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महाराष्ट्र में हुआ था जन्म
आनंदीबाई गोपालराव जोशी का जन्म महाराष्ट्र के ठाणे डिस्ट्रिक्ट के कल्याण में एक एक अपरिवर्तनवादी ब्राह्मण फैमिली में 31 मार्च 1865 में हुआ था। उनका वास्तविक नाम था यमुना और विवाह के बाद उनका नाम आनंदीबाई गोपालराव जोशी पड़ गया। महज़ 9 वर्ष की उम्र में उनकी शादी 25 वर्षीया गोपालराव जोशी से करा दी गई थी। अपनी जीवनी में अपने विवाह की बारे में उन्होंने बताया है की उनके पति की शादी से पहली एक यही शर्त थी की शादी के बाद वो अपनी पढ़ाई-लिखाई बंद नहीं करेंगी।
शादी से पहले कुछ पढ़ाई नहीं की थी आनंदीबाई ने
आनंदीबाई ने शादी से पहले कुछ पढ़ाई नहीं की थी क्योंकि उनके परिवार का ये मानना था की जपो भी महिला पढ़ाई करती है उसके पति की अकाल मृत्यु हो जाती है। शादी के बाद शुरुवाती दिनों में वो खुद पढ़ाई को लेकर ज़्यादा सीरियस नहीं थीं और कई दफा उनके पति उनके डांट कर पढ़ते थें। अपनी जीवनी में उन्होंने बताया है की जब 14 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने 10 दिन के बच्चे को खोया तब जा कर उन्होंने ठान लिया की अब वो एक डॉक्टर बनेंगी और किसी भी अकाल मृत्यु को होने से बचाएंगी।
पेनसिल्वेनिया के विमेंस मेडिकल कॉलेज में मिला था दाखिला
अपने बेसिक एजुकेशन को पूरा करने के बाद उन्होंने पेनसिल्वेनिया के वोमंस मेडिकल कॉलेज में अपना दाखिला करवाया था जो उस समय पूरे विश्व में महिलाओं के सिर्फ दो मेडिकल कॉलेज में से एक था। जाने से पहले उन्हें काफी आलोचाना सहनी पड़ी थी क्योंकि उस समय एक शादी-शुदा लड़की का घर से बाहर निकल कर पढ़ने जाना किसी को समझ में ही नहीं आया था। पर उनके पति ने उनका साथ दिया और कोलकाता से पेनसिल्वेनिया उनको जहाज से भेजा।
19 वर्ष में बनी पहली महिला डॉक्टर
केवल 19 वर्ष की उम्र में आनंदीबाई देश की पहली महिला डॉक्टर बनी जिनके पास वेस्टर्न मेडिसिन की यूनाइटेड स्टेट्स से प्राप्त 2 साल के कोर्स की डिग्री थी। भारत वापस आने पर उनका भव्य स्वागत किया गया था और कोल्हापुर के प्रिंसली स्टेट ने उन्हें अल्बर्ट एडवर्ड हॉस्पिटल के विमेंस वार्ड का मेडिकल इंचार्ज बनाया था। 22 वर्ष की उम्र में उनकी ट्यूबरकुलोसिस हो गया और फिर वो इस दुनिया से चल बसीं परन्तु उनका जीवन आगे आने वाली हर महिला के लिए एक मिसाल बन गया और आज भी वो ना जाने कितनी पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं।