New Update
COVID-19, कोरोनवायरस की वजह से होने वाली बीमारी, सभी के लिए एक चैलेंज है। हम जानते हैं कि पॉजिटिव सोशल सपोर्ट स्ट्रेस से निपटने की हमारी कैपेसिटी में इम्प्रूवमेंट लाता है। लेकिन अभी हमें वायरस को स्प्रेड होने से रोकने के लिए सबसे डिस्टेंस बनाये रखने के लिए बोला जा रहा है। कई लोगों को फोरस्फुल्ली आइसोलेशन में रखा जारहा है क्यूंकि उनमें उस वायरस के सिम्पटम्स हैं। डिस्टन्सिंग का मतलब है जब हम दूसरों के साथ हों, हमे उनके ज़्यदा क्लोज नहीं जाना चाचिये और हाथ भी नहीं मिलाना चाहिए ।
हालांकि यह COVID-19 के स्प्रेड को कम करने के लिए ज़रूरी है, पर इससे लोगों का फेस- टू - फेस इंटरेक्शन काफी कम हिजाएगा जिसका मतलब है कि उनमे लोलिनेस्स का खतरा बढ़ जाएगा ।
सेल्फ आइसोलेशन और सोशल डिस्टन्सिंग कई लोगों के लिए एक बड़ा चैलेंज है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इंसान एक सोशल एनिमल है। हिस्ट्री से मॉडर्न टाइम तक हम ग्रुप्स में ही रहते आये हैं - जैसे गांव, कम्युनिटीज और फैमिली यूनिट्स ।
अगर आपके पास स्मार्टफोन है, तो फोन पर सिर्फ बोलने के बजाय वीडियो कॉल क्यों नहीं करें।
हालांकि हम फेस-टू-फेस इंटरेक्शन कि वैल्यू को नहीं रेप्लस कर सकते , हमें इन परिस्थितियों में फ्लेक्सिबल और क्रिएटिव रूप से इसका हल निकलना पड़ेगा ।
हम सीनियर सिटीजन्स को टेक्नोलॉजी के बारे में बता सकते हैं, और अगर उन्हें मोबाइल को अच्छे से यूज़ न करना आता हो तो उन्हें वो भी सिखा सकते हैं ।
इस तरह के टाइम में, यह ज़रूरी है कि हम एक दूसरे को सपोर्ट करें और उन लोगों के लिए कम्पैशन दिखाए , जिन्हें इसकी ज़रुरत है। यह एक शेयर्ड एक्सपीरियंस है जो की सभी के लिए स्ट्रेस्फुल है - और हम तो यह भी नहीं जानते कि यह कब तक चलने वाला है।
इसलिए फोन का यूज़ करें और लोगों के साथ टच में रहने के लिए ग्रुप भी बनाएं ।
इसके अलावा, पॉजिटिव सोशल इंटरेक्शन - दूर से भी - लोलिनेस्स को कम करने में मदद कर सकता है। दूसरों में जेन्युइन इंटरेस्ट दिखाना, पॉजिटिव न्यूज़ शेयर करना और ओल्ड मेमोरीज याद करना हमारे रिलेशनशिप्स को और भी स्ट्रांग बना सकता है ।
हालांकि यह COVID-19 के स्प्रेड को कम करने के लिए ज़रूरी है, पर इससे लोगों का फेस- टू - फेस इंटरेक्शन काफी कम हिजाएगा जिसका मतलब है कि उनमे लोलिनेस्स का खतरा बढ़ जाएगा ।
इंसान एक सोशल एनिमल है :
सेल्फ आइसोलेशन और सोशल डिस्टन्सिंग कई लोगों के लिए एक बड़ा चैलेंज है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इंसान एक सोशल एनिमल है। हिस्ट्री से मॉडर्न टाइम तक हम ग्रुप्स में ही रहते आये हैं - जैसे गांव, कम्युनिटीज और फैमिली यूनिट्स ।
अगर आपके पास स्मार्टफोन है, तो फोन पर सिर्फ बोलने के बजाय वीडियो कॉल क्यों नहीं करें।
जो लोग सोशल रूप से कमजोर हैं, जैसे कि सीनियर सिटीजन्स, इस आइसोलेशन के टाइम पे ज़्यादा स्ट्रगल करेंगे ।
हालांकि हम फेस-टू-फेस इंटरेक्शन कि वैल्यू को नहीं रेप्लस कर सकते , हमें इन परिस्थितियों में फ्लेक्सिबल और क्रिएटिव रूप से इसका हल निकलना पड़ेगा ।
हम सीनियर सिटीजन्स को टेक्नोलॉजी के बारे में बता सकते हैं, और अगर उन्हें मोबाइल को अच्छे से यूज़ न करना आता हो तो उन्हें वो भी सिखा सकते हैं ।
एक-दूसरे को सपोर्ट करें
इस तरह के टाइम में, यह ज़रूरी है कि हम एक दूसरे को सपोर्ट करें और उन लोगों के लिए कम्पैशन दिखाए , जिन्हें इसकी ज़रुरत है। यह एक शेयर्ड एक्सपीरियंस है जो की सभी के लिए स्ट्रेस्फुल है - और हम तो यह भी नहीं जानते कि यह कब तक चलने वाला है।
इसलिए फोन का यूज़ करें और लोगों के साथ टच में रहने के लिए ग्रुप भी बनाएं ।
इसके अलावा, पॉजिटिव सोशल इंटरेक्शन - दूर से भी - लोलिनेस्स को कम करने में मदद कर सकता है। दूसरों में जेन्युइन इंटरेस्ट दिखाना, पॉजिटिव न्यूज़ शेयर करना और ओल्ड मेमोरीज याद करना हमारे रिलेशनशिप्स को और भी स्ट्रांग बना सकता है ।
कनेक्टेड रहें :
- अगर आप सोशल डिस्टन्सिंग कर रहे है तो ये कुछ टिप्स हैं जिससे आप लोगों से कनेक्टेड रह पाएगे :
- इस बारे में सोचें कि आप अपनी हेल्थ (या उनकी) को रिस्क में डाले बिना उनसे कैसे बात चीत कर सकते हैं । क्या आप फेंस या बालकनी से अपने पड़ोसियों से बात कर सकते हैं? हमने इसे इटली में देखा है।
- अगर आपके पास टेक्नोलॉजी को यूज़ करने का एक्सेस है तो उसका यूज़ करके लोगों से टच में रहे । अगर आपके पास स्मार्टफोन है तो लोगों को वीडियो कॉल करके उनसे बातें करें ( फेसिअल एक्सप्रेशन देख के बात करने से कनेक्शन स्ट्रांग होता है ) ।
- अपने दोस्तों, परिवार और पड़ोसियों के साथ एक कनेक्ट में रहे।
- जिन लोगों के साथ आप रह रहे हैं, उनके साथ ज़्यादा से ज़्यादा टाइम स्पेंड करें । अगर आप लॉकडाउन सिचुएशन में हैं, तो अपने एक्सिस्टिंग रिलेशनशिप को बेहतर बनाने के लिए इस टाइम का यूज़ करें।