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IVF क्या है ?
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन को "टेस्ट ट्यूब बेबी" भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में महिला के एग को निकाल कर पुरुष के स्पर्म से मिलाया जाता है। फिर बाद में एंब्रियो को स्टोरेज में या महिला के युटेरस में रख दिया जाता है। यह उन महिलाओं के लिए काफी लाभदायक उपाय है जो किसी कारणवश मां नहीं बन पा रही हैं। वही आप अपनी एंब्रियो को सेरोगेट में इंप्लांट करवा कर भी मां बन सकती है।
आईवीएफ का इस्तेमाल स्थिति पर भी निर्भर करता है
- महिला का एग, पार्टनर का स्पर्म
- महिला को एग, डोनर का स्पर्म
- पुरुष का स्पर्म , डोनर का एग
- या फिर दोनों डोनर की इस्तेमाल किए जाते हैं
IVF की प्रक्रिया क्या है ?
आईवीएफ करवाने से पहले उसकी प्रक्रिया जाना जरूरी है। इसे करवाने की पांच प्रक्रिया है।
1. स्टिमुलेशन
यदि आप खुद के एग का इस्तेमाल कर रहे हैं तो शुरुआत में आपकी ओवरी को कई अंडे बनाने के लिए उत्तेजित किया जाता है। इसे करने की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि कुछ अंडे फर्टिलाइजेशन के बाद विकासित नहीं होते है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर नियमित रूप से ब्लड टेस्ट करते हैं।
2. एग रिट्रीवल
इस प्रक्रिया में महिला की ओवरी से मैच्योर एग निकाला जाता है। डॉक्टर इस प्रक्रिया में अल्ट्रासाउंड वांड इस्तेमाल करते है, इसमें पतली सुई डालकर एग को निकाला जाता है।
3. इनसेमिनेशन
इसमें मेेल पार्टनर के सीमन सैंपल इकट्ठा किए जातें हैं। उसके बाद पेट्री दिश में एग और स्पर्म को मिला दिया जाता है।
4. एंब्रियो कल्चर
इस प्रक्रिया में एंब्रियो के ग्रोथ और डेवलपमेंट पर निगरानी रखी जाती है। फिर एंब्रियो को जेनेटिक कंडीशन के लिए टेस्ट से गुजरना पड़ता है।
5. ट्रांसफर
जब आपका एंब्रियो डेवलप हो जाता है तो उसे इंप्लांट कर दिया जाता है। अक्सर फर्टिलाइजेशन के चार-पांच दिन बाद होता है। इंप्लांटेशन पतली ट्यूब के जरिए होता है, इसे वजाइना में डालकर सर्विक्स के माध्यम से युटेरस में रखा जाता है।
IVF के कारण होने वाली परेशानियां -
1. एकाधिक गर्भावस्था (multiple pregnancy)
2. मिसकैरेज
3. अस्थानिक गर्भावस्था (Ectopic pregnancy)
4. खून निकलना है या इन्फेक्शन होना