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मिलिए इन 4 फेमिनिस्ट इंडियन परिवारों से

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Swati Bundela
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1 . ओडिशा की महिला ने अपनी 20 वर्षीय विधवा बहू की दोबारा शादी करवाई


widow marriage odisha
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ओडिशा के अंगुल जिले की प्रतिमा बेहेरा ने अपनी 20 वर्षीय विधवा बहू लिली की शादी की घोषणा की। ये डिसिशन इस समाज में एक नई मिसाल कायम करता है। हम विधवा बेटों की दोबारा शादी करने के बारे में सोचते हैं लेकिन क्या हम विधवा बेटियों या बहुओं की दोबारा शादी करने की सोचते हैं?
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लेकिन प्रतिमा बेहरा द्वारा लिए गए डिसिशन ने उनकी बहू को एक नया जीवन दिया है। और उन लोगों को भी चैलेंज किया है जो बोलते हैं कि बहू और सास के रिश्ते में हमेशा कुछ तनाव और ईर्ष्या होती है। प्रतिमा बेहरा ने साबित किया है कि इंसानियत इन सब रिश्तों से ऊपर है।

2. आयुष्मान खुराना ने अपनी पत्नी को समय देने के लिए काम से ब्रेक लिया

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आयुष्मान खुराना ने अपने करियर के पीक पर होने के बाद भी अपने काम से ब्रेक लेने और अपनी पत्नी के साथ समय बिताने का फैसला लिया। कितने पुरुष अपने करियर से ऊपर अपने परिवार को प्राथमिकता देते हैं? आयुष्मान खुराना यहाँ एक उदाहरण पेश करते हैं और सभी को याद दिलाते हैं कि घर और बच्चे पुरुषों की उतनी ही ज़िम्मेदारी है, जितनी महिलाओं की है। इसके साथ ही, उनका ये डिसिशन वर्क - लाइफ बालने बनाए रखने की लिए भी एक एक्साम्प्ल बन जाता है।

3. पिता ने अपनी बेटी के विवाह को रोकने और COVID रोगियों को अटेंड करने के निर्णय को सपोर्ट किया

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Tahira Kashyap with her husband, Ayushmann Khurrana
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डॉ. शिफा एम मोहम्मद, एक हाउस सर्जन, ने अपनी शादी कैंसिल की क्योंकि उन्हें लगा कि अपने COVID-19 मरीज़ों का इलाज करना ज़्यादा ज़रूरी है. उनके पिता ने उसकी डयूटी समझते हुए उनके इस निर्णय में उसका पूरा साथ दिया

4. पूर्व सीएम ने बेटी को आर्मी मेडिकल कॉर्प्स में शामिल होने के लिए प्रेरित किया

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उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा सांसद रमेश पोखरियाल की बेटी दो साल पहले आर्मी मेडिकल कॉर्प्स में शामिल हुईं। कितने पिता अपनी बेटियों को सेना में भेजने में कम्फर्टेबल हैं? एक राजनेता होने के नाते वह अपनी बेटी को काम करने की अनुमति न देकर उसे जीवन की सभी सुख-सुविधाएं दे सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा करना नहीं चुना। क्यों? क्योंकि वह समझ गए थे कि अपनी खुद की पहचान बनाने से आपको बेहद खुशी और संतुष्टि मिलती है। किसी महिला के वेतन को उसकी स्वतंत्रता से अधिक महत्व क्यों दिया जाता है?
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