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एक बच्चे का सबसे पहला रिश्ता उसके मां-बाप से जोड़ता है। वह अपने मां-बाप से ही सब कुछ सीखता है। बच्चों का आचरण बच्चों को दी गई शिक्षा सब मां-बाप पर टिकी होती है। ऐसे में हेल्दी पेरेंटिंग क्या होती है और उसकी जरूरत क्यों है इसकी पूरी जानकारी होना जरूरी है आइए जानते हैं हेल्दी पेरेंटिंग टिप्स
ऐसे तो हेल्दी पेरेंटिंग की कोई परिभाषा नहीं है पर बच्चों का अपने माँ बाप के साथ अच्छा रिश्ता ज़रूरी है और इस अच्छे रिश्ते को बनाने के लिए मां बाप की बच्चों को अच्छे संस्कार परवरिश देने की होती सूझ बूझ और समझ ही हल्दी पेरेंटिंग होती है।
बच्चों की तारीफ करें। उनकी कमियों के साथ उनकी अच्छाइयों को भी देखें व उन्हें भी दिखाएं। उनके फैसलों पर सहमति बताएं और अगर कुछ गलत हुआ है तो डांटने की बजाए आराम से समझायें।
उन्हें discipline में रखने से मतलब है कि उन्हें फोन व गैजेट्स का इस्तेमाल एक सीमा में करने दें। उनके फैसलों को सुनें और अच्छे से समीक्षा करें।
उनके लिए समय निकालें ताकि उन्हें ये महसूस हो कि आप उनके साथ हमेशा हैं। आप उनके साथ घूमने जाएं, खेलें और उनको समझने की कोशिश करें।
बच्चे मन के बड़े ही भोले होते हैं, उन्हें अक्सर लगता है कि अगर वो कुछ भी आपको बताएंगे तो शायद आप परेशान होंगे। इसलिए बच्चों से बातचीत करें और धीरे धीरे उनके मन की बात जानने की कोशिश करें। उनपर भार ना डालें।
अक्सर बच्चों की कुछ ऐसी बातें होती हैं जो वो अपने तक ही रखना चाहते हैं। अगर आपके एक बार बोलने पर वो आपको कुछ नहीं बताते तो उन्हें दोबारा वही बात बताने के लिए फ़ोर्स ना करें।
तो ये थी हेल्दी पेरेंटिंग टिप्स । इससे बच्चों में मां-बाप के प्रति विश्वास बना रहता है और वो खुलकर आपस कुछ भी शेयर कर सकते हैं।
हेल्दी पेरेंटिंग क्या होती है ?
ऐसे तो हेल्दी पेरेंटिंग की कोई परिभाषा नहीं है पर बच्चों का अपने माँ बाप के साथ अच्छा रिश्ता ज़रूरी है और इस अच्छे रिश्ते को बनाने के लिए मां बाप की बच्चों को अच्छे संस्कार परवरिश देने की होती सूझ बूझ और समझ ही हल्दी पेरेंटिंग होती है।
हेल्दी पेरेंटिंग टिप्स
1. बच्चों का आत्मसम्मान बढ़ाएं
बच्चों की तारीफ करें। उनकी कमियों के साथ उनकी अच्छाइयों को भी देखें व उन्हें भी दिखाएं। उनके फैसलों पर सहमति बताएं और अगर कुछ गलत हुआ है तो डांटने की बजाए आराम से समझायें।
2. उन्हें डिसिप्लिन में रखें
उन्हें discipline में रखने से मतलब है कि उन्हें फोन व गैजेट्स का इस्तेमाल एक सीमा में करने दें। उनके फैसलों को सुनें और अच्छे से समीक्षा करें।
3. बच्चों के समय निकालें
उनके लिए समय निकालें ताकि उन्हें ये महसूस हो कि आप उनके साथ हमेशा हैं। आप उनके साथ घूमने जाएं, खेलें और उनको समझने की कोशिश करें।
4. बातचीत का मौका ढूँढे
बच्चे मन के बड़े ही भोले होते हैं, उन्हें अक्सर लगता है कि अगर वो कुछ भी आपको बताएंगे तो शायद आप परेशान होंगे। इसलिए बच्चों से बातचीत करें और धीरे धीरे उनके मन की बात जानने की कोशिश करें। उनपर भार ना डालें।
5. उनके प्राइवेट स्पेस में दखल ना दें
अक्सर बच्चों की कुछ ऐसी बातें होती हैं जो वो अपने तक ही रखना चाहते हैं। अगर आपके एक बार बोलने पर वो आपको कुछ नहीं बताते तो उन्हें दोबारा वही बात बताने के लिए फ़ोर्स ना करें।
तो ये थी हेल्दी पेरेंटिंग टिप्स । इससे बच्चों में मां-बाप के प्रति विश्वास बना रहता है और वो खुलकर आपस कुछ भी शेयर कर सकते हैं।