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क्या आपको पता है गुजरात में एक महिला हैं जिनको लोग लेडी सिंघम भी कहते हैं ? अगर नहीं पता तो आइये फिर जानते है उनके बारे में ।
वह हैं मेहसाणा, गुजरात की डिप्टी सुपेरिंदेन्टेन्ट ऑफ़ पुलिस, मंजीत वंजारा। शीदपीपल टीवी ने जब उनसे उनके सफर के बारे में बात की तो उनके जो जवाब थे वह बहुत प्रेरणादायक थे। शी द पीपल के सवाल और उनके जवाब कुछ इस तरह थे :
मैं लेडी सिंघम जैसे शब्दों में बिलीव नहीं करती हूँ । एक पुलिस की सच्ची पहचान तभी होती है जब उसमें 3 गुण को एक बहादुरी , अपने प्रोफेशन का संपूर्ण ज्ञान और हमारी सच्ची निष्ठां। ये तीन होते हैं तो पीछे जोई भी टैग लगादो आप । इन 3 क्वालिटी के साथ कोई भी डिपार्टमेंट में काम करो तो आपकी मान्यता होती ही है। जब काम का अप्प्रेशतिओं मिलता है तो आपको काम करने की और प्रेरणा मिलती है।
मेरी एजुकेशन जर्नी में मैं इंजीनियरिंग में थी पर मुझे इंजीनियरिंग में मज़ा नहीं आरहा था । फिर मैंने इंजीनियरिंग छोड़ा और ब्रेक लेके मैंने निफ्ट ( NIFT) में मैंने गारमेंट प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी सीखी । फॅमिली में भी बहुत प्रेशर था , कोई थोपने वाला प्रेशर नहीं था लेकिन उन्हीने बोला की सिविल सर्विसेज मुझको ज़्यादा बड़े मुकाम पे पहुंचाएगा।
ये बहुत छोटा काम है, ऐसे अंडरकवर होना । कोई काम ऐसे बड़ा या छोटा नहीं होता । बात होती है कि हम कितने पैशन से करते हैं। हम कोई लिकर बन का काम भी करें या बड़ी से बड़ी गैंग पकड़े, हम कितने पैशन और इंटरेस्ट के साथ करें वो उसपे डिपेंड करता है। कभी कभी ज़्यादा पैशन होता है और लगता है कि मुझे रिजल्ट लाना ही है तो ये सब बातें ऐसे होती हैं।
पुलिस में तो हर दिन एक संकट का दिन होता है। कोई एक इवेंट नहीं ऐसे बहुत सारे इवेंट्स आते है जिनमें आपको किसी क्रिटिकल सिचुएशन में पब्लिक को फेस करना होता है , आपको बंदोबस करने होते हैं या फिर किसी को पकड़ना होता है तो उसमें कोई संकोच नहीं आता है क्यूंकि मैं बहुत सेल्फ मोटिवेटेड रहती हूँ। सेल्फ मोटिवेशन के साथ साथ मेरी माँ मेरी प्रेरणा स्त्रोत हैं।
उनको जब भी देखती हूं तो मुझे लगता है कि मम्मी के पास इतना एजुकेशन नहीं था तो भी इतनी आगे बढ़ी हैं। मेरी माँ ने भी बहुत अच्छे काम किये हैं तो मुझे भी उनसे बहुत प्रेरणा मिलती है कि मेरेपास इतनी सारे डिग्रियां हैं तो मेरेपास इतना ज्ञान आया है तो मैं अपने ज्ञान का इस्तमाल करके समाज के लिए उपयोगी बनु।
महिलाओं के साथ जी अत्याचार होते हैं ,उनके अलग अलग लेवल/ स्तर होते हैं । हार्डकोर क्राइम जिनके साथ होता है और छोटी छोटी बगावत भी होती है जैसे घर पे थोड़ा थोड़ा हो गया या अनबन होगी है या आपको किसी ने छेड़ा है कोई बड़ी घरेलू हिंसा हो रही या फिर रेप होरहा है। वो अलग अलग स्तर होते हैं ।
किसी महिला को किसी भी प्रकार का कोई भी अत्याचार सहन नहीं करना चाहिए। उनको उसकी गंभीरता समझनी चाहिए की पुलिस स्टेशन पे ये प्रॉब्लम लाने से क्या आपको सलूशन मिल रहा है या और दिक्कत बना रहे हो। कभी कभी ऐसी महिलाएं भी आती हैं जिनको थोड़ा बहुत सास-ससुर ने बोला होता है या पति से थोड़ा अनबन होता है। उनकी प्रतिरोध की क्षमता कम हो जाती है, छोटी छोटी बातों पे भी उनको लगता है कि उन्हें तलाक चाहिए तो ऐसे थोड़ी काम होता है।
बहुत महिलाएं ऐसी होती हैं उनके साथ घरेलू हिंसा बहुत होती है फिर भी वो सहन करती हैं तो ऐसे सहन भी नहीं करना चाहिए।
उन्हें पता होना चाहिए कि उनपे कितना अत्याचार हो रहा है और कितनी फ्रीडम छीनी जा रही है । तब उनको आवाज़ उठानी चाहिए ।
पुलिस हमेशा तैयार है, महिला पुलिस स्टेशन्स भी है और महिला पुलिस डिपार्टमेंट में शामिल भी हो रही हैं।
महिला की दिक्कत सिर्फ महिला ही नहीं समाधान करती है, उनके प्रति हो रहे अत्याचारों के बारे में सबको जानकारी है। महिलाओं के लिए हम हमेशा संवेदनशील रहे है। जो भी बड़ी घटनाएं या छोटी घटनाएं है हम उन्हें बहुत सीरियस लेते हैं।
हाँ, मैं एक भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी डांसर भी हूँ। मेरी गुरु बीना मेहता हैं। मैंने उनके साथ अमेरिका में भी परफॉर्म किया है। ज़िन्दगी में किसी भी प्रकार की कला होनी ही चाहिए चाहे वह म्यूजिक हो या डांस, पेंटिंग या कुछ भी। कला इंसान को और अच्छा इंसान बनाती है इसलिए कभी भी अपने पैशन को मत छोड़ो। अपनी कला को अपने पेशे पे हावी नहीं होने देना चाहिए।
मुझे मेरे डांस से एनर्जी मिलती है और उससे मैं ज़्यादा अछा काम कर सकती हूँ ।
जी हां, मैं उनसे कहना चाहूंगी कि अपने जीवन को संतुलित करें । कोई भी काम करें तो पूरे पैशन के साथ करें और अपने शौक कभी न छोड़े। चाहे वह फिर आप पुलिस में हो, शादीशुदा हो या कितना भी फॅमिली और प्रोफेशनल बर्डन हो। मैं एक पुलिस ऑफिसर हूँ , पूरा दिन गन भी लेती हूं लेकिन मैं कभी कभी गन के साथ घुँघरू भी पहनती हूँ । इसका मतलब ये है कि मुझे भी अपने पैशन के लिए टाइम मिलता है।
उसी से हमारी ऊर्जा ज़्यादा प्रज्वलित होती है और ज़्यादा काम करने में मज़ा आता है। इसलिए यही मेरा मैसेज है सबके लिए , अपनी ज़िन्दगी को खुलकर जियें। अपने शौक या प्रोफेशन को बोझ की तरह ना ले।
वह हैं मेहसाणा, गुजरात की डिप्टी सुपेरिंदेन्टेन्ट ऑफ़ पुलिस, मंजीत वंजारा। शीदपीपल टीवी ने जब उनसे उनके सफर के बारे में बात की तो उनके जो जवाब थे वह बहुत प्रेरणादायक थे। शी द पीपल के सवाल और उनके जवाब कुछ इस तरह थे :
आपको कैसा महसूस होता है जब उनको लोग आपको गुजरात की लेडी सिंघम कहते हैं ?
मैं लेडी सिंघम जैसे शब्दों में बिलीव नहीं करती हूँ । एक पुलिस की सच्ची पहचान तभी होती है जब उसमें 3 गुण को एक बहादुरी , अपने प्रोफेशन का संपूर्ण ज्ञान और हमारी सच्ची निष्ठां। ये तीन होते हैं तो पीछे जोई भी टैग लगादो आप । इन 3 क्वालिटी के साथ कोई भी डिपार्टमेंट में काम करो तो आपकी मान्यता होती ही है। जब काम का अप्प्रेशतिओं मिलता है तो आपको काम करने की और प्रेरणा मिलती है।
आपके पास इंजीनियरिंग की डिग्री है, अपने फैशन डिजाइनिंग का भी कोर्स कर रखा है फिर आप आयी सिविल सर्विसेज द्वारा फोर्सेज में , तो आप कैसे प्रेरित हुई यहाँ आने के लिए ?
मेरी एजुकेशन जर्नी में मैं इंजीनियरिंग में थी पर मुझे इंजीनियरिंग में मज़ा नहीं आरहा था । फिर मैंने इंजीनियरिंग छोड़ा और ब्रेक लेके मैंने निफ्ट ( NIFT) में मैंने गारमेंट प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी सीखी । फॅमिली में भी बहुत प्रेशर था , कोई थोपने वाला प्रेशर नहीं था लेकिन उन्हीने बोला की सिविल सर्विसेज मुझको ज़्यादा बड़े मुकाम पे पहुंचाएगा।
अपने 28 गैम्बलरस को अकेले प्लाट करके अंडरकवर होकर पकड़ा , आप प्लीज वो स्टोरी बताये की अपने वह मिशन कीजे पूरा किया ?
ये बहुत छोटा काम है, ऐसे अंडरकवर होना । कोई काम ऐसे बड़ा या छोटा नहीं होता । बात होती है कि हम कितने पैशन से करते हैं। हम कोई लिकर बन का काम भी करें या बड़ी से बड़ी गैंग पकड़े, हम कितने पैशन और इंटरेस्ट के साथ करें वो उसपे डिपेंड करता है। कभी कभी ज़्यादा पैशन होता है और लगता है कि मुझे रिजल्ट लाना ही है तो ये सब बातें ऐसे होती हैं।
आपका मोटिवेशन मंत्र क्या है ?
पुलिस में तो हर दिन एक संकट का दिन होता है। कोई एक इवेंट नहीं ऐसे बहुत सारे इवेंट्स आते है जिनमें आपको किसी क्रिटिकल सिचुएशन में पब्लिक को फेस करना होता है , आपको बंदोबस करने होते हैं या फिर किसी को पकड़ना होता है तो उसमें कोई संकोच नहीं आता है क्यूंकि मैं बहुत सेल्फ मोटिवेटेड रहती हूँ। सेल्फ मोटिवेशन के साथ साथ मेरी माँ मेरी प्रेरणा स्त्रोत हैं।
उनको जब भी देखती हूं तो मुझे लगता है कि मम्मी के पास इतना एजुकेशन नहीं था तो भी इतनी आगे बढ़ी हैं। मेरी माँ ने भी बहुत अच्छे काम किये हैं तो मुझे भी उनसे बहुत प्रेरणा मिलती है कि मेरेपास इतनी सारे डिग्रियां हैं तो मेरेपास इतना ज्ञान आया है तो मैं अपने ज्ञान का इस्तमाल करके समाज के लिए उपयोगी बनु।
अगर हम औरत और सुरक्षा की बात करें तो आपको स्टेटिस्टिक्स पता ही होगा। घरेलु हिंसा, शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न जैसे केसों में औरत कितना पुलिस पे भरोसा करें और क्या कदम उठा सकती है जो इस दौर से गुज़र रही हैं ?
महिलाओं के साथ जी अत्याचार होते हैं ,उनके अलग अलग लेवल/ स्तर होते हैं । हार्डकोर क्राइम जिनके साथ होता है और छोटी छोटी बगावत भी होती है जैसे घर पे थोड़ा थोड़ा हो गया या अनबन होगी है या आपको किसी ने छेड़ा है कोई बड़ी घरेलू हिंसा हो रही या फिर रेप होरहा है। वो अलग अलग स्तर होते हैं ।
किसी महिला को किसी भी प्रकार का कोई भी अत्याचार सहन नहीं करना चाहिए। उनको उसकी गंभीरता समझनी चाहिए की पुलिस स्टेशन पे ये प्रॉब्लम लाने से क्या आपको सलूशन मिल रहा है या और दिक्कत बना रहे हो। कभी कभी ऐसी महिलाएं भी आती हैं जिनको थोड़ा बहुत सास-ससुर ने बोला होता है या पति से थोड़ा अनबन होता है। उनकी प्रतिरोध की क्षमता कम हो जाती है, छोटी छोटी बातों पे भी उनको लगता है कि उन्हें तलाक चाहिए तो ऐसे थोड़ी काम होता है।
बहुत महिलाएं ऐसी होती हैं उनके साथ घरेलू हिंसा बहुत होती है फिर भी वो सहन करती हैं तो ऐसे सहन भी नहीं करना चाहिए।
उन्हें पता होना चाहिए कि उनपे कितना अत्याचार हो रहा है और कितनी फ्रीडम छीनी जा रही है । तब उनको आवाज़ उठानी चाहिए ।
पुलिस हमेशा तैयार है, महिला पुलिस स्टेशन्स भी है और महिला पुलिस डिपार्टमेंट में शामिल भी हो रही हैं।
महिला की दिक्कत सिर्फ महिला ही नहीं समाधान करती है, उनके प्रति हो रहे अत्याचारों के बारे में सबको जानकारी है। महिलाओं के लिए हम हमेशा संवेदनशील रहे है। जो भी बड़ी घटनाएं या छोटी घटनाएं है हम उन्हें बहुत सीरियस लेते हैं।
आप फैशन डिज़ाइनर भी है, इंजीनियर भी हाउ और एक राष्ट्रीय शास्त्रीय नर्तकी भी हैं। आप थोड़ा उसके बारे में बताएंगी ।
हाँ, मैं एक भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी डांसर भी हूँ। मेरी गुरु बीना मेहता हैं। मैंने उनके साथ अमेरिका में भी परफॉर्म किया है। ज़िन्दगी में किसी भी प्रकार की कला होनी ही चाहिए चाहे वह म्यूजिक हो या डांस, पेंटिंग या कुछ भी। कला इंसान को और अच्छा इंसान बनाती है इसलिए कभी भी अपने पैशन को मत छोड़ो। अपनी कला को अपने पेशे पे हावी नहीं होने देना चाहिए।
मुझे मेरे डांस से एनर्जी मिलती है और उससे मैं ज़्यादा अछा काम कर सकती हूँ ।
आपकी बातें हमें बहुत प्रेरणा दे रही हैं और बताराही है कि औरतें किसी भी क्षेत्र में किसी से कम नहीं हैं। आप कुछ कहना चाहेंगी बच्चों और महिलाओं को ?
जी हां, मैं उनसे कहना चाहूंगी कि अपने जीवन को संतुलित करें । कोई भी काम करें तो पूरे पैशन के साथ करें और अपने शौक कभी न छोड़े। चाहे वह फिर आप पुलिस में हो, शादीशुदा हो या कितना भी फॅमिली और प्रोफेशनल बर्डन हो। मैं एक पुलिस ऑफिसर हूँ , पूरा दिन गन भी लेती हूं लेकिन मैं कभी कभी गन के साथ घुँघरू भी पहनती हूँ । इसका मतलब ये है कि मुझे भी अपने पैशन के लिए टाइम मिलता है।
उसी से हमारी ऊर्जा ज़्यादा प्रज्वलित होती है और ज़्यादा काम करने में मज़ा आता है। इसलिए यही मेरा मैसेज है सबके लिए , अपनी ज़िन्दगी को खुलकर जियें। अपने शौक या प्रोफेशन को बोझ की तरह ना ले।