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अपने बच्चों में ह्यूमन वैल्यूज़ को बढ़ावा देना ज़रूरी - इंटरप्रेन्योर हिमानी मिश्रा

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Swati Bundela
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हमारे समाज में ऐसा बहुत लोग मानते हैं कि महिलाएं घर के साथ-साथ काम नहीं संभाल सकती है पर इंटरप्रेन्योर हिमानी मिश्रा ने इस बात को बिलकुल गलत साबित किया है। हिमानी आज एक सफल एंट्रेप्रेन्योर होने के साथ-साथ एक सक्सेसफुल मदर भी है। हिमानी मिश्रा Brand Radiator नाम की एक डिजिटल मार्केटिंग और आई.टी कंपनी की सीईओ और को-फाउंडर हैं । उन्होंने आज पूरी दुनिया के सामने एन्त्रेप्रेंयूर्शिप और मदरहुड का एक अनोखा उदहारण दुनिया के सामने पेश किया। शीदपीपलटी वी हिंदी ने हिमानी के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में हमने उनकी एंट्रेप्रेन्योर और मदरहुड जर्नी के बारे में जाने।
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1.जब आपने अपनी एन्त्रेप्रेंयूर्शिप  जर्नी स्टार्ट की तो आपके बेटे का क्या रिएक्शन था ?



अपनी एन्त्रेप्रेंयूर्शिप जर्नी स्टार्ट करने से पहले मैं कॉर्प्रॉट सेक्टर में मैनेजेरीयल लेवल पर काम करती थी, और काफ़ी बार बाहर रहना पड़ता था और अपनी कम्पनी शुरू करने से पहले तो मैं लगभग एक साल तक बेंग्लोर में रही। जब मैंने एन्त्रेप्रेंयूर्शिप का फ़ैसला किया तो मेरा बेटा बहुत ही खुश हुआ, उसकी ख़ुशी का एक बड़ा कारण था की उसकी मम्मी अब उसके साथ ही रहेगी, शायद, बाक़ी बातें समझने के लिए वह तब काफ़ी छोटा था।
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2.कितना ज़रूरी है एक बेटे के लिए एक वर्किंग माँ को ग्रो करते हुए देखना ?



अपनी माँ को ग्रो करते देखना बेटे के लिए बहुत ज़रूरी है, उसकी एन्त्रेप्रेंयूर्शिप जर्नी में एक तरह से वह भी एक सप्पोर्टर होता है। क्योंकि, एक महिला जो एक माँ भी है, अपने बच्चे के साथ बिताए जाने वाले समय में से उस समय को काम करके अपने काम को देती है, और बेटा भी अपनी माँ को प्रतिदिन तरह तरह की समस्याओं से जूझता हुआ देखता है, और उस बच्चे का सेंसिटिव मंद हर बात को अब्सॉर्ब करता है। और माँ की सफलता उसके लिए बड़े गौरव की बात होती है। एक बात और भी बच्चों में जगह बनाती है की अपनी माँ को घर और बाहर दोनो का काम करते देख कर, वो यह समझ पाते हैं की ज़िंदगी में कुछ भी पाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है, सहजता से सब नहीं मिलता । परिवार को सम्भालने की क्षमता भी बच्चों में समय से पहले विकसित होती दिखाई देती है ।
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3.बच्चों पर एक वर्किंग मदर का क्या इम्पैक्ट होता है ?



जटिल सवाल है, मैं अपनी सोच शेयर कर रही हूँ!  मैं यह कह सकती हूँ की वर्किंग महिलाओं को अपना टाइम-मैनज्मेंट करने की आवश्यकता है, तभी उनके बच्चों पर उनके वर्किंग मदर होने का अच्छा इम्पैक्ट होगा और साथ ही काम और घर में बैलेंस स्थापित करने के गुण को अपने बच्चों में भी वो डाल सकती हैं। आज के समय में लड़कियाँ काफ़ी पढ़ लिख गयी हैं और समाज में हर लेवल पर खुद को प्रूव कर रही हैं इसलिए अगर बच्चे शुरू से 'वर्किंग मदर' वाले माहौल में बड़े हों तो उनके लिए आगे चल कर लाइफ़ बैलेन्स आसान हो जाएगा ।
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https://www.facebook.com/himanimish/videos/pcb.3122748501080437/3122741917747762/?type=3&theater;

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4.आप अपनी बेटे को जेंडर इक्वलिटी (gender equality) का मैसेज किस तरह देती हैं ?



अपने ज़्यादातर काम करने के लिए मैंने अपने बेटे को हमेशा प्रोत्साहित किया है, उसके सिस्टम में मैंने दोनों - महिलाओं तथा पुरुषों - द्वारा किए जाने वाले कामों को बराबरी की नज़र से देखने की क्वालिटी पैदा की है। आज उस वजह से वो आवश्यकतानुसार सारे काम, जैसे की - रसोई में मेरी मदद करने से ले कर कपड़े सूखने देने और गार्डनिंग जैसे सारे काम बेझिझक करता है। मैं समझती हूँ की इससे जेंडर बायस जैसी कोई बात उसके पास नहीं रह जाएगी - जेंडर इक्वलिटी इससे खुद इस्टेबलिश हो रही है।

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5. आप आजकल के पेरेंट्स को क्या मैसेज देना चाहेंगी ?



पेरेंट्स के लिए मेरा संदेश है की अपने बच्चों में बचपन से ह्यूमन वैल्यूज़ को बढ़ावा दें। यह ध्यान दें की उनके बच्चे की स्वाभाविक रुचि किस काम में ज़्यादा है, अपनी इच्छाओं के बारे में उससे चर्चा करें पर उसपर थोपें नहीं और उसमे हैल्दी कम्पटीशन की भावना को बढ़ावा दे। आज के समय में मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक और ड्रग्स बड़ी आसानी से उपलब्ध हैं, अपने बच्चों की एक्टिविटीज़ पर पूरी नज़र रखें, पर उसके पर कुतरे नहीं, उसे उड़ान भरने का पूरा मौक़ा दे।



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