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टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी एक सेट ऑफ़ ऐटिटूड और उससे जुड़े तरीकों को कह सकते हैं जो किसी भी मर्द को स्टीरियोटिपिकल तरीकों से जीने के लिए मज़बूर करती है। इसका लड़कों पर और सोसाइटी पर ज़्यादातर नेगेटिव प्रभाव ही पड़ता है। इसे हम एक बॉक्स की तरह भी डिफाइन कर सकते है जिसके अंदर लड़के ख़ुद को पाते हैं और धीरे-धीरे उनका दम घुटता चला जाता है।टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी से लड़ा जा सकता है। जानिए इससे लड़ने के ये कुछ तरीके:
टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी का सबसे पहला कोड यहीं है कि लड़के कभी कमज़ोर नहीं होते हैं और उनको किसी भी तरह की दुःख या तकलीफ नहीं होती है। इस नोशन को चैलेंज करने के लिए सबसे ज़रूरी है आप खुल कर बात करना शुरू करें। अपनी गलतियों के बारे में, अपनी बिमारियों के बारे में और सोइटल प्रेशर के बारे में जब आप खुल कर बात करना शुरू कर देंगे तो अपने आप इस टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी से आज़ाद हो जायेंगे।
टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी को चुनौती देने के लिए ये बहुत ज़रूरी है कि आप इसकी एक डेफिनेशन बनाएँ। इसके अंतर्गत आप समाज को ये दिखाए की एक मर्द भी इनसेक्योर हो सकता है, वल्नरेबल हो सकता है, किसी पर इंटर-डिपेंडेंट हो सकता है। एक मर्द को भी रोने की उतनी ही आज़ादी है जितना की एक औरत को। ये दिखाना भी बहुत ज़रूरी है कि मर्द को भी पैट्रिआर्की के कारण बहुत कुछ से गुज़ारना पड़ता है।
बायोलॉजिकली लड़के लड़कियों के मुकाबले ज़्यादा स्ट्रांग होते है। इस नोशन को आप बना कर रख सकते हैं। ऐसे और भी ट्रेडिशनल मेल ट्रेट्स को आप बनाएँ रख सकते हैं बस ये ध्यान में रखें की इस कारण आपके किसी स्पेसिफिक रोल में टाइपकास्ट ना कर दिया जाए। अपनी ट्रडिशनल ट्रेट्स को बरक़रार रखते हुए मैस्क्युलिनिटी के टॉक्सिक तरीकों से ख़ुद को बचा कर रखें।
आम तौर पर टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी के ही एक भाग की तरह इस बात को यूज़ किया जाता है कि लड़कों को लड़कियों के लिए स्टैंड नहीं लेने चाहिए। इस बात को हमेशा चैलेंज करें। अगर आपके आस पास किसी भी लड़की के साथ किसी भी तरह की नाइंसाफी हो रही है तो चुप रह कर उसे देखने में आपकी मर्दानगी नहीं है। ज़रूरी ये है कि आप किसी भी नाइंसाफी के लिए आवाज़ उठाएँ। तब सही मायने में आप इस सोसाइटी के दवाफरा ही बनायीं हुयी इस टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी के खिलाफ खड़े हो पाएंगे।
आपको आम तौर पर ये सिखाया गया होगा की टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी के नियमों का पालन करने से आप एक सही आदमी बनेंगे और तभी ये सोसाइटी आपको एक्सेप्ट करेगी। इस बात को अपने दिमाग़ से निकल दें। ये हेमशा याद रखें की सबसे ज़रूरी होता है एक सही इंसान बनना। एक बार आप सही इंसान बन गए तो एक सही आदमी अपनेआप बन जायेंगे। सही इंसान बनने के लिए ये ज़रूरी है कि आप टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी के खिलाफ हर समय अपनी आवाज़ उठाएँ।
1. खुल कर बात करें
टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी का सबसे पहला कोड यहीं है कि लड़के कभी कमज़ोर नहीं होते हैं और उनको किसी भी तरह की दुःख या तकलीफ नहीं होती है। इस नोशन को चैलेंज करने के लिए सबसे ज़रूरी है आप खुल कर बात करना शुरू करें। अपनी गलतियों के बारे में, अपनी बिमारियों के बारे में और सोइटल प्रेशर के बारे में जब आप खुल कर बात करना शुरू कर देंगे तो अपने आप इस टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी से आज़ाद हो जायेंगे।
2. इसकी नई डेफिनेशन बनाएँ
टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी को चुनौती देने के लिए ये बहुत ज़रूरी है कि आप इसकी एक डेफिनेशन बनाएँ। इसके अंतर्गत आप समाज को ये दिखाए की एक मर्द भी इनसेक्योर हो सकता है, वल्नरेबल हो सकता है, किसी पर इंटर-डिपेंडेंट हो सकता है। एक मर्द को भी रोने की उतनी ही आज़ादी है जितना की एक औरत को। ये दिखाना भी बहुत ज़रूरी है कि मर्द को भी पैट्रिआर्की के कारण बहुत कुछ से गुज़ारना पड़ता है।
3. अपने ट्रेडिशनल मैस्कुलिन ट्रेट्स को बनायें रखें
बायोलॉजिकली लड़के लड़कियों के मुकाबले ज़्यादा स्ट्रांग होते है। इस नोशन को आप बना कर रख सकते हैं। ऐसे और भी ट्रेडिशनल मेल ट्रेट्स को आप बनाएँ रख सकते हैं बस ये ध्यान में रखें की इस कारण आपके किसी स्पेसिफिक रोल में टाइपकास्ट ना कर दिया जाए। अपनी ट्रडिशनल ट्रेट्स को बरक़रार रखते हुए मैस्क्युलिनिटी के टॉक्सिक तरीकों से ख़ुद को बचा कर रखें।
4. लड़कियों के लिए स्टैंड लेना सीखें
आम तौर पर टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी के ही एक भाग की तरह इस बात को यूज़ किया जाता है कि लड़कों को लड़कियों के लिए स्टैंड नहीं लेने चाहिए। इस बात को हमेशा चैलेंज करें। अगर आपके आस पास किसी भी लड़की के साथ किसी भी तरह की नाइंसाफी हो रही है तो चुप रह कर उसे देखने में आपकी मर्दानगी नहीं है। ज़रूरी ये है कि आप किसी भी नाइंसाफी के लिए आवाज़ उठाएँ। तब सही मायने में आप इस सोसाइटी के दवाफरा ही बनायीं हुयी इस टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी के खिलाफ खड़े हो पाएंगे।
5. सबसे पहले एक सही इंसान बनें
आपको आम तौर पर ये सिखाया गया होगा की टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी के नियमों का पालन करने से आप एक सही आदमी बनेंगे और तभी ये सोसाइटी आपको एक्सेप्ट करेगी। इस बात को अपने दिमाग़ से निकल दें। ये हेमशा याद रखें की सबसे ज़रूरी होता है एक सही इंसान बनना। एक बार आप सही इंसान बन गए तो एक सही आदमी अपनेआप बन जायेंगे। सही इंसान बनने के लिए ये ज़रूरी है कि आप टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी के खिलाफ हर समय अपनी आवाज़ उठाएँ।