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#MenstrualHygieneDay: जानिए पीरियड्स पर 4 युवा पुरुषों के विचार

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Swati Bundela
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महिलाओं की हेल्थ और मेंस्ट्रुएशन आजकल बहुत ही ज़रूरी मुद्दे बन गए हैं. मेंस्ट्रुएशन के साथ हमेशा ही महिलाओं ने बहुत सी रूढ़ियों का सामना किया है। पर आज मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे (Menstrual hygiene day) पर हम बात करेंगे हमारे आस -पास के पुरुषों की सोच पीरियड्स जैसे मुद्दे के ऊपर। भारत जैसे देश में जहाँ महिलाएं ही इस मुद्दे पर बात करने में कम्फर्टेबले महसूस नहीं करती वहाँ हम क्या उम्मीद कर सकते हैं की पुरुष इस पर खुल कर बात करेंगे या इस प्रॉब्लम में महिलाओं की स्थिति को समझेंगे या इसे गंभीरता से लेंगे।

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आज शीदपीपल टी वी की इस अनोखी पहल में हम लाये हैं कुछ लड़कों के विचार पीरियड्स जैसे इस नाज़ुक मुद्दे पर।

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आईपी यूनिवर्सिटी के फाइनल ईयर लॉ के छात्र अनुराग गुप्ता का कहना है की मेंस्ट्रुएशन हमारे समाज में एक ऐसा मुद्दा है जिसके बारे में कोई भी बात नहीं करना चाहता, सब चुप रहते हैं। यहाँ तक महिलाएं इस विषय पर अपने घर में पिता और भाइयों के साथ खुलकर शेयर नहीं करती जिसके कारण उन्हें बहुत ज़्यादा मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। बल्कि उनके भाई या पिता इस मुश्किल समय में उनकी मदद कर सकते हैं क्योंकि यह थोड़ा मुश्किल समय होता है उनके लिए हर महीने जिससे वो अकेले न गुज़र कर सभी की मदद से अपने रोज़मर्रा के काम कर सकती हैं।

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कॉर्पोरेट सेक्टर्स ईऑन में काम करने वाले आकाश बंसल कहते हैं की सबसे पहले हमे अपनी सोच को बदलना चाहिए। सभी को यह समझना चाहिए की हर महिला, हर महीने पीरियड्स से गुज़रती हैं और यह बहुत ही आम बात हैं। महिलाओं को इस बात पर परेशान करना कोई ऑप्शन नहीं है बल्कि हमे उनकी मदद करनी चाहिए और उन्हें कम्फर्टेबले महसूस करवाना चाहिए।

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पैराफिट के डिजिटल मार्केटिंग हेड मयंक गुप्ता कहते हैं की मेंस्ट्रुएशन अब भी हमारी सोसाइटी में एक टैबू है जिससे हम सभी को बाहर निकलने की ज़रूरत है।  आज की युवा पीड़ी होने के नाते हम सभी को खुलकर इस मुद्दे के बारे में सामने आना चाहिए और मेंस्ट्रुअल हाइजीन जैसे मुद्दे को सीरियसली लेना चाहिए।



इंदिरा गाँधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी से एम ऐ के छात्र अम्बर कश्यप कहते हैं की किसी भी भाई, पिता या बॉयफ्रेंड को किसी भी लड़की को हर महीने इस मुश्किल घड़ी में अपनी फीमेल मेंबर की मदद करनी चाहिए न की इस समय उनकी हालत के लिए उन्हें ताने मारने चाहिए या उनको काम करने के लिए फाॅर्स करना चाहिए।  यह सभी का फ़र्ज़ है की पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कम्फर्टेबल मह्सूस करवाए।

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आजकल की पीड़ी काफी समझदार है और सिर्फ लडकियां ही नहीं बल्कि लड़के भी इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हैं और जानते हैं की मेंस्ट्रुएशन में महिलाएं कितनी मुसीबतों का सामना करती हैं। तो यह हम सभी का फ़र्ज़ बनता है की हम इस मुद्दे पर खुलके सामने और महिलाओं को सपोर्ट करे।



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