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महिलाओं में स्वतंत्र विचार
ऐसे तमाम विपरीत हालातों के बावजूद; आज महिलाओं की आबादी का एक छोटा हिस्सा बुलंदियों पर पहुँच, अपनी आवाज देशभर में सुनाने में सक्षम हो पाया है। महिलाओं के इस छोटे-से हिस्से में से, हमने सागरिका घोष (Sagarika Ghosh) और फ़ेए (Faye D'souza) से महिलाओं के स्वतंत्र विचारों की विडंबना पर बात की। सागरिका और फ़ेए दोनों ही बेहद सशक्त पत्रकारों में से है।
अनेक विषयों में से विशेषकर राजनीति से महिलाओं को दूर रहने को कहा जाता है और इस विषय पर महिलाओं के विचारों को दरकिनार कर दिया जाता है। इस पर सागरिका कहती है -''राजनीति पर महिलाओं के विचार और महिलाओं का होना, बेहद जरूरी है, वरना समाज की प्रगति रुक जाएगी।'' महिलाओं में स्वतंत्र विचार
मुख्यधारा और महिलाओं के बीच की दूरी पर चिंता जताते हुए सागरिका आगे कहती है - ''महिलाओं को अक्सर-ही मुख्यधारा से अलग करके देखा जाता है, जो हमारे समाज पर एक प्रश्न-चिन्ह लगाता है। भले-ही आज महिलाओं की आबादी का एक छोटा-सा हिस्सा बुलंदियों पर पहुँचा है मगर वही एक बड़ा हिस्सा ऐसा है, जिसको खुद-के विचारों से दूर रहने को कहा जाता है, विशेषकर राजनीति जैसे विषयों पर। यह बेहद चिंताजनक है और इससे समाज की प्रगति को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता हैं।''
अमूमन हमारे समाज में महिलाओं के विचार, घर के पुरुषों के विचार पर निर्भर करते है। यानि महिलाओं के विचार स्वतंत्र नहीं होते है। इसपर फ़ेए (Faye D'souza) कहती है - ''महिलाओं के स्वतंत्र विचार, देश को सुधारने की ताकत रखते है। इसीलिए यह बेहद जरूरी है कि महिलाएँ अपने आस-पास की चीजों को जाने, समझे और स्वतंत्र विचार रखें।''
ऐसे तमाम विपरीत हालातों के बावजूद; आज महिलाओं की आबादी का एक छोटा हिस्सा बुलंदियों पर पहुँच, अपनी आवाज देशभर में सुनाने में सक्षम हो पाया है। महिलाओं के इस छोटे-से हिस्से में से, हमने सागरिका घोष (Sagarika Ghosh) और फ़ेए (Faye D'souza) से महिलाओं के स्वतंत्र विचारों की विडंबना पर बात की। सागरिका और फ़ेए दोनों ही बेहद सशक्त पत्रकारों में से है।
''राजनीति पर महिलाओं के विचार जरूरी है, वरना समाज की प्रगति रुक जाएगी - सागरिका घोष।''
अनेक विषयों में से विशेषकर राजनीति से महिलाओं को दूर रहने को कहा जाता है और इस विषय पर महिलाओं के विचारों को दरकिनार कर दिया जाता है। इस पर सागरिका कहती है -''राजनीति पर महिलाओं के विचार और महिलाओं का होना, बेहद जरूरी है, वरना समाज की प्रगति रुक जाएगी।'' महिलाओं में स्वतंत्र विचार
मुख्यधारा और महिलाओं के बीच की दूरी पर चिंता जताते हुए सागरिका आगे कहती है - ''महिलाओं को अक्सर-ही मुख्यधारा से अलग करके देखा जाता है, जो हमारे समाज पर एक प्रश्न-चिन्ह लगाता है। भले-ही आज महिलाओं की आबादी का एक छोटा-सा हिस्सा बुलंदियों पर पहुँचा है मगर वही एक बड़ा हिस्सा ऐसा है, जिसको खुद-के विचारों से दूर रहने को कहा जाता है, विशेषकर राजनीति जैसे विषयों पर। यह बेहद चिंताजनक है और इससे समाज की प्रगति को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता हैं।''
''महिलाओं के स्वतंत्र विचार, देश को सुधारने की ताकत रखते है - फ़ेए''
अमूमन हमारे समाज में महिलाओं के विचार, घर के पुरुषों के विचार पर निर्भर करते है। यानि महिलाओं के विचार स्वतंत्र नहीं होते है। इसपर फ़ेए (Faye D'souza) कहती है - ''महिलाओं के स्वतंत्र विचार, देश को सुधारने की ताकत रखते है। इसीलिए यह बेहद जरूरी है कि महिलाएँ अपने आस-पास की चीजों को जाने, समझे और स्वतंत्र विचार रखें।''