Advertisment

How To File Divorce In India? भारत में तलाक कैसे फाइल करें?

author-image
Swati Bundela
New Update



Advertisment

How To File Divorce In India? घर में जब तलाक की बात आती है तो सनाटा छा जाता है। आज भी यही मानना है जो रिश्ता एक बार जुड़ जाएं उसे किसी भी हालत में तोड़ना नहीं चाहिए। ऐसे में तलाक लेना ओर भी कठिन हो जाता है। भारत में तलाक के कानून पति-पत्नी के धर्म पर निर्भर करता है हिन्दुओं में "हिंदू मैरिज एक्ट 1955", मुस्लिम में "मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम 1939" और इंटरकास्ट मैरिज में "विशेष विवाह 1954" है। आइए जानते है भारत में इन एक्ट के तहत आप तलाक कैसे ले सकते है।

How To File Divorce In India? भारत में तलाक कैसे फाइल करें?



Advertisment

1. अपना आधार चुनें

तलाक लेने के कई कारण हो सकते है, कोर्ट ने अभी तक 9 कारणों को तलाक का आधार बनाया है जैसे कि पार्टनर का अन्य व्यक्ति से संबंध होना, क्रूरता से पेश आना, मानसिक और शारीरिक तनाव देना, कोई रोग से पीड़ित होना आदि। आप किस जायज़ आधार के तहत तलाक लेना चाहते है उससे सुनिश्चित करें।

2. आपसी सहमती या संघर्ष

Advertisment

तलाक दो तरह के होते है एक तो पति-पत्नी की आपसी सहमती से लिया जाता है, अगर पति-पत्नी एक साल से अलग रह रहे है तो कोर्ट साल भर में तलाक दे देता है और अगर आपका पार्टनर तलाक लेने से इंकार करें कोर्ट के चक्र काटने को और कड़े सबूत पेश करने के लिए तैयार रहे।

3. पारिवारिक अदालत में जाएं

आप विवाह के दौरान जहां रह रही थी, आपकी शादी जिस स्थान पर हुई थी वहाँ के पारिवारिक कोर्ट में जाकर अपनी याचिका दायर करें। याचिका दायर होने पर कोर्ट पति- पत्नी को नोटिस भेजता है, सुनवाई होती है और फिर ब्यान रिकॉर्ड किए जाते है उसके बाद तलाक मान्य होता है।

Advertisment

4. सबूत पेश करें

जब आपने कोर्ट में याचिका दायर कर दी है तो कोर्ट का आर्डर आने पर पूरे सबूत और हिम्मत के साथ समय पर पेश होना चाहिए, अदालत में देरी से जाना, नाटक करना, झूठ या झूठे गवाह पेश करने से आपका केस कमज़ोर होगा। आपका तलाक अगर एक तरफा है तो सबूत महत्वपूर्ण होते है, तलाक दिलाने में अहम किरदार निभाते है।

5. अनुभवी वकील चुनें

तलाक के समय काफी मुश्किलें सामने आती है अगर बच्चे है तो बच्चे की कस्टडी किसके पास होगी, तलाक के बाद पति को पत्नी को मुआवजा या भत्ता देना होता है, पुलिस प्रोटेक्शन आदि बातों पर पहले से अपने वकील से विचार कर लें। वकील अगर अनुभवी, अच्छा और अपने फील्ड विषेशज्ञ हो तो बेहतर है।



सोसाइटी
Advertisment