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कैसे एक फेमिनिस्ट बेटे की परवरिश करे?

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Swati Bundela
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हमें आजकल फेमिनिज्म और वीमेन एम्पावरमेंट से संबंधित कई स्लोगन्स सुनने को मिलते है। उनमें से एक स्लोगन है : अपनी बेटी को तरीके से कपड़े पहनने की सीख या देर रात तक घर से ना निकलने की बजाय बेटे को अच्छे से बर्ताव करना सिखाना चाहिए। लेकिन ये उनको कौन सिखाएगा ? ज़ाहिर सी बात है, शुरुआत घर से होती है। एक इंसान का पहला नज़रिया उसका परिवार होता है। इसलिए जरूरी है कि आप अपने बच्चो को सही चीज़ सिखाये ताकि आप वही चीज़ देख भी सके। इतना पढ़ने के बाद आप ये भी सोच रहे होंगे की अब बेटे को किस तरह से बड़ा करे ताकि वो फेमिनिज्म समझे और एक फेमिनिस्ट बेटा भी बने। तो आइए जानते है :

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1. पहले अपने फेमिनिज्म के विचार को क्लियर करें :



फेमिनिज्म औरतों की इस प्रकार एडवोकेसी करना है जिससे दोनों महिला और पुरुष को समान अधिकार मिलें। फेमिनिज्म महिलाओं को पुरुषों के ऊपर रखने या उनके प्रिविलिज से हटाने के बारे में नहीं है।

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2. उसे अपना और दुसरों का ध्यान रखने दें :



अपने बेटे को अपना कमरा ठीक करने दें, अपनी प्लेट उठाके उससे साफ करने दें और घर का हर वो काम करवाएं जो हम अक्सर अपनी बेटियों को भी करने के लिए कहते हैं। अगली बार जब आप अपने बच्चों को घर पर छोड़े, तो उन्हें काम का लोड शेयर करने का तरीका सिखाए ।

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3. उन्हें खाना बनाना सिखाएं :



खाना बनाना शुरुवात से ही एक महिला का काम माना जाता है। शुरुआत से ही, हम अपनी बेटियों को किचन सेट के साथ खेलने देते हैं और समय के साथ उन्हें किचन में भी काम करना सिखाते हैं। पर हम कभी अपने बेटों को नहीं कहते। पर अब उन्हें भी सिखाने का समय आ गया है। उन्हें खाना बनाना सिखाएं और उन्हें बताएं कि यह काम सिर्फ महिलाओं का नहीं है।

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4. उसके 'ना' का सम्मान करें ताकि वह दूसरों का भी सम्मान करे :



बहुत बार ऐसा होता है की हम अपने बच्चे के मना करने पर भी उसको बहुत प्यार दिखाते हैं, गुदगुदी करते है, गले लगाते हैं, किस करते है । अगर वो नहीं चाहते की आप उनके दोस्तों के आगे उनके गाल खीचें या गले लगाएं, तो ना करें । उसकी 'no' को रेस्पेक्ट करे ताकि वो बाकियो की 'नो' को भी रेस्पेक्ट करे।

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5. लड़कियों को स्ट्रांग बताएं :



कभी भी यह न बताये की लड़कियां कमज़ोर हैं। कई मोटिवेशनल स्टोरीज के बारे में बात करें और उन महिलाओं के बारे में बताए जो सफलता के शिखर तक पहुँच चुकी हैं।

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6. उन्हें किसी करैक्टर में मत डालिये



जेंडर के अनुसार करैक्टर कभी मत असाइन करिये। एक बार जेंडर स्टेरेओटीपेस हट जाए, तो आपका आधा काम हो गया । उनको जैसा वो चाहते है वैसे रहने दीजिए।



हमारे घर ही हमारे समाज का आइना हैं, इसलिए हमारे घरों को एक स्टीरियोटाइप मुक्त स्थान बनाएं।
#फेमिनिज्म पेरेंटिंग
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