नींव बनता है। सिंगल-सेक्स स्कूलों में इस तरह के अवसर उपलब्ध नहीं हैं। सिंगल-सेक्स स्कूलों में, लिंग एक-दूसरे को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने के अवसर से भी चुक जाते हैं।
3. कक्षा में कम डायवर्सिटी
जब एक छात्र अपनी कक्षा में मौजूद बाकी छात्रों को देखता है, और अपने मन में विचार लाता है कि इनकी सोच और तुम्हारी सोच बिल्कुल मिलती है, तो ये उन स्टरियोटाइप्स को बढ़ाता है जो वो दूसरे लिंग के बारे में मानते हैं। इसके करुण छात्रों की सोचने और अपनाने की क्षमता कम हो जाती हैं और उन्हें भविष्य में मिश्रित-लिंग वाले समाज के साथ तालमेल बिठाना मुश्किल लगता है। इसलिए एक कक्षा में डायवर्सिटी होना बहुत जरूरी है।
4. कार्यों में भाग लेने की क्षमता को प्रभावित करता है
जब एक लड़का और लड़की, सिंगल सेक्स स्कूल में पढ़ते हैं तो उन छात्रों के लिए कॉलेज या उच्च शिक्षा में दूसरों के साथ मेलजोल करने में परेशानी हो सकती है। जिसके चलते भविष्य में उन्हें कार्यस्थल मेे भाग लेने में कठिनाई हो सकती है। जब हम अपने कंफर्ट जोन में नहीं होते तो अक्सर उस कार्य को टालने की कोशिश करते हैं फिर चाहे वो कक्षा हो या जीवन लेकिन जब आप उस वातावर्ण से परिचित होते हैं तो आपके लिए अपना सहयोग देना आसान हो जाता है।