घरेलु हिंसा पर क्या कहता है कानून? जानिए भारत में घरेलु हिंसा से जुड़े कानून के बारे में

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Swati Bundela
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भारत में घरेलु हिंसा से जुड़े कानून : आमतौर पर घरेलु हिंसा का सामना महिलाओं को आये दी किसी न किसी रूप में करना पड़ता है। लोग घरेलु हिंसा को महिला के साथ मारपीट से जोड़ कर देखिए हैं, लेकिन घरेलु हिंसा की परिभाषा इस दायरे से कहीं आगे की है। किसी महिला का शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, मौखिक, मनोवैज्ञानिक या यौन शोषण किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाना जिसके साथ महिला के पारिवारिक सम्बन्ध हैं, घरेलू हिंसा में शामिल होता है। दिल्ली के एक सामाजिक संगठन की स्टडी में यह बात सामने आई है कि देश में लगभग 5 करोड़ महिलाएं घरेलू की शिकार हैं लेकिन इनमें से केवल 0.1 प्रतिशत महिलाओं ने ही इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

भारत में घरेलु हिंसा से जुड़े कानून

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समय-समय पर भारत में इस अपराध को रोकने के लिए कानून बनाये गए, कभी उनमें संसोधन किया गया तो कभी सख्त सज़ा के प्रावधान निर्धारित किये गए। देश की महिलाओं के हित में संविधान में भी अच्छी व्यवस्था की गयी है, जिसकी मदद से आज महिलाएं अपने अधिकार को जानती-समझती हैं और अपने खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ बुलंद कर रही हैं।

घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005

वर्ष 2006 में भारत सरकार ने घरेलु हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005 लागू किया। इसके अनुसार महिला, वृद्ध अथवा बच्‍चों के साथ होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा अपराध की श्रेणी में आती है, और इसके दोषी पाए जाने पर कड़ी सजा का भी प्रावधान भी है। घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005 महिला को घरेलू हिंसा से संरक्षण और सहायता का प्रदान करता है। इस कानून का मुख्य बिंदु यह है कि इसके द्वारा सांझा घर जैसी योजना का निर्धारण किया गया है।

भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 498A

इस धारा के तहत, अगर एक विवाहित महिला का पति या पति के रिश्तेदार महिला से क्रूरता से पेश आते हैं तो उन्हें तीन साल तक की सजा दी जा सकती है। साथ ही आरोपी को जुरमाना भी भरना पड़ेगा। इस धारा में ‘क्रूरता’ को भी परिभाषित किया गया है। अगर पति या उसके रिश्तेदार महिला से ऐसा कोई भी बर्ताव करते है जिससे महिला को मजबूरन अपनी जान लेनी पड़ती है तो उसे ‘क्रूरता’ का अपराध माना जाता है।

भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 304B

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इस धारा में अगर किसी महिला की हत्या दहेज़ के लिए की जाती है तो इस अपराध को करने वालों को 7 साल तक की जेल हो सकती है। ये धारा तब लागू होती है जब दहेज़ के लिए महिलाओं को इस स्तर पर प्रताड़ित किया जाये कि वो या तो खुद की जान लेलें या उस महिला की हत्या हो जाये।


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