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बढ़ती उम्र में बच्चों और माता-पिता के बीच में धीरे-धीरे दूरी आने लगती है। इस आती दूरी के बहुत से कारण हो सकता है। जैसे- माता-पिता का बच्चों के साथ समय न बिताना, बार-बार चिल्लाना या ज़ोर-ज़बरदस्ती करना, बच्चों का सम्मान न करना, उनपर अपना निर्णय थोपना आदि। पर माता-पिता होने के नाते ये समझना बहुत ज़रूरी है की इस बढ़ती उम्र में बच्चों से दूर जाने की नहीं बल्कि उनका दोस्त बनने की ज़रूरत है। यही वह उम्र होती है जब बच्चों को अपने दोस्तों की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। पर कैसे बनें बच्चों के दोस्त ? इसके लिए कुछ तरीके या व्यवहार में लाने वाले बदलाव नीचे बताए गए हैं। उन्हे समझे और अपने बच्चों के दोस्त बनें ।
बढ़ती उम्र में बच्चों के अंदर बहुत से शारीरिक और मानसिक बदलाव आते हैं। वे जहाँ दूसरे लोगों के प्रति आकर्षित होने लगते हैं, वहीं माता-पिता की ज़ोर ज़बरदस्ती से दूर जाना चाहते हैं। वे आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं। इस बदलाव के कारण बच्चे जहाँ अपने दोस्तों के करीब होते जाते हैं वही माता-पिता से दूर होते जाते हैं। इसलिए ज़रूरी है की इस बढ़ती उम्र में माता-पिता बच्चों में और उनके व्यवहार में आने वाले बदलाव को समझें और उसके अनुसार अपने व्यवहार में भी बदलाव लेकर आएं।
यह उम्र ऐसी होती है की बच्चे अपनी ज्यादातर बातें बताना भी चाहते हैं और छुपाना भी चाहते हैं क्योंकि वे यह नहीं समझ पाते की उनकी बातों को सुनकर कैसी प्रतिक्रिया दी जाएगी। ऐसे में ज़रूरी है की तकरीबन रोज़ाना ही बच्चों के साथ कुछ समय बिताया जाए और उन्हें अपनी समझदारी और नासमझी के किस्से सुनाए जाये। ये किस्से उनमें विश्वास पैदा करेंगे की वे आपके साथ हर तरह का किस्सा बाँट सकते है। जब बच्चे आपके साथ अपनी बातें/किस्से/अनुभव बाँटने लगेंगे, आप उनके साथ मिलकर हँसने-रोने लगेंगे, या उनकी समस्याओं को सुनकर उन्हें सुझाव देने लगेंगे तो आपका रिश्ता माता-पिता से बढ़कर दोस्तों का होने लगेगा । (कैसे बनें बच्चों के दोस्त)
बढ़ती उम्र में अक्सर एक चीज़ जो बच्चों और माता-पिता के बीच में तनाव पैदा करती है वह किसी भी चीज़ को लेकर ज़ोर-ज़बरदस्ती करना है। क्योंकि इस उम्र में बच्चे आत्मनिर्भर होकर अपने निर्णय खुद लेना चाहते हैं। यह स्वयं निर्णय ले पाने का एहसास उनका आत्मविश्वास बढ़ाता है जो निर्णय लेने में और उनका आत्मविश्वास बनाने में उनकी मदद करता है। साथ ही यह स्वतंत्रता बच्चों के दिल में माता-पिता के लिए सम्मान पैदा करती है। वे उनमें किसी ऐसे व्यक्ति की छवि नहीं देखते हैं जो बच्चों पर अपना हुक्म चलाते हैं, बल्कि ऐसे व्यक्ति की छवि देखते हैं जो उनका और उनके निर्णयों का सम्मान करते हैं |
माता-पिता और बढ़ती उम्र के बच्चों में दूरी आने का एक कारण उनके और उनके माता-पिता के सोचने और समझने के तरीके का अलग होना है। यह समझना बहुत ज़रूरी हैं कि बढ़ती उम्र में बच्चों के सामने ऐसी बहुत-सी समस्याएँ आती है जिनका जवाब माता-पिता के रूप में बस आप ही दे सकते हैं। पर इसके लिए ज़रूरी है की आप खुद को आज के समय में और अपने बच्चों के स्थान पर रखकर देखें। इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है की आज के समय में होने वाली सभी बातें सही होती है इसलिए बच्चों को समझें और उन्हें समझाएँ। (कैसे बनें बच्चों के दोस्त)
बच्चों के दोस्त बनने के लिए अपनाएं इन उपायों को (kaise banein bacchon ke dost)
1. इस उम्र में बच्चे और उनके व्यवहार में आने वाले बदलाव को समझे
बढ़ती उम्र में बच्चों के अंदर बहुत से शारीरिक और मानसिक बदलाव आते हैं। वे जहाँ दूसरे लोगों के प्रति आकर्षित होने लगते हैं, वहीं माता-पिता की ज़ोर ज़बरदस्ती से दूर जाना चाहते हैं। वे आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं। इस बदलाव के कारण बच्चे जहाँ अपने दोस्तों के करीब होते जाते हैं वही माता-पिता से दूर होते जाते हैं। इसलिए ज़रूरी है की इस बढ़ती उम्र में माता-पिता बच्चों में और उनके व्यवहार में आने वाले बदलाव को समझें और उसके अनुसार अपने व्यवहार में भी बदलाव लेकर आएं।
2. बच्चों के साथ समय बिताएँ
यह उम्र ऐसी होती है की बच्चे अपनी ज्यादातर बातें बताना भी चाहते हैं और छुपाना भी चाहते हैं क्योंकि वे यह नहीं समझ पाते की उनकी बातों को सुनकर कैसी प्रतिक्रिया दी जाएगी। ऐसे में ज़रूरी है की तकरीबन रोज़ाना ही बच्चों के साथ कुछ समय बिताया जाए और उन्हें अपनी समझदारी और नासमझी के किस्से सुनाए जाये। ये किस्से उनमें विश्वास पैदा करेंगे की वे आपके साथ हर तरह का किस्सा बाँट सकते है। जब बच्चे आपके साथ अपनी बातें/किस्से/अनुभव बाँटने लगेंगे, आप उनके साथ मिलकर हँसने-रोने लगेंगे, या उनकी समस्याओं को सुनकर उन्हें सुझाव देने लगेंगे तो आपका रिश्ता माता-पिता से बढ़कर दोस्तों का होने लगेगा । (कैसे बनें बच्चों के दोस्त)
3. उनकी बातों और निर्णयों को समझे और सम्मान करें
बढ़ती उम्र में अक्सर एक चीज़ जो बच्चों और माता-पिता के बीच में तनाव पैदा करती है वह किसी भी चीज़ को लेकर ज़ोर-ज़बरदस्ती करना है। क्योंकि इस उम्र में बच्चे आत्मनिर्भर होकर अपने निर्णय खुद लेना चाहते हैं। यह स्वयं निर्णय ले पाने का एहसास उनका आत्मविश्वास बढ़ाता है जो निर्णय लेने में और उनका आत्मविश्वास बनाने में उनकी मदद करता है। साथ ही यह स्वतंत्रता बच्चों के दिल में माता-पिता के लिए सम्मान पैदा करती है। वे उनमें किसी ऐसे व्यक्ति की छवि नहीं देखते हैं जो बच्चों पर अपना हुक्म चलाते हैं, बल्कि ऐसे व्यक्ति की छवि देखते हैं जो उनका और उनके निर्णयों का सम्मान करते हैं |
4. बदलते समय के साथ आने वाले बदलावों को अपनाएं
माता-पिता और बढ़ती उम्र के बच्चों में दूरी आने का एक कारण उनके और उनके माता-पिता के सोचने और समझने के तरीके का अलग होना है। यह समझना बहुत ज़रूरी हैं कि बढ़ती उम्र में बच्चों के सामने ऐसी बहुत-सी समस्याएँ आती है जिनका जवाब माता-पिता के रूप में बस आप ही दे सकते हैं। पर इसके लिए ज़रूरी है की आप खुद को आज के समय में और अपने बच्चों के स्थान पर रखकर देखें। इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है की आज के समय में होने वाली सभी बातें सही होती है इसलिए बच्चों को समझें और उन्हें समझाएँ। (कैसे बनें बच्चों के दोस्त)