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रेप के खिलाफ एक जंग की कहानी - मर्दानी 2

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Swati Bundela
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रानी मुख़र्जी की फिल्म मर्दानी -२ इस हफ्ते बड़े पर्दे पर रिलीज़ हुई ।  फिल्म को दर्शको का काफी अच्छा रेस्पॉन्स मिला । फिल्म आजकल  महिलाओं के साथ हो रही रेप की घटनाओं पर आधारित है । फिल्म में रानी मुख़र्जी पुलिस इंस्पेक्टर शिवजी रॉय का किरदार निभा रही हैं जो एक रेपिस्ट को पकड़ना चाहती हैं । रानी मुख़र्जी ने इस फिल्म में बहुत ही दमदार परफॉरमेंस दिया है ।

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फिल्म की स्टोरीलाइन



मर्दानी -2 इस बार पूरी तरह से कोटा शहर पर बेस्ड है । कोटा आईआईटी क्लासेज के लिए मशहूर माना  जाता है । कोटा में देश भर से अलग -अलग शहरों से बच्चे आईआईटी की कोचिंग लेने आते हैं । वहाँ एक आरोपी रेपिस्ट कोचिंग और पीजी में रहनेवाली लड़कियों का बेरहमी से रेप करके उनको मार देता है । यही घटना एक के बाद एक बार -बार होती है ।इंस्पेक्टर शिवानी शिवाजी रॉय उस रेपिस्ट आरोपी को पकड़कर सजा दिलवाना चाहती हैं ।

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देश में आजकल प्रियंका रेड्डी रेप केस और निर्भया रेप केस की ख़बरों ने न्यूज़ चैनलों और सोशल मीडिया पर हलचल मचा रखी हैं । उस पर मर्दानी-2 की रिलीज़  ने देश में इस सेंसिटिव मुद्दे पर आक्रोश का माहौल पैदा कर  दिया है ।



आज मै आप सबसे पूछती हों की क्या एक लड़की बनकर पैदा होना पाप है या कुछ बनाना, एक मुकाम पाना या फिर सपने देखना पाप है । अगर आप लोग छोटे कपड़ो और एक्सपोज़र का हवाला देते है तो मै सबको बता देना चाहती हूँ की ऐसी बहुत -सी लडकियां है जो साड़ी पहने हुई थी ,सलवार कमीज़ में थी और तो और कई महिलायें तो बुरखे में भी थी जब उनका रेप हुआ । कपड़ो से किसीके रेप का कोई लेना -देना नहीं है । ये हमारे घरों में जो तकयानुसी मानसिकता से हम लड़कियों और लड़को की परवरिश करते है , उसका नतीजा है । भारत शुरू से ही एक पुरुष प्रधान देश रहा है ।

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किसी भी रेप के लिए लड़की के  कपडे नहीं रेप करनेवाले की मानसिकता ज़िम्मेदार है ।



आज हम अपने घरों में लड़को को लड़कियों के बदले ज़्यादा आज़ादी देते हैं और नहीं समझते की लड़के और लड़कियों दोनों को बराबरी की ज़रूरत है । हम अपने बेटो और लड़को को यह क्यों नहीं समझाते की लड़कियों की इज़्ज़त करना अच्छे शिष्टाचार की निशानी है और लड़के और लडकियां बराबर हैं ।

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एक लड़की होने के नाते मुझे सड़कों पर चलने से डर लगता है, बाहर निकलने से डर लगता है की कब नजाने कौन सी घटिया मानसिकता वाला लड़का क्या कर बैठे और उसके लिए भी दुनिया मुझे ही गलत कहेगी ।



लड़को को क्यों घर के कामो में मदद करने के लिए नहीं कहा जाता है । लड़को को घर का चिराग और लड़कियों को घर की इज़्ज़त कहा जाता है । जबकि उन्हें यह नहीं सिखाया जाता की घर की इज़्ज़त के लिए दोनों ज़िम्मेदार है और दोनों ही घर के चिराग है । हम अपने घरों में तो अपनी मानसिकता बदल नहीं सकते । अपनी गलत सोच के कारण हम अपनी आनेवाली पीड़ी की सोच को भी इफ़ेक्ट करते हैं और उन्हें भी वही सोचने पर मजबूर करते हैं जो हम सोचते हैं । एक लड़की होने के नाते मुझे सड़कों पर चलने से डर लगता है, बाहर निकलने से डर लगता है की कब नजाने कौन सी घटिया मानसिकता वाला लड़का क्या कर बैठे और उसके लिए भी दुनिया मुझे ही गलत कहेगी ।



फिल्म मर्दानी -2 में रानी मुख़र्जी का किरदार काफी स्ट्रांग तरीके से दिखाया गया है जो उस रेपिस्ट को पकड़ने में जी -जान लगा देती हैं और हर तरीके से कोशिश करती हैं की विक्टिम्स को इन्साफ मिले ।
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