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अपनी बेटी को बॉडी शेमिंग के शिकार होने से रोकिये

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Swati Bundela
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जीवन में कभी -कभी हम सब के लिए ऐसा समय भी आता है जब हमे लगता है की इस समय हमे हमारी माँ का सपोर्ट मिलना चाहिए था पर उन्होंने हमारा साथ नहीं दिया ।


आज हम बात करेंगे ऐसी ही एक कहानी की । सान्वी कपूर, सेकंड ईयर एम बी ऐ की स्टूडेंट एक मिडिल क्लास फॅमिली में चार भाइयों की इकलौती बहन। एकलौती बहन होने के नाते उसे बहुत प्यार मिला पर उसे बहुत सी चीज़ों से अकेले गुज़ारना भी पड़ा । जवानी की देहलीज़ पर जब उसने पैर रखा तब उसके अंदर भी काफी शारीरिक और मानसिक बदलाव हुए । ऐसा ही एक बदलाव था उसका हैवी ब्रैस्ट साइज जिसके कारण उसका कॉन्फिडेंस लो होने लगा और अकेली बहन होने के कारण भी वो किसी से कुछ नहीं शेयर कर पाई ।
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उसकी दादी से उसे बहुत डर लगता था क्योंकि वो पुराने ख्यालों की स्ट्रिक्ट महिला थी और घर की बड़ी भी थी। उसके ब्रैस्ट साइज को देखकर उसकी दादी उसे ताने देती और भी न जाने क्या -क्या कहती । उसे इन बातों का बहुत बुरा लगता और तो और सबसे ज़्यादा बुरा लगता उसे उसकी माँ के कुछ न कहने का और उनके चुप रहने का । और किसी से नहीं पर उसे अपनी माँ से उम्मीद थी की कम से कम उसकी माँ तो उसे समझेंगी और दादी के सामने उसका साथ देंगी और उन्हें समझाएंगी की यह नेचुरल है और इसमें उसकी क्या गलती पर किसी ने उसे नहीं समझा और वो धीरे -धीरे मेन्टल इलनेस का शिकार होती गयी ।

मदर होने के नाते अपनी नन्ही परी को संभाले

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हम अक्सर देखते हैं की ऐसी बहुत सी बाते होती हैं जिसमे मदर'स अपने बच्चों को सपोर्ट नहीं कर पाती या नहीं समझ पाती और जिसका नतीजा यह निकलता है की माँ और बच्चों का आपस में रिश्ता ख़राब हो जाता है । यह सब बातें बच्चों के मन में कड़वी छाप छोड़ती हैं । खासतौर पर माताओं के लिए बेटियों को समझना बहुत ज़रूरी होता है क्योंकि एक माँ ही अपनी बेटी के अंदर हो रहे शारीरिक बदलावों को उसको समझा सकती है ।

और अगर आपके पास ऐसी माँ हैं जो आपको कदम -कदम पे समझकर आपका साथ देती हैं तो इससे ज़्यादा बढ़कर आपके लिए जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं है । इसके लिए उनके शुक्रगुज़ार रहे ।
#फेमिनिज्म पेरेंटिंग
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